Smt. Soni Vs. Satendra 125 CRPC Judgement

याचीगण की ओर से यह प्रार्थना पत्र धारा 125 दं.प्र.सं. के अन्तर्गत विपक्षी से भरण-पोषण भत्ता प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

प्रार्थिनी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थिनी की शादी दिनांक 17-12-2012 को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार विपक्षी के साथ सम्पन्न हुई थी । प्रार्थिनी कें पिता ने अपनी सामर्थ के अनुसार विवाह में 1,50,000/- नकद तथा वर्तन व घरेलू सामान तथा अन्य उपहार भी दिये थे। प्रार्थिनी विवाह के उपरान्त विदा होकर अपनी ससुराल गयी और दाम्पत्य कर्तव्यों का पालन किया । विपक्षी व उसके परिवारीजन सास, ससुर व देवर व ननद प्रार्थिनी के पिता के द्वारा दिये गये दान दहेज से सन्तुष्ट नहीं थे और अतिरिक्त दहेज में एक मोटर साईकिल हीरो होन्डा की मॉग करने लगे तथा प्रार्थिनी को तंग व परेशान करने लगे। यह बात प्रार्थिनी ने अपनी ससुराल से लौटने बाद अपने माता-पिता को बतायी। प्रार्थिनी जब विदा होकर अपनी ससुराल गयी तो विपक्षी व उसके परिजनों ने अतिरिक्त दहेज के लिए तंग व परेशान करना शुरू कर दिया तो प्रार्थिनी के मायके वालों ने विपक्षी व उसके उसके परिजनों को समझाने की कोशिश की, प्रार्थिनी इसी दौरान गर्भवती हो गयी परन्तु विपक्षी व उसके परिजनों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तथा दिनांक 30-11-2013 को मारपीट कर समस्त स्त्रीधन छीनकर फटे पुराने कपडों में निकाल दिया ,प्रार्थिनी वमुशिकल अपने मायके पहुँची तथा प्रार्थिनी व उसके परिजनों ने पंचायत की