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Home Judgements Domestic Violence judgement

How Can a Domestic Violence Case be Dismissed?

Ashutosh Chauhan by Ashutosh Chauhan
January 17, 2023
in Domestic Violence judgement, Judgements
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How can a domestic violence case be dismissed? घरेलू हिंसा के मामले को कैसे खारिज किया जा सकता है?
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How can a domestic violence case be dismissed?

प्रार्थिया शिखा त्यागी की ओर से विरूद्ध विपक्षीगण अंतर्गत धारा-12 घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षण दिलाये जाने हेतु तथा भरण-पोषण के सम्बन्ध में अनुतोष प्राप्त करने हेतु यह प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत किया गया है।

संक्षेप में प्रार्थना-पत्र का कथानक इस प्रकार है कि प्रार्थिया की शादी विपक्षी नितिन त्यागी के साथ दिनांक ०९.०२.२०१० को हिन्दू रीतिरिवाज के अनुसार जनपद गाजियाबाद में हुई थी जिसमें प्रार्थिया की माता ने अपनी पैतृक सम्पत्ति विक्रय करके करीब २५ लाख रूपये खर्च किये थे तथा उपहार स्वरूप साज सज्जा का सामान, कीमती कपड़े, जेवरात, कार व अन्य उपयोग की वस्तुए तथा प्रार्थिया को स्त्रीधन दिया था। विवाह के उपरान्त विपक्षीगण अतिरिक्त दहेज की मांग करने लगे व प्रार्थिया को तरह-तरह से शारीरिक व मानसिक रूप से तंग व प्रताड़ित करने लगे व मारपीट करने लगे, उसका गर्भपात करा दिया, देवर ने बलात्कार करने का प्रयास किया तथा प्रार्थिया को ताने देने लगे जिससे प्रार्थिया का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा तथा आर्थिक, शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न से याची का जीवन बिल्कुल अंधकार मय हो गया।

प्रार्थिया का पति अपनी नौकरी की कारण प्रार्थिया व उसके पुत्र को जम्मू लेकर चला गया लेकिन वहां पर भी सभी विपक्षीगण का आना जाना लगा रहा व प्रार्थिया का उत्पीड़न करते रहे तथा विपक्षी संख्या-१ ने प्रार्थिया व उसके पुत्र का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जिसके कारण प्रार्थिया व उसके पुत्र को भरण-पोषण, आदि अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा जिसकी सूचना प्रार्थिया ने अपनी माता को दी जिस पर प्रार्थिया की माता उसे जम्मू से अपने घर ले गई। इसके उपरान्त भी विपक्षीगण को समझाने का प्रयास किया लेकिन नहीं माने।

प्रार्थिया का समस्त स्त्रीधन विपक्षीगण के कब्जे में है। प्रार्थिया के पास आय का कोई स्रोत नहीं है। विपक्षी संख्या-१ यूफ्लैक्स नामक मल्टीनेशनल कम्पनी में मैनेजर (एकाउंट) के पद पर कार्यरत है तथा वर्तमान में जम्मू में तैनात है जिससे उसे ६०-६५ हजार रूपये प्रतिमाह की आय होती है। इसके अतिरिक्त उसकी प्राईवेट एकाउंट का कार्य करने से ३०-३५ हजार रूपये की आय भी होती है। इस प्रकार विपक्षी की कुल आय एक लाख रूपये प्रति माह है।

उपरोक्त वर्णित आधारों पर निम्न लिखित अनुतोष प्रदान किये जाने की याचना की गई है:-

  • (अ ) अधिनियम की धारा-१८ के अधीन विपक्षीगण को घरेलू हिंसा कारित करने से प्रतिषिद्ध किया जाकर उन्हें घरेलू हिंसा करने के लिए दण्डित किया जाये,
  • (ब) अधिनियम की धारा-१९(च) के अधीन विपक्षीगण के खर्चे पर अलग से मकान दिलाये जाने सम्बन्धी आदेश पारित किया जाये,
  • (स) अधिनियम की धारा-१९ (८) के अधीन प्रार्थिया को उसका समस्त स्त्रीधन/ सामान विपक्षीगण से दिलाया जाये,
  • (द) अधिनियम की धारा- २०(क)(ख)(ग) के अधीन विवाह में दिये गये फर्नीचर व साज सज्जा के सामान की छति की ऐवज में २५,००,०००/-रूपये दिलाये जायें,
  • (य) अधिनियम की धारा-२० (घ) के अधीन घर से निकालने की तारीख से भरण-पोषण हेतु ५५,०००/-रूपये प्रति माह दिलाये जाये,
  • (र) अधिनियम की धारा-२२ के अधीन शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना के कारण हुई शारीरिक पीड़ा , मानसिक संताप के प्रतिकर स्वरूप विपक्षीगण से बीस लाख रूपये एक मुश्त दिलाये जायें।

घरेलू हिंसा के मामले को कैसे खारिज किया जा सकता है?

