आज मैं आपके लिए IPC Section 56 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 56 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 56 के अनुसार:-
य़ूरोपियों तथा अमरीकियों को दण्ड दासता की सजा :- “आपराधिक कानून (नस्लीय भेदभाव का निराकरण) अधिनियम, 1949 (1949 का 17) द्वारा (6 अप्रैल, 1949 से) निरसित।”
As per section 56 of IPC (Indian Penal Code):-
Sentence of Europeans and Americans to penal servitude :- “Rep. by the Criminal Law (Removal of Racial Discriminations) Act, 1949 (17 of 1949) (w.e.f. 6-4-1949).”
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धारा 56 क्या है?
ऊपर जो IPC Section 56 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 56 को सरल शब्दों में समझाता हूँ।
IPC Section 56 को खत्म कर दिया गया है। इस सेक्शन को 1949 में हटा दिया गया था। देश की आज़ादी के बाद IPC Section 56 को खत्म कर दिया गया था। इसमें अंग्रेज़ों या यूरोपियन के लोगो को बहुत ज़्यादा पावर दी गई थी। इसमें यह बताया गया था, कि जो अंग्रेज़ या यूरोप के लोग हैं। अगर वह भारत में आकर कोई क्राइम कर देते हैं, तो उनको उम्र कैद की सज़ा नहीं मिल सकती है। मतलब वह चाहे किसी का कत्ल भी कर दें, तो भी उनको उम्र कैद की सज़ा नहीं दी जा सकती। इसलिए जब देश आज़ाद हुआ, तब इस सेक्शन को हटा दिया गया था। अब यह IPC का का हिस्सा नहीं है। क्योंकि इसमें बहुत भेद भाव था।