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How to Fight False IPC 406?

Ashutosh Chauhan by Ashutosh Chauhan
January 17, 2023
in Judgements, 406 IPC in hindi
3
How to Fight False IPC 406?, झूठे IPC 406 से कैसे लड़ें?
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How to Fight False IPC 406?

ये केस ग़ज़िआबाद के कविनगर का है। इसमें पति ने पत्नी को मारपीट कर घर से बहार निकाल दिया था। क्योंकि पति पत्नी से तीन लाख रूपये मकान खरीदने के लिये तथा एक कार देने के लिये नाजायज मांग करता था। पत्नी ने अपनी एप्लीकेशन में ये बात लिखी है ओर न्यायालय से गुहार लगाई है, की शादी में करीब चार लाख रूपया खर्चा किया था, मुझे शादी में दिया हुआ स्त्रीधन वापिस चाहिए। ये बाते पत्नी की तरफ से लिखी गयी। इस केस में पति ने कैसे अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन किया (How to fight false IPC 406?) ओर केस को अपने पक्ष में किया।

प्रस्तुत परिवाद पत्र पर अभियुक्तणण बालकिशन व श्रीमती उमराव का विचारण धारा 406 भा०दं०सं०  थाना कविनगर के आरोप में किया गया है।

संक्षेप में परिवादिनी का कथन है कि परिवादिनी की शादी प्रस्तुत परिवाद पत्र के प्रस्तुत किये जाने के पांच वर्ष पूर्व बालकिशन के साथ हिन्दु रीति रिवाजों के अनुसार हुयी थी। शादी में परिवादिनी के मायके वालों ने अपनी सामर्थ्य से अधिक दान दहेज दिया था व कीमती जेवरात चढाये थे। शादी के पश्चात बालकिशन व उसके परिवार के लोग दिये गये दान दहेज से खुश नही थे। दहेज के कारण मारपीट व क्रूरता का व्यवहार करते तथा कहते कि दूसरी जगह शादी करते तो बीस-पच्चीस लाख रूपये का दहेज अवश्य मिलता।

विपक्षीगण तीन लाख रूपये मकान खरीदने के लिये तथा एक कार देने के लिये नाजायज मांग करने लगे। दिनांक 09-02-07 को विपक्षीगण ने परिवादिनी को कमरे मे बंद कर दिया मारपीट की। पडौसियों द्वारा फोन करने पर तुरन्त उसके माता व मामा पहुचे तथा विपक्षीगण को समझाने का प्रयास किया तो उनके सामने ही इन लोगों ने परिवादिनी के साथ मारपीट की तथा पहने हुए कपडो में घर से बाहर निकाल दिया। धमकी दी कि यदि आईन्दा यहा पर आयी तो जान से मार देगे। परिवादिनी अपने मायके मे रह रही है तथा माता पर बोझ बनी हुयी है। परिवादिनी का समस्त स्त्रीधन अभियुक्तगण के नाजायज कब्जे मे है तथा बार बार मांगने पर भी नही दे रहे है। स्त्रीधन की सूची वाद पत्र के साथ संलग्न है। अतः प्रार्थना है कि अभियुक्तगण को तलब कर परवादिनी का समस्त स्त्रीधन उसे दिलाया जावे।

How to Fight False IPC 406?

How to Fight False IPC 406?

परिवादी द्वारा स्वयं को धारा 200 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत तथा साक्षीगण देवेन्द्र कुमार व सरला देवी को धारा 202 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत परीक्षित कराया गया। परिवाद पत्र, परिवादी व उसके गवाहान के साक्ष्य के आधार पर प्रथम दृष्टया पर्याप्त आधार पाये जाने पर अभियुक्तगण उपरोक्त को धारा 406 भा०दं०सं० (How to fight false IPC 406?) के आरोप में विचारण हेतु तलब किया गया।

अभियुक्तगण न्यायालय में उपस्थित आये। उनके द्वारा अपनी जमानतें करायी गयी। परिवादिनी को साक्ष्य का अवसर दिया गया। परिवादिनी श्रीमती पूनम ने स्वयं को बतौर साक्षी पी०डब्लू० 1 व पी० डब्लू-2 सरला देवी को धारा 244 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत परीक्षित कराया गया। किसी अन्य साक्षी को धारा 244 दं०प्र०सं० में पेश न किये जाने के कारण साक्ष्य धारा 244 दं०प्र०सं० का अवसर समाप्त किया गया तथा अन्तर्गत धारा 406 भा०दं०सं० (How to fight false IPC 406?) आरोप न्यायालय द्वारा विरचित हुआ।

झूठे IPC 406 से कैसे लड़ें ?

धारा 246 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत श्रीमती पूनम पी०डब्लू० व साक्षी सरला देवी पी० डब्लू-2 को बचाव पक्ष द्वारा प्रतिपरीक्षित किया गया है।

अभियुक्तगण का बयान अन्तर्गत धारा 313 दं०प्र०सं० अंकित किया गया, जिसमें अभियुक्तगण ने परिवादिनी के गवाहों के बयानों को झूठा बताया गया तथा सफाई साक्ष्य देने का कथन किया।

अभियुक्तमण की ओर से सफाई साक्ष्य के रूप में डी० डब्लू-1 बालकिशन व डी डब्लू-2 राजकुमार को परीक्षित कराया गया।

सफाई साक्ष्य का अवसर समाप्त होने के पचात पत्रावली बहस हेतु नियत की गयी। परिवादिनी की ओर से अपने कथानक के समर्थन में कोई बहस नही की गयी है और न ही कोई उपस्थित आया। परिवादिनी को बहस हेतु कई अवसर दिये जाने के पश्चात न्‍्यायहित मे परिवादिनी के बहस का अवसर समाप्त कर अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्को को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का सम्यक परिशीलन किया गया।

परिवादिनी पी० डब्लू- श्रीमती पूनम ने साक्ष्य 244 दं०प्र०सं० में यह कथन किया है कि उसकी शादी दिनांक 26-11-2001 को बालकिशन के साथ हुयी थी। उसकी शादी में मायके वालो द्वारा काफी दान दहेज दिया गया था जिसकी लिस्ट उसने मुकदमे के साथ दाखिल की है । शादी में अंकन 11000/-रूपये सगाई में नकद दिये थे। शादी में करीब चार लाख रूपया खर्चा किया था, जिसमें चालीस जोडे कपडे व कोट पेंट दिये थे तथा एक फ्रिज, डबल बैड,सौफा, ड्रेसिंग टेबिल, कलर टी वी, सैफ, कूलर, सिलाई मशीन,75 बर्तन, सूट केस वी आई पी, पांच जौडी उसके कपडे व लहगा चुन्दरी दिये गये थे।

जेवरात मे एक सोने की चेन, एक सोने का हार, कांनो के कुडल, एक जौडी पाजेब चादी की,एक उसकी सोने की अगूठी, एक टाइटन घडी दी थी। उसकी ससुराल वालो ने काफी सामान दिया था। उसकी ससुराल वाले दिये गये दान दहेज से खुश नही हुए तथा कम दहेज का ताना देते थे तथा मारपीट भी करते थे तथा कहते थे कि अगर दूसरी जगह शादी करते तो बीस पच्चीस लाख रूपये अवश्य मिलता तथा उससे तीन लाख रूपये नकद व मारूति कार की मांग करने लगे। एक लाख रूपये माता जी ने दिया भी था तथा शेष रूपया व गाडी की मांग को लेकर उसके

साथ मारपीट करने लगे क्योंकि उसको कोई बच्चा नही था, इस बात का ताना देते थे। दिनांक 09-02-07 को मुल्जिमान बालकिशन पति मंशा राम देवर व सास उमराव ने उसे कमरे मे बंद करके काफी मारा पीटा, शोर पर किसी पडौसी ने उसके मायके फोन कर दिया जिस पर उसकी माता व मामा उसकी ससुराल पहुचे और उन्हे समझाने का प्रयास किया। लेकिन विपक्षीगण ने मारपीट करके परिवादिनी को पहने हुए कपडो में ही घर से निकाल दिया। परिवादिनी का समस्त स्त्रीधन उसकी ससुराल मे है जिसे अभियुक्तगण अपने प्रयोग मे ले रहे है तथा खुर्द बुर्द कर रहे है तथा मांगने पर नही दे रहे है।

धारा 246 दं०प्र०सं० के अधीन की गयी जिरह में साक्षी ने यह कहा है कि वह अपने पति बालकिशन से 09-02-2007 से अलग रह रही है। शादी मे उसके माता पिता ने दहेज दिया था। यह प्रश्न किये जाने पर कि क्या आपने अपने पति के खिलाफ दहेज या उत्पीडन का कोई मुकदमा किसी न्यायालय में दर्ज कराया है या नही, उत्तर साक्षी ने यह दिया कि मैनें केवल यही मुकदमा दर्ज कराया है, इसके अलावा और कोई मुकदमा नही कराया है।

आगे यह कहा है कि उसके पति ने उसे चेक दिया था,किस तारीख, महीना व वर्ष का उसे पता नही है। दिनांक 09-02-2007 को मारपीट के बाद अपना मेडीकल एम एम जी अस्पताल गाजियाबाद में कराया था। यह कथित मारपीट ससुराल मे हुयी थी पति ने जो चेक दिया था था वह ढेड लाख रूपये का था। चेक पुलिस स्टेशन में दिया था।

पति ने जो चेक दिया था उसने उसको कैश करा लिया है। यह प्रश्न किये जाने पर की क्या आपने अपने स्त्रीधन से सम्बन्धित कोई रसीद पत्रावली पर दाखिल की है, का उत्तर साक्षी ने यह दिया कि दाखिल नही की है। उसे स्त्रीधन के सम्बन्ध में कोई चेक नही दिया था। वह उन पुलिस वालों को अब नही पहचान सकती है जिन्होनें फैसला कराया था। 9 फरवरी 2007 की घटना की रिपोर्ट हमने थाने पर जहां उचित लगी थी, वहा पर लिखायी थी। उमराव को जो सामान वापसी हेतु नोटिस दिया था उसकी मुझे सही तारीख ध्यान नही है। नोटिस की प्रति पत्रावली पर दाखिल की है। वह उमराव से 9-02-07 के बाद कभी नही मिली है।

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