Bharatiya Nyaya Sanhita 117 in Hindi – BNS 117 in Hindi
संपति उदाचित करने के लिए या अवैध कार्य कराने को मजबूर करने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना- (1) जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छया उपहति कारित करेगा कि उपहत व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से कोई सम्पत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्घापित की जाए या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति को कोई ऐसी बात, जो अवैध हो, या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(2) जो कोई उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी प्रयोजन के लिए स्वेच्छया घोर उपहति कारित करता है, आजीवन कारावास या दोनों में से किसी भांति के कारावास से दंडनीय होगा, जो दस वर्ष तक हो सकेगा और जुर्माने के लिए भी दायी होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita 117 in English – BNS 117 in English
Voluntarily causing hurt or grievous hurt to extort confession, on to compel restoration of property- (1) Whoever voluntarily causes hurt, for the purpose of extorting from the sufferer,or from any person interested in the sufferer, any property or valuable security, or of constraining the sufferer or any person interested in such sufferer to do anything which is illegal or which may facilitate the commission of an offence, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also beliable to fine.
(2) Whoever voluntarily causes grievous hurt for any purpose referred to in sub-section (1), shall be punished with imprisonment for life, or imprisonment of either description for a term which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.