IPC 308 in Hindi- आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न की धारा 308 सजा, जमानत और बचाव

IPC 308 in Hindi:- दोस्तों, अक्सर आपने देखा और सुना होगा की दो लोगो की लड़ाई में एक व्यक्ति की चोट लगने से मृत्यु हो जाती है। तो क्या ऐसे में दूसरे व्यक्ति पर IPC की धारा 302 लगेगी? क्योंकि ये भी तो एक तरह से मर्डर हुआ ना? इसलिए आज हम आपके लिए गैर-इरादतन मानव वध की धारा 308 पर लेख लेकर आये है। भारतीय दंड संहिता की यह धारा गैर-इरादतन हत्या के मामले में लगायी जाती है। आप इस लेख मे इस धारा के बारे में पूरी डिटेल्स के साथ जानकारी जानने वाले हैं। जैसे- इसमें जमानत और सजा का प्रावधान क्या है?, इसमें वकील की भूमिका क्या है? आपके सभी सवालो के जवाब इस लेख में मिल जाएंगे। इसलिए आप हमारे साथ इस आर्टिकल मे पुरा अंत तक बने रहे।

भारतीय दंड संहिता की धारा 308 के अनुसार-

आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न- “जो कोई किसी कार्य को ऐसे आशय या ज्ञान से और ऐसी परिस्थितियों में करेगा कि यदि उस कार्य से वह मृत्यु कारित कर देता, तो वह हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा; और यदि ऐसे कार्य द्वारा किसी व्यक्ति को उपहति हो जाए, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।”

दृष्टांत- क गंभीर और अचानक प्रकोपन पर, ऐसी परिस्थितियों में, य पर पिस्तौल चलाता है कि यदि तद्द्वारा वह मृत्यु कारित कर देता तो वह हत्या की कोटि में न आने वाले आपराधिक मानव वध का दोषी होता। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।

उप्पर की डेफिनेशन कानूनी है इसको हम सिंपल करके समझाने की कोशिश करते है।

IPC 308 in Hindi – धारा 308 क्या है? ओर ये कब लगती है?

आईपीसी की धारा 308 ऐसे लोगो के ऊपर लगायी जाती है। जो व्यक्ति किसी को जानभूझकर मारना नहीं चाहता था लेकिन उसके द्वारा दी गयी चोट से सामने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। ऐसे अपराध को गैर-इरादतन मानव वध करना कहा जाता है तब ऐसे में पुलिस यह धारा लगाकर अपराधी व्यक्ति पर करवाई करती है। इसका हम एक उदहारण देते है जिससे आप और अच्छे से समझ सके।

गैर-इरादतन मानव वध का उदाहरण-

सोभित अपनी कार से कंही जा रहा था तभी मोहन भी अपनी बाइक से आ रहा था और मोहन की बाइक सोभित की कार से भीड़ जाती है। तभी सोभित अपनी कार से उतरकर मोहन को गाली और मारने को चढ़ जाता है। इतनी बात पर मोहन सोभित से माफ़ी मांगता है की मेरे से धोखे से ये टककर लगी है। लेकिन सोभित उसकी कोई बात न सुनकर उस पर हावी हो जाता है।

देखते-देखते ये गाली गलोच लड़ाई में बदल जाती है। और दोनों आपस में लड़ने लगते है इस लड़ाई में सोभित को ज्यादा चोट आ जाती है और सोभित को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ता है। दुर्भागय से उन चोट के कारण सोभित की मृत्यु हो जाती है। सोभित के घरवाले मोहन के खिलाफ मर्डर की कंप्लेंट कराते है। फिर पुलिस मोहन को गिरफ्तार करके उससे पूछताछ करती है मोहन सारी बात पुलिस को बताता है की मैंने आप जानकर सोभित को नहीं मारा। मेरा इरादा सोभित को मारने का बिलकुल नहीं था। गाड़ी की टक्कर लगने की वजह से दोनों का झगड़ा हुआ और दोनों के चोट भी आयी लेकिन उस चोट से सोभित की मृत्यु हो गयी।

अब दोस्तों इस उदाहरण से आप समझ गए होंगे की मोहन पर कौन सी धारा लगेगी। पुलिस अपनी जांच के बाद मोहन पर धारा 308 लगाकर अपनी चार्ज-शीट कोर्ट में पेश करती है।

IPC 308 मे सजा का क्या प्रावधान है?

धारा 308 में दो प्रकार की सजा देने का प्रावधान है जोकि इस प्रकार है-

  1. गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास- जब कोई व्यक्ति किसी की गैर-इरादतन हत्या कर देता है। तब उस व्यक्ति पर इस धारा के अनुसार 3 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड याफिर दोनों देने का प्रावधान है। यह एक गैर-जमानती संज्ञेय अपराध है। और यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है।
  2. यदि इस तरह के कार्य से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुँचती है- अगर इस अपराध में अपराधी द्वारा कोई ऐसा कार्य हो जाए जिसमें सामने वाले व्यक्ति की मृत्यु चोट लगने से हो तब यह अपराध और भी संगीन हो जाता है। तब इस अपराध में अपराधी को 7 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड याफिर दोनों देने का प्रावधान है। यह भी गैर जमानती अपराध है। जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। और यह भी सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है।

इस तरह के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास 3 साल की सजा या जुर्माना या दोनों यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। यह गैर-जमानतीय अपराध है यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है।
अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
यदि इस तरह के कार्य से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुँचती है 7 साल की सजा या जुर्माना या दोनों यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। यह गैर-जमानतीय अपराध है यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है।

IPC 308 में जमानत का प्रावधान क्या है?

धारा 308 संज्ञेय अपराध कि श्रेणी में आती है और साथ में यह गैर-जमानती अपराध भी है। इसलिए इसमें जमानत मिलना मुश्किल होता है। हालांकि अगर आपके पास अच्छा वकील है तो आपको हर हाल में जमानत दिलवा सकता है।

IPC धारा 308 मे वकील की भूमिका क्या है?

आईपीसी धारा 308 में वकील की अहम भूमिका होती है। जो इस केस से जुड़े हुए सभी कानूनी सलाह आपको देगा चाहे आप पीड़ित हो या अपराधी। अगर आप पीड़ित है तो आपका वकील आपको न्याय दिलाने और इस केस से जुड़े हुए सभी सबूत को जज के सामने पेश करेगा। और आपकी तरफ से आपका मुकदमा लड़ेगा। अगर आप अभियुक्त है तो वकील आपकी जमानत और आपको निर्दोष साबित करने में आपकी मदद करेगा।

आईपीसी धारा 308 में अपने बचाव के लिए क्या करे?

इस धारा में अपने बचाव के लिए कुछ पॉइंट बता रहे हैं जोकि इस प्रकार है-

  • पुलिस को सूचित करें: अगर आपसे कोई ऐसी दुर्घटना हो गयी हैं, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
  • अपने बचाव के लिए सबूत इकट्ठा करें: अपने बचाव के लिए, आपको सबूत एकत्रित करने होंगे, जैसे कि गवाहों या संबंधित तस्वीरें।
  • किसी कानूनी सलाहकार से मिलें: आपकी स्थिति को समझने और सहायता प्रदान करने के लिए किसी वकील या कानूनी सलाहकार से मिलें।

FAQs-

प्रश्न:- आईपीसी की धारा 308 कब लगती है?

उत्तर:- जब किसी व्यक्ति के साथ लड़ाई झगड़ा हो जाता है और वो सामने वाले व्यक्ति को चोटिल कर देता है जिससे दुर्भागय से उसकी मृत्यु हो जाती है तब इसको गैर-इरादतन मानव वध कहा जाता है। और ऐसे में आईपीसी की धारा 308 के तहत करवाई की जाती है।

प्रश्न:- आईपीसी की धारा 308 के मामले में सजा क्या है?

उत्तर:- धारा 308 में दो प्रकार की सजा देने का प्रावधान है जोकि इस प्रकार है-

गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास- अगर अपराधी द्वारा गैर-इरादतन हत्या की गयी है तो इसमें 3 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड याफिर दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

यदि इस तरह के कार्य से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुँचती है- अगर अपराधी द्वारा कोई ऐसा कार्य हो जाए जिसमें सामने वाले व्यक्ति की मृत्यु चोट लगने से हो। तब अपराधी व्यक्ति को 7 वर्ष तक की सजा या आर्थिक दंड याफिर दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

प्रश्न:- IPC 308 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध है?

उत्तर:- ऐसे अपराध को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

प्रश्न:- IPC की धारा 308 जमानती अपराध है या गैर-जमानती अपराध है?

उत्तर:- ऐसे अपराध को गैर-जमानती अपराध माना गया है।

प्रश्न:- IPC 308 का मुकदमा किस अदालत में चलाया जा सकता है?

उत्तर:- ऐसे अपराध की सुनवाई सत्र न्यायालय के द्वारा की जा सकती है।

प्रश्न:- IPC 308 में समझौता किया जा सकता है?

उत्तर:- नहीं, ऐसे अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...