IPC Section 305 in Hindi- धारा 305 क्या है?- सजा, जमानत और बचाव

IPC Section 305 in Hindi– दोस्तों, सभी अपराधियों के अपराध करने का तरीका अलग-अलग होता है बहुत से अपराधी ऐसे भी होते हैं जो सीधे किसी को नहीं मारते बल्कि उसे मारने के लिए उसको उकसाते है तो ऐसे अपराधों के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 305 के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाती है।

IPC Section 305 in Hindi – धारा 305 क्या है? ओर ये कब लगती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 305 के अनुसार, “यदि कोई अठारह वर्ष से कम आयु का व्यक्ति, कोई उन्मत्त व्यक्ति, कोई विपर्यस्त चित्त व्यक्ति, कोई जड़ व्यक्ति, या कोई व्यक्ति, जो मत्तता की अवस्था में है, आत्महत्या कर ले तो जो कोई ऐसी आत्महत्या के किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह मृत्यु या आजीवन कारावास या कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष से अधिक की न हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।”

इसे आसान भाषा में समझे तो, आईपीसी धारा 305 ऐसे लोगों के ऊपर लगायी जाती है जो व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र के नसे मे लिप्त या पागल बच्चों को मारने के लिए बार बार उकसाता है। और बार बार उकसाने से जब वह बच्चा आत्महत्या कर लेता है तो उकसाने वाले व्यक्ति के ऊपर धारा 305 के तहत मुकदमा दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की जाती है। अगर उस अपराध की पुष्टि हो जाती है तो कोर्ट उसे कठोर सजा देती है। इसको उदहारण देकर बताते है।

उदहारण-

एक नाबालिग बच्चा जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम थी वह नशे का आदी हो गया था और हर रोज नशे में लिप्त रहता था इसी बात का फायदा उठाकर उसके पड़ोसी उसे रोज मरने के लिए उकसाया करते थे।

एक दिन वह नशे में धूत था और जब घर पहुंचा तो घर वालों ने इसका विरोध किया ऐसे में उसका पड़ोसी उसे फिर से आत्महत्या करने के लिए उकसा दिया। और वह बच्चा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया

घर वालों के माध्यम से पुलिस को खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई और पड़ोसी को बार-बार आत्महत्या को उकसाने के जुर्म में भारतीय दंड संहिता की इस धारा के तहत केस दर्ज करके जेल भेज दिया।

IPC Dhara 305 में सजा का क्या प्रावधान है?

शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण करने के जुर्म में आईपीसी की धारा 305 लगती है। ऐसा घोर अपराध करने पर आरोपी व्यक्ति को सजा में मृत्युदंड, आजीवन कारावास, या 10 वर्ष तक की सजा, और आर्थिक जुर्माना भी लग सकता है। जो किये गये अपराध के उपर निर्भर करता है।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
शिशु या उन्मत्त व्यक्ति की आत्महत्या का दुष्प्रेरण मौत या आजीवन कारावास या 10 साल + जुर्माना यह धारा संज्ञेय (Cognizable) अपराध की श्रेणी में आती है। यह गैर-जमानतीय अपराध है यह सत्र न्यायालय के द्वारा विचाराधीन होती है।

IPC Dhara 305 मे जमानत का क्या प्रावधान है?

आईपीसी की धारा 305 एक गैर जमानती धारा है और इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस केस में जमानत मिलना थोड़ा मुश्किल है। इसके लिए आपको अच्छे से अच्छा क्रिमिनल वकील करना पड़ेगा। यह धारा सत्र न्यायालय के द्वारा विचारणीय है।

इसमें वकील की भूमिका क्या है?

इस धारा में वकील की अहम भूमिका है जो इस केस से संबंधित सभी कानूनी जानकारी आपको देगा और आपके लिए आपका केस लड़ेगा। लेकिन इसके लिए आपको योग्य वकील की जरूरत है। चाहे आप पीड़ित हो या अपराधी।

FAQs-

प्रश्न:- IPC 305 का मतलब क्या होता है?

उत्तर: यदि कोई नाबालिग (जिसकी आयु अठारह वर्ष से कम हो), उन्मत्त, भ्रांतचित्त, मूर्ख व्यक्ति, या कोई व्यक्ति जो नशे की अवस्था में है, अगर वह आत्महत्या कर ले और उसको किसी अन्य व्यक्ति ने आत्महत्या के लिए उकसाया हो तो ये कानून की नज़र में संज्ञेय अपराध माना गया है। ऐसा करने पर उकसाने वाले व्यक्ति को दण्डित किया जायेगा।

प्रश्न:- IPC 305 के मामले में सजा क्या है?

उत्तर: धारा 305 को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अगर न्यालय में आरोपी व्यक्ति पर अपराध सिद्ध हो जाता है तो उस अपराधी को सजा में मौत या आजीवन कारावास या 10 साल की सजा + जुरमाने से दण्डित किया जा सकता है।

प्रश्न:- IPC 305 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध है?

उत्तर: धारा 305 को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इस धारा के अंतर्गत किये हुए अपराध संज्ञेय अपराध होते है।

प्रश्न:- IPC की धारा 305 जमानती अपराध है या गैर-जमानती अपराध है?

उत्तर: धारा 305 एक गैर-जमानती अपराध है। जिससे जमानत के लिए आपको कोर्ट जाना होगा।

प्रश्न:- IPC 305 का मुकदमा किस अदालत में चलाया जा सकता है?

उत्तर: ऐसे अपराध की सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है।

प्रश्न:- IPC 305 के अपराध में समझौता किया जा सकता है?

उत्तर: नहीं, ऐसे अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...