Bharatiya Nyaya Sanhita 114 in Hindi – BNS 114 in Hindi
घोर उपहति- उपहति की केवल नीचे लिखी किस्मे ‘घोर’ कहलाती है-
- (क) पुंस्त्वहरण।
- (ख) दोनों में से किसी भी नेत्र की दृष्टि का स्थायी विच्छेद।
- (ग) दोनों में से किसी भी कान की श्रवणशक्ति का स्थायी विच्छेद।
- (घ) किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद।
- (ङ) किसी भी अंग या जोड़ की शक्तियों का नाश या स्थायी हास।
- (च) सिर या चेहरे का स्थायी विद्रूपिकरण।
- (छ) अस्थि या दांत का भंग या विसंधान।
- (ज) कोई उपहति जो जीवन का संकटापन्न करती है या जिसके कारण उपहत व्यक्ति बीस दिन तक तीव्र शारीरिक पीड़ा में रहता है या अपने मामूली कामकाज को करने के लिए असमर्थ रहता है।
Bharatiya Nyaya Sanhita 114 in English – BNS 114 in English
Grievous hurt- The following kinds of hurt only are designated as “grievous”, namely:-
- (a) Emasculation.
- (b) Permanent privation of the sight of either eye.
- (c) Permanent privation of the hearing of either ear.
- (d) Privation of any member or joint.
- (e) Destruction or permanent impairing of the powers of any member or joint.
- (f) Permanent dis figuration of the head or face.
- (g) Fracture or dislocation of a bone or tooth.
- (h) Any hurt which endangers life or which causes the sufferer to be during the space of fifteen days in severe bodily pain, or unable to follow his ordinary pursuits.