IPC 201 in Hindi- धारा 201 क्या है?- सजा, जमानत और बचाव

दोस्तों, कभी आपने सोचा है, की हम किसी अपराधी का किसी अपराध में साथ दे, तो क्या उस अपराध में हमारा भी नाम आएगा? क्या हमे भी सजा मिलेगी? आज के इस आर्टिकल में हम चर्चा करने वाले हैं, IPC 201 In Hindi यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 201 क्या है?, इस धारा को कब और किन-किन अपराध में लगाया जाता है?, इसमें कितनी सजा मिलती है?, इसमें जमानत कैसे मिलेगी? और इसमें अपना बचाव कैसे करे? सभी Question के हल इस आर्टिकल में मिलेगे।

Dhara 201 में सबूत मिटाने या किसी सबूत को छिपाने के अपराध के बारे में बताया गया है। तो चलिए इसको बिस्तार से बताते है।

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 201 के अनुसार:-

अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना :- “अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना-जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप, इस आशय से कारित करेगा कि अपराधी को वैध दंड से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से संबंधित कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है।”

यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो –“यदि वह अपराध जिसके किए जाने का उसे ज्ञान या विश्वास है, मृत्यु से दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी टंडनीय होगा;”

यदि आजीवन कारावास से दंडनीय हो –“और यदि वह अपराध [आजीवन कारावास से, या ऐसे कारावास से, जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दंडनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के, कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा;”

यदि दस वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो –“और यदि वह अपराध ऐसे कारावास से इतनी अवधि के लिए दंडनीय हो, जो दस वर्ष तक की न हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबंधित भांति के कारावास से उतनी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।”

As per section 201 of IPC (Indian Penal Code) :-

Causing disappearance of evidence of offence, or giving false information to screen offender:- “Whoever, knowing or having reason to believe that an offence has been committed, causes any evidence of the commission of that offence to disappear, with the intention of screening the offend­er from legal punishment, or with that intention gives any infor­mation respecting the offence which he knows or believes to be false;”

if a capital offence.-“shall, if the offence which he knows or believes to have been committed is punishable with death, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine;”

if punishable with imprisonment for life.-“and if the offence is punishable with 1[imprisonment for life], or with imprisonment which may extend to ten years, shall be punished with imprison­ment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine;”

if punishable with less than ten years imprisonment.-“and if the offence is punishable with imprisonment for any term not extend­ing to ten years, shall be punished with imprisonment of the description provided for the offence, for a term which may extend to one-fourth part of the longest term of the imprisonment pro­vided for the offence, or with fine, or with both.”

ऊपर  डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ।

IPC 201 in Hindi – ये धारा कब लगती है?

धारा 201 सबूत मिटाने के लिए या किसी सबूत को छिपाने के लिए लगाई जाती है। अब आप सोच रहे होंगे की सबूत क्या होता है? चलिए मैं बताता हूँ सबसे पहले यह समझिए जब कहीं पर अपराध होता है। अपराध और अपराधी को, जो कड़ी जोड़ती है, या जो चीज़ जोड़ती है, उसी को सबूत बोला जाता है। जिसके आधार पर पुलिस अपराधी को पकड़ती है। जैसे कोई अपराध हुआ तो उस अपराध करने वाले अपराधी तक पुलिस सबूत के आधार पर पहुँचती है, कि कोई भी ऐसी कड़ी, कोई भी ऐसी चीज़ जिसके दुबारा अपराधी तक पहुंचा जा सकता है, जो अपराध और अपराधी को जोड़ता है। उसी को सबूत बोला जाता है।

अगर कोई इस सबूत (एविडेंस) को कोई मिटा दे, छुपा दे, तब ऐसे में अपराधी तक पहुंचना मुश्किल है। क्योंकि सबूत के आधार पर ही अपराधी को पकड़ा जा सकता है। इसलिए ये बहुत ही सीरियस अपराध (offense) है। यह धारा उस इंसान पर लगती है, जो कि सबूत को मिटाता है, छुपाता है, ताकि अपराधी तक कोई ना पहुंचे और अपराधी को सज़ा ना मिल सके। ऐसे में जो व्यक्ति सबूत को मिटाने की कोशिश करता है या छुपाता है। उस व्यक्ति पर यह धारा लगती है।

उदाहरण-

जैसे मान के चलिए, किसी A नाम के व्यक्ति ने B नाम के व्यक्ति का मर्डर कर दिया। A ने B का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया। मर्डर एक ऐसा अपराध है, जिसकी सज़ा Death Penalty है, मतलब उसने मर्डर किया उसको Death Penalty मिल सकती है, A को फांसी की सज़ा मिल सकती है। अब कोई Z नाम का व्यक्ति है, जिस चाकू से A ने B को मारा था Z नाम के व्यक्ति ने उस चाकू को छुपा दिया या बन्दूक से मारा था या किसी भी आधार से मारा था उस सबूत को Z ने छुपा दिया या मिटा दिया। तो A अपराधी को Death Penalty मिलनी है, क्योंकि A ने मर्डर किया। लेकिन Z ने अपराध से जुड़े हुए सबूत को छुपाया है, इसलिए Z को भी सज़ा मिलेगी। और ये सज़ा सात साल की होगी। मतलब कोई ऐसा अपराध है, जिसकी सज़ा Death Penalty हो सकती है, ऐसे अपराध से जुड़े हुए किसी सबूत को अगर कोई मिटाता है, तो उसको सज़ा सात साल मिलेगी। कुल मिलाकर अपराध देखा जाएगा कि अपराध कैसा है? जिसमें सबूत मिटाए जा रहे हैं। ये उधारण मैंने नीचे फर्स्ट पॉइंट का दिया है।

Dhara 201 में सज़ा कितनी होती है?