How can a domestic violence case be dismissed?

प्रार्थिया द्वारा आवेदन प्रस्तुत करने के उपरान्त विपक्षीगण को नोटिस प्रेषित किये गये जिनके द्वारा न्यायालय में उपस्थित होकर प्रार्थना-पत्र के विरूद्ध आपत्ति प्रस्तुत की गयी।

संक्षेप में विपक्षीणण की आपत्ति निम्नवत है:-

विपक्षीगण द्वारा प्रार्थिया के विपक्षी संख्या-१ की पत्नी होने के तथ्य को स्वीकार करते हुए घरेलू हिंसा होने के तथ्य को अस्वीकार किया है तथा कथन किया है कि विपक्षी संख्या-१ की शादी प्रार्थिया के साथ बिना किसी दान दहेज के हुई थी। प्रार्थना-पत्र की धारा-३ में उल्लिखित कथन मिथ्या है, विपक्षी संख्या- ४ शादी से लगभग ६ वर्ष पूर्व से आर.पी.एफ-में कार्यरत है तथा विपक्षी संख्या-२ पूर्व से ही राजस्थान भिवाड़ी में प्राईवेट कम्पनी में कार्यरत थे। प्रार्थिय आधुनिक समाज की फैशन परस्त रीति रिवाजों को न मानने वाली महिला है।

प्रार्थिया शहर में निवास करने वाले व्यक्ति से शादी करना चाहती थी। इस सम्बन्ध में प्रार्थिया की माँ से शिकायत की गई थी परन्तु उन्होंने उल्टे विपक्षी पर ही दबाब बनाया। दिनांक ०६.०६.२०१२ को विपक्षी प्रार्थिय को अपने साथ जम्मू ले गया था तथा वहां पर वर्ष २०१५ तक रहे व इस दौरान विपक्षी द्वारा प्रार्थिय की सभी आवश्यकताओं की पूर्ति की गई। प्रार्थिया के मामा की भी आर्थिक मदद प्रार्थिया के कहने पर की गई थी। बच्चे की अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधा दिलाने का प्रयास विपक्षी द्वारा किया गया। वर्ष २०१२ से २०१६ तक लगातार तथा अगस्त-२०१६ से अक्टूबर -२०१६ तक प्रार्थिया जम्मू में रही है व गाजियाबाद में कोई घटना नहीं हुई।

इस कारण इस न्यायालय को सुनवाई का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है व अक्टूबर-२०१६ में जब विपक्षी वैष्णोदेवी दर्शन के लिए गया था तब प्रार्थिया उसकी अनुपस्थिति में समस्त स्त्रीधन आठ-दस बैगों में भर कर मायके आ गयी। प्रार्थिया यह चाहती है कि विपक्षी अपनी नौकरी छोड़ कर जम्मू के स्थान पर गाजियाबाद आकर रहे और प्रार्थिया के परिजनों की आर्थिक मदद करे। परिवादिया किसी प्रकार का कोई अनुतोष प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है तथा प्रार्थना-पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।

प्रार्थिया द्वारा दिनांकित ३१.१०.२०१७ से पांच किता रंगीन फोटो ग्राफ सगाई समारोह के दाखिल किये गये हैं तथा कुछ प्रपत्र छाया प्रति के रूप में दाखिल किये गये हैं,जो छाया प्रति होने के कारण द्वितीयक साक्ष्य हैं तथा साक्ष्य के रूप में ग्राहय नहीं हैं। प्रार्थिय की ओर से पी.डब्लू -१ के रूप में स्वयं का बयान कराया है तथा पी.डब्लू–२ के रूप में साक्षी पूनम त्यागी का बयान कराया है। बचाव पक्ष की ओर से डी.डब्लू-१ नितिन त्यागी, डी.डब्लू-२ दिनेश कुमार को परीक्षित कराया गया है तथा सूची दिनांकित ०१.०२.२०१७ से छाया प्रति के रूप में विभिन्न कागजात दाखिल किये गये हैं परन्तु उक्त दस्तावेज छाया प्रति होने के कारण द्वितीयक साक्ष्य हैं जो कि साक्ष्य के रूप में ग्राहय नहीं हैं।

घरेलू हिंसा के मामले को कैसे खारिज किया जा सकता है?

मेरे द्वारा विगत तिथि पर उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण के तर्क सुने गये तथा पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया।

प्रस्तुत प्रकरण में परिवादिया के द्वारा स्वयं को विपक्षी संख्या-१ की पत्नी होना कथन करते हुए स्वयं को साथ विपक्षीगण द्वारा घरेलू हिंसा कारित किये जाने का कथन किया है वहीं विपक्षीगण द्वारा परिवादिया तथा विपक्षी संख्या-१ के मध्य पति पत्नी का सम्बन्ध स्वीकार करते हुए प्रार्थिया के साथ घरेलू हिंसा घटित होने से इंकार किया है।

पूरा जजमेंट पढ़ने के लिए निचे PDF को पढ़े।

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