आज मैं आपके लिए IPC Section 63 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी ।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 63 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 63 के अनुसार:-
जुर्माने की रकम :- “जहां कि वह राशि अभिव्यक्त नहीं की गई है जितनी तक आर्थिक दण्ड/जुर्माना हो सकता है, वहां अपराधी जिस रकम के आर्थिक दण्ड/जुर्माने का उत्तरदायी है, वह अमर्यादित है किन्तु अत्यधिक नहीं होगी।”
As per section 63 of IPC (Indian Penal Code) :-
Amount of fine :- “Where no sum is expressed to which a fine may extend, the amount of fine to which the offender is liable is unlimited, but shall not be excessive.”
Also Read –IPC Section 62 in Hindi
धारा 63 क्या है?
ऊपर जो डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ।
IPC Section 63 कहता है, की जब कोर्ट किसी अपराधी को सज़ा सुनाती है। वह सज़ा किसी भी प्रकार की हो सकती है। मतलब जुर्माना या जेल। कुछ IPC के सेक्शंस में जुर्माने को डिफाइन किया गया है, कि इस अपराध के लिए, सजा के तौर पर जुर्माना दस हज़ार होगा, पचास हज़ार होगा। लेकिन कुछ IPC के सेक्शंस ऐसे हैं, जंहा पर जुर्माने को डिफाइन नहीं किया गया। जुर्माना होगा, लेकिन कितना होगा यह नहीं लिखा गया है। लेकिन IPC Section 63 में ये ही बताया गया है, की जिस सेक्शन में जुर्माने को डिफाइन नहीं किया गया, वंहा पर कोर्ट अपनी मर्ज़ी से, अपनी इच्छा से परिस्थितियो को देखते हुए अनलिमिटेड जुर्माना लगा सकती है। लेकिन अनलिमिटेड का मतलब ये नहीं है, की कोर्ट कितना भी जुर्माना लगा सकती है, ज़रूरत से ज़्यादा नहीं होना चाहिए, हद से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। उसके लिए कोर्ट तीन पॉइंट को देखती हैं। पहला अपराधी की आर्थिक स्थिति, उसकी कमाई कितनी है, एक साल में वह कितना कमाता है। दूसरा उसका अपराध, की उस अपराधी ने क्या अपराध किया है, वह अपराध कितना ज़्यादा गंभीर है। और तीसरा victim (जिसके साथ अपराध हुआ है), victim के हालात देखे जाएंगे, कि उसका आर्थिक नुकसान कितना हुआ है, उसको मानसिक तरीके से कितना नुकसान हुआ है। यह तीनों पॉइंट खास तौर पर देखे जाते है। तब यह सारी चीज़ें देख कर ही जुर्माना लगाया जाता है। ये ही IPC Section 63 कहता है।