Dhara 201 में सज़ा का प्रावधान तीन पॉइंट्स में बताया गया है-

  1. अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा मृत्यु दंड हो- अगर कोई अपराधी कोई ऐसा अपराध करता है, जिसमें उस अपराधी को मृत्यु दंड की सज़ा मिल सकती है या फांसी की सज़ा मिल सकती है। तब ऐसे में कोई व्यक्ति उसकी मदद सबूत मिटाने या छुपाने में करता है, तो उस व्यक्ति को सात साल तक की सज़ा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
  2. अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा उम्र कैद हो- अगर कोई ऐसा अपराध है, और इस अपराध से जुड़ा हुआ कोई सबूत मिटाता है, तो जिसको उम्रकैद मिलनी है, जिसने अपराध किया उसको तो उम्रकैद मिलेगी ही लेकिन इस अपराध से जुड़ा हुआ कोई सबूत अगर कोई मिटाता है, तो उसको तीन साल तक की सज़ा मिलेगी।
  3. अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा दस वर्ष से कम हो- जिस अपराध की सज़ा दस साल से कम है, जैसे कोई लड़ाई झगड़े का या चोरी का अपराध है। उसमें दस साल से कम की सज़ा होती है। ऐसे किसी अपराध से रिलेटेड कोई सबूत मिटाता है, तो उसको उसका 1 Fourth मिलेगा। जैसे मान के चलिए किसी अपराध में जिसकी सज़ा दस साल से तो कम है, उस अपराध में मैक्सिमम सज़ा तीन साल है, या आठ साल है। उसका चौथा हिस्सा सबूत मिटाने वाले को सज़ा मिलेगी और साथ में जुर्माना भी लगता है।

Dhara 201 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है?

धारा 201 एक Bailable Offense है, Bailable Offense का मतलब जो जमानती अपराध होते है, जिस अपराध की जमानत थाने में ही हो जाती है। उसको Bailable Offense बोला जाता है। मतलब जमानत आसानी से मिल जाती है। यह धारा  एक Non Compoundable Offense है, Non Compoundable Offense का मतलब होता है, कि गैर समझौतावादी है, इसमें समझौता करने की कोई गुंजाईश नहीं होती है। इसलिए इसमें किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता। और यह गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) भी है, इसमें अपराधी को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

अपराध सज़ा संज्ञेय जमानत
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा मृत्यु दंड हो- 7 साल की कारावास और जुर्माना यह एक असंज्ञेय अपराध है। यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है।
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा उम्र कैद हो- 3 साल की कारावास और जुर्माना यह एक असंज्ञेय अपराध है। यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है।
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा दस वर्ष से कम हो- अपराध का 1 Fourth या जुर्माना या दोनों यह एक असंज्ञेय अपराध है। यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है।

बचाव कैसे करे?

कभी कभी इंसान न चाहते हुए भी अपराध कर देता है। जैसे आम बात ही ले लेते है, की किसी की फैमली का कोई मेंबर या खास दोस्त से कोई अपराध हो गया है, तो निर्दोष आदमी भी अपनी फॅमिली या दोस्त को बचाने की ही सोचता है। बहुत से मामलो में ऐसा ही देखने को मिलता है। वो निर्दोष न चाहते हुए भी अपराधी बन जाता है। इसमें के लिए कुछ पॉइंट कुछ पॉइंट मैं आपको बता रहा हूँ।

  • किसी का कोई फॅमिली मेंबर या दोस्त जो भी है, उसको अपराध करने से रोके न की उसका उस अपराध में साथ दे।
  • अगर अपराधी से अपराध हो गया है। तो आप उस अपराध के सबूत को न मिटाये क्योंकि अपराधी को तो सज़ा मिलेगी ही मिलेगी लेकिन आप भी अपराधी बन जायेंगे।
  • यदि आप पर यह धारा लग गयी है। तो सबसे पहले किसी अच्छे वकील को अपने केस के लिए अप्पोइन्मेंट करे।
  • यदि आप को झूठा फसाया गया है। तो ऐसे में आप सबूत को कोर्ट में लगाए या आप quashing के लिए हाई कोर्ट भी जा सकते है।

FAQ:-

प्रश्न:- IPC की धारा 201 के तहत क्या अपराध है?

उत्तर:- IPC 201 में अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देने पर दंड के बारे में बताया गया है।

प्रश्न:- सबूत मिटाने के लिए कौन सी धारा लगती है?

उत्तर:- सबूत मिटाने के अपराध में आरोपी व्यक्ति पर धारा 201 लगाकर करवाई की जाती है।

प्रश्न:- IPC की धारा 201 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध?

उत्तर:- यह धारा गैर – संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है।

प्रश्न:- धारा 201 जमानती है या नहीं?

उत्तर:- इस धारा के अंर्गत अपराध जमानतीय (Bailable) अपराध होते है। यानी के इसमें जमानत पुलिस थाने में भी हो सकती है।

प्रश्न:- IPC की धारा 201 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

उत्तर:- ऐसे मामलो की सुनवाई सत्र की अदालत में की जाती है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...