IPC 510 in Hindi- शराब पीकर हुड़दंग मचाने की धारा 510 सजा, जमानत और बचाव

IPC 510 in Hindi- दोस्तों, कहीं भी ऐसा नहीं लिखा गया है कि शराब पीना एक अपराध है, लेकिन शराब पीने के बाद गलत काम करना अपराध माना गया है। आपने कई बार ऐसा देखा होगा कि शराब पीकर लोग गलत काम करते हैं जैसे किसी को भी मारते हैं या गाली गलौज करते हैं। शराब पीने के बाद कई बार लोग एक छोटी सी बात के लिए लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर जाना या किसी को परेशान करना एक जुर्म माना गया है?

जी हां, आईपीसी धारा 510 के अंतर्गत अगर कोई भी व्यक्ति शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर कोई कार्य करता है जिससे किसी को परेशानी या गुस्सा आता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई दर्ज की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 510 के अनुसार-

मत्त व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में अवचार- “जो कोई मत्तता की हालत में किसी लोक स्थान में, या किसी ऐसे स्थान में, जिसमें उसका प्रवेश करना अतिचार हो, आएगा और वहाँ इस प्रकार का आचरण करेगा जिससे किसी व्यक्ति को क्षोभ हो, वह सादा कारावास से, जिसकी अवधि चौबीस घण्टे तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दस रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।”

उप्पर की जानकारी को ओर सरल भाषा में समझाने की कोशिश करते है-

IPC Section 510 in Hindi – धारा 510 क्या है? ओर ये कब लगती है?

इसे आसान भाषा में समझे तो, जब कोई भी व्यक्ति नशे की हालत में किसी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी स्थान पर या किसी ऐसे स्थान पर दिखाई देता है जहां उसका प्रवेश करना उसके लिए अपराध है और वहां वह ऐसा व्यवहार करता है जिसके चलते किसी भी व्यक्ति को परेशानी हो रही है या गुस्सा का सामना करना पड़ रहा है। तो ऐसा करना भारतीय दंड संहिता में एक कानूनन अपराध माना गया है। इसके तहत ऐसा करने वाले व्यक्ति को सजा दी जा सकती है।

लागू अपराध-

अगर कोई व्यक्ति नशे की हालत में किसी भी सार्वजनिक स्थान पर जाकर किसी को परेशान करता है या किसी भी स्थान पर जाकर वह इस तरह से आचरण करता है जिसके कारण किसी को परेशान किया जा सकता है। तो इसे IPC Dhara 510 के अंतर्गत एक जुर्म माना गया है और इसके तहत सजा के रूप में उसे 24 घंटे के लिए कारावास या जुर्माना या कारावास और जुर्माना दोनों दिया जा सकता है।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
मत्त व्यक्ति द्वारा लोक स्थान में अवचार 24 घंटे या जुर्माना या दोनों के लिए सरल कारावास यह धारा गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। यह जमानतीय अपराध है यह कोई भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचाराधीन होती है।

धारा 510 में जमानत–

IPC Section 510 के तहत किया हुआ जुर्म एक गैर – संज्ञेय अपराध माना गया है, साथ ही यह एक जमानतीय अपराध है। लेकिन यह समझौता करने योग्य अपराध नहीं है। इस धारा के तहत किए गए जुर्म का विचारण किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा किया जाता है।

बचाव-

इसके अंतर्गत आपको जमानत जल्दी मिल सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि शराब पीकर कहीं भी किसी को परेशान किया जा सकता है। शराब पीने के बाद कई लोग अपना आपा खो देते हैं जिसके बाद कई बड़ी घटनाएं भी घट जाती है। ऐसे में हमे पूरा ध्यान देना होता है कि शराब पीकर कोई भी ऐसा काम ना करें जिससे किसी और को परेशानी हो।

FAQs-

प्रश्न:- आईपीसी की धारा 510 कब लगती है?

उत्तर:- जब कोई व्यक्ति नशे की हालत में किसी लोक स्थान में, या किसी ऐसे स्थान में, जिसमें उसका प्रवेश करना अतिचार हो वंहा पर दुराचार करता है या किसी दूसरे व्यक्ति के गुस्से का कारण बनता है तब इस धारा का प्रयोग आरोपी व्यक्ति के उप्पर किया जाता है।

प्रश्न:- आईपीसी की धारा 510 के मामले में सजा क्या है?

उत्तर:- आईपीसी की धारा 510 में सजा के तौर पर अपराधी व्यक्ति को 24 घंटे का सरल कारावास या जुर्माना याफिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।

प्रश्न:- IPC 510 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध है?

उत्तर:- ऐसे अपराध गैर – संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आते है।

प्रश्न:- IPC की धारा 510 जमानती अपराध है या गैर-जमानती अपराध है?

उत्तर:- यह धारा जमानती धारा है। इसमें जमानत पुलिस थाने में ही आसानी से हो जाती है।

प्रश्न:- IPC 510 का मुकदमा किस अदालत में चलाया जा सकता है?

उत्तर:- ऐसे अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट के द्वारा की जा सकती है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...