Rajeev Vs. Radha Divorce Judgement

प्रस्तुत वाद वादी की ओर से विपक्षिनी के विरूद्ध इस आशय का प्रस्तुत किया गया है कि वादी व विपक्षिनी के मध्य हुयी शादी दिनांक २८.११.२०१७ को अवैध व गैर कानूनी एवं शून्य घोषित किये जाने की डिक्री पारित की जावे।

वादी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि वादी/ प्रार्थी व विपक्षिनी का विवाह साधारण तरीके से दिनांक २८.११.२०१७ को बिना किसी दान दहेज के साथ रासी एजूकेशनल इन्स्टीटयूट आगरा रोड मैनपुरी में हुआ था। वादी पूर्व में शादीशुदा था परन्तु वादी की पूर्व पत्नी की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी थी । वादी के घर में विपक्षिनी केयर टेकर के रूप में नियुक्त थी इस वजह से वादी एवं विपक्षिनी के सम्बन्ध शादी दिनांक २८.११.२०१७ आठ वर्ष पूर्व हो गये थे। विपक्षिनी ने वादी से शादी करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि मैने अभी तक शादी नही की है अगर आप चाहे तो मुझसे शादी कर सकते हैं क्योकि मै आपसे शादी करने के लिए तैयार हॅू। इस पर वादी ने भी विपक्षिनी से शादी के लिए हॉ कर दी। इस प्रकार वादी व विपक्षिनी की शादी एक साधारण तरीके से दिनांक २८.११.२०१७ को रासी एजूकेशनल इन्स्टीटयूट आगरा रोड मैनपुरी में कर ली । वादी और विपक्षिनी की शादी होने के बाद विपक्षिनी वादी के घर पर रहने लगी तथा वादी ने विपक्षिनी की हर सुख सुविधा का ख्याल रखा तथा अपना पति धर्म निभाया परन्तु विपक्षिनी ने अपनी पत्नी धर्म का पालन मन से नही किया ।

वादी को अफवाहन पता चला कि विपक्षिनी पहले से उमेश सिंह पुत्र पातीराम निवासी कांकन थाना व तहसील करहल मैनपुरी की शादीशुदा पत्नी है तथा विपक्षिनी व उमेश सिंह के संसर्ग से विपक्षिनी के एक पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम निखिल कुमार पुत्र उमेश सिंह है। वादी को जब विपक्षिनी के पूर्व में शादीशुदा व बच्चा होने की पूर्ण जानकारी हुयी तो वादी ने विपक्षिनी से पूछा कि आपने मेरे साथ धोखाधडी व जालसाजी से शादी की है, इस पर विपक्षिनी ने वादी से कहा कि हॉ मैने धोखाधडी व जालसाजी से तुमसे शादी की है। वादी एवं विपक्षिनी की शादी एक जालसाजी व षडयंत्र व धोखाधडी पर आधारित है लिहाजा शादी दिनांकित २८.११.२०१७ निम्न आधारो पर अवैध व गैर कानूनी घोषित किये जाने योग्य है- शादी दिनांकित २८.११.२०१७ जालसाजी एवं धोखाधडी, षडयंत्र पर आधारित है। शादी दिनांकित २८.११.२०१७ एक साज पर आधारित है।

विपक्षिनी ने अपने पूर्व पति उमेश सिंह पुत्र पातीराम से बिना तलाक लिये वादी से शादी की है इसी आधार पर शादी दिनांकित २८.११.२०१७ अवैध व गैर कानूनी है। शादी दिनांकित २८.११.२०१७ झूठ और फरेब पर आधारित है। विपक्षिनी के पूर्व पति उमेश सिंह पुत्र पातीराम के साथ न तो तलाक हुआ है और न ही उसकी मृत्यु हुयी है। इस वजह से शादी दिनांकित २८.११.२०१७ गैर कानूनी व अवैध घोषित किये जाने योग्य है। शादी दिनांकित २८.११.२०१७ पूर्व नियोजित तरीके से वादी की चल अचल सम्पत्ति हडपने की गरज से की गयी है। लिहाजा शादी दिनाकित २८.११.२०१७ इसी आधार पर गैर कानूनी व अवैध घोषित किये जाने योग्य है। विपक्षिनी ने अपने पूर्व पति उमेश सिंह पुत्र पातीराम के खिलाफ माननीय न्यायालय में ही अं० धारा १३ हि०वि० अधि० के तहत मूलवाद सं० ४३६ / २०१६ राधा बनाम उमेश सिंह भी दायर किया है जो विचाराधीन है। इससे यह साबित होता है कि विपक्षिनी ने वादी के साथ धोखाधडी व जालसाजी से वादी की सम्पत्ति हडपने की गरज से फर्जी तरीके से शादी की है । वादी के मोहल्ले में पार्टीबन्दी व गुटबन्दी चरमसीमा पर कायम चली आ रही है तथा वादी के मुखालिफीन लोगो ने विपक्षिनी से साजिश करके व उनके बहकाने से मुझ वादी से फर्जी व जालसाजी व षडयंत्र के आधार पर रासी एजूकेशनल इन्स्टीटयूट आगरा रोड मैनपुरी में साधारण तरीके से शादी कर ली है इस वजह से विपक्षिनी वादी को आर्थिक रूप से परेशान करने की फिराक में मशगूल रहती है।

विपक्षिनी बेहद चालाक व बेइमान व षडयंत्रकारी महिला है इस वजह से मोहल्ले की अंधिकांश जनता सही बात कहने से घबराती है। अरसा करीब दो दिन का हुआ कि विपक्षिनी ने बदनीयती से प्रेरित होकर वादी को ऐलानियॉ धमकी दी है कि मैने तुम्हारे साथ धोखाधडी व षडयंत्र व जालसाजी से शादी कर ली है और तुम्हे मरवाकर तुम्हारी अचल सम्पत्ति को हडप लेगे और जो कोई भी विपक्षिनी के उक्त बेजा फैल में किसी भी प्रकार की दखलंदाजी करने का साहस करेगा तो उसकी जान की खैर नही होगी। जब विपक्षिनी को उक्त बेजा फैल करने व कराने का कोई भी विधिक हक हरगिज हासिल नही है। यदि विपक्षिनी अपने उक्त बेजा फैल में किसी भी प्रकार से कामयाब हो गयी तो वादी की कमाल हक तल्फी व अपूर्तनीय क्षति मुतसब्बिर होगी । ऐसी स्थिति में विपक्षिनी के विरूद्ध डिक्री/ उदघोषणा पारित फरमायी जानी न्यायहित में आवश्यक है।

वादी ने विपक्षिनी से हरचन्द कहा और कहलवाया कि वादी व विपक्षनी के मध्य हुयी जालसाजी व धोखाधडी व षडयंत्र के आधार पर शादी को अवैध व गैर कानूनी घोषित करा लेवे, और अपने उक्त बेजा फैल को करने व कराने से बाज रहे। मगर विपक्षिनी किसी भी सूरत में मुतवज्जह नही हुयी। लिहाजा विपक्षिनी के विरूद्ध दावा हाजा माननीय न्यायालय में मजबूरन दायर किया जाता है। वाद का कारण बरोज देने धमकी व करने आखिरी इन्कार हरिदर्शन नगर परगना, तहसील व जिला मैनपुरी में दिनांक १५.०१.२०१८ को माननीय न्यायालय की सीमा क्षेत्र के अन्तर्गत पैदा हुआ और माननीय न्यायालय को ही दावा हाजा सुनने व निर्णीत करने का पूर्ण हक हासिल है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

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