Bharatiya Nyaya Sanhita 119 in Hindi – BNS 119 in Hindi
लोक सेवक को अपने कर्तव्य से भयोपरत करने के लिए स्वेच्छया उपहति या घोर उपहति कारित करना- (1) जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जाएगा।
(2) जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो लोक सेवक हो, उस समय जब वह वैसे लोक सेवक के नाते अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा हो अथवा इस आशय से कि उस व्यक्ति को, या किसी अन्य लोक सेवक को वैसे लोक सेवक के नाते उसके अपने कर्तव्य के निर्वहन से निवारित या भयोपरत करे अथवा वैसे लोक सेवक के नाते उस व्यक्ति द्वारा अपने कर्तव्य के विधिपूर्ण निर्वहन में की गई या किए जाने के लिए प्रयतित किसी बात के परिणामस्वरूप स्वेच्छया घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा ।
Bharatiya Nyaya Sanhita 119 in English – BNS 119 in English
Voluntarily causing hurt or grievous hurt to deter public servant from his duty- (1) Whoever voluntarily causes hurt to any person being a public servant in the discharge of his duty as such public servant, or with intent to prevent or deter that person or any other public servant from discharging his duty as such public servant or in consequence of anything done or attempted to be done by that person in the lawful discharge of his duty as such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, or with fine, or with both.
(2) Whoever voluntarily causes grievous hurt to any person being a public servant in the discharge of his duty as such public servant, or with intent to prevent or deter that person or any other public servant from discharging his duty as such public servant or inconsequence of anything done or attempted to be done by that person in the lawful discharge of his duty as such public servant, shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year but which may extend to ten years, and shall also be liable to fine.