IPC 85 in Hindi- धारा 85 क्या है?- सजा, जमानत, बचाव- उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए IPC 85 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, दोस्तों अगर किसी व्यक्ति ने नशे में कोई अपराध कर दिया तो उसको उस अपराध की सज़ा क्यों नहीं मिलेगी? क्या भारतीय संहिता उन लोगों का बचाव करती है, जो नशे में कोई अपराध करते हैं? जैसे किसी को गोली मार दी, किसी का मर्डर कर दिया, किसी के साथ लुट पाट या किसी भी तरीके का ऐसा कोई अपराध अगर किसी व्यक्ति ने नशे में कर दिया है, तो उसको बचाव क्यों मिलेगा? क्यों उसको सामान्य व्यक्ति के तरीके से दंड नहीं मिलेगा? क्यों उसको सज़ा नहीं मिलेगी? आज के इस आर्टिकल में हम भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 85 क्या होती है?,ये धारा  कब लगती है? के बारे में आपको बताएँगे।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 85 क्या होती है?


IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 85 के अनुसार:-

ऐसे व्यक्ति का कार्य जो अपनी इच्छा के विरुद्ध मत्तता में होने के कारण निर्णय पर पहुंचने में असमर्थ है :- “कोई बात अपराध नहीं है, जो ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय मत्तता के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह कि जो कुछ वह कर रहा है वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है, जानने में असमर्थ है, परन्तु यह तब जब कि वह चीज, जिससे उसकी मत्तता हुई थी, उसके अपने ज्ञान के बिना या इच्छा के बिना या इच्छा के विरुद्ध दी गई थी। और गुण का उसे ज्ञान नहीं था।”


As per section 85 of IPC (Indian Penal Code) :-

Act of a person incapable of judgment by reason of intoxica­tion caused against his will :- “Nothing is an offence which is done by a person who, at the time of doing it, is, by reason of intoxication, incapable of knowing the nature of the act, or that he is doing what is either wrong, or contrary to law; provided that the thing which intoxicated him was administered to him without his knowledge or against his will.”

IPC 85 in Hindi – आईपीसी की धारा 85 क्या है?

ऊपर जो डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ।

अगर किसी व्यक्ति ने नशे की अवस्था में कोई अपराध किया है, तो इसके लिए उस व्यक्ति को सज़ा नहीं मिलेगी, बशर्ते कि वह नशा उस व्यक्ति ने अपनी इच्छा से ना किया हो। यानी उस व्यक्ति ने वो नशा अपनी इच्छा से नहीं किया किसी दूसरे व्यक्ति ने उसको जबरदस्ती वो नशा कराया। वह नशा नहीं करना चाहता था। और उस नशा करने के बाद उस व्यक्ति की जो मानसिक अवस्था है, वह इस स्थिति में नहीं है, कि वह अपने द्वारा किए गए कार्य के जजमेंट को समझ सके, अपने द्वारा कार्य के निर्णय को समझ सके। तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध पर उस व्यक्ति को कोई दंड नहीं मिलेगा।

थोड़ा और डिटेल में आपको बताता हूं, कि अगर कोई व्यक्ति नशे की अवस्था में है, और वो नशा उस व्यक्ति ने स्वयं नहीं किया है, बल्कि उसको किसी दूसरे व्यक्ति ने करा दिया है, उसकी अपनी इच्छा नशा करने की नहीं थी। उसके बावजूद भी अगर किसी व्यक्ति ने उसको नशा करा दिया है, धोखे से या जबरदस्ती या दबाव बनाकर, और उस नशे को करने के कारण उस व्यक्ति की जो मानसिक अवस्था है, वो उस बात को समझने की स्थिति में नहीं है, कि जो वो काम करने जा रहा है, या जो काम कर रहा है, उस काम के कारण उस व्यक्ति को सज़ा हो जाएगी या वो जो काम है, वो भारतीय कानून के विरुद्ध है। अगर कोई ऐसा काम जो भारतीय कानून के विरुद्ध है, और वह काम व्यक्ति कर रहा है, जो कि नशे की अवस्था में है, और नशा भी उस व्यक्ति ने अपनी मर्ज़ी से नहीं किया है। और उसके परिणाम को वो नहीं समझ रहा है, तो ऐसे कार्य के लिए उस व्यक्ति को दंडित नहीं किया जाएगा।

उदाहरण-

मान के चलिए, दो मित्र हैं एक मित्र ने दूसरे मित्र को कोल्ड ड्रिंक की बोतल में अल्कोहल मिला कर दे दिया। जो दूसरा व्यक्ति है, उस व्यक्ति ने उसे कोल्ड ड्रिंक समझ के पी लिया। उसको नहीं मालूम है, कि वो जो कोल्ड ड्रिंक की बोतल के अंदर जो पदार्थ पी रहा है, उसमे अल्कोहल है। अब उसके बाद उस व्यक्ति को नशा हो जाता है, और नशा भी इस अवस्था में हो जाता है, कि उसके द्वारा किए गए कार्य के परिणाम को वो समझ नहीं पा रहा है। उसके बाद उस व्यक्ति ने किसी तीसरे व्यक्ति की हत्या कर दी। तो उसके लिए अब उस व्यक्ति को दंडित नहीं किया जाएगा। क्योंकि उस व्यक्ति ने वो हत्या नशे की अवस्था में की है। और वो नशा भी उसको किसी दूसरे व्यक्ति ने धोखे से पिलाया है। उसको नहीं मालूम था, कि पिलाने वाले व्यक्ति ने कोल्ड ड्रिंक की बोतल में अल्कोहल मिला के उसको पिला दिया है। और उसको पीने के बाद उस व्यक्ति को इतना नशा हो गया, कि वह यह समझ नहीं पा रहा था, की जो वो काम कर रहा है, वह भारतीय कानून के खिलाफ है। तो उस अवस्था में उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए उस व्यक्ति को दंडित नहीं किया जाएगा। लेकिन जो पहला व्यक्ति था। जिस व्यक्ति ने उसको दबाव बनाकर उसको नशा कराया था। उस व्यक्ति को सारी परिस्थितियों के लिए ज़िम्मेदार माना जायेगा। इसलिए पहले व्यक्ति को उसकी सज़ा मिलेगी। ये ही भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 85 में बताया गया है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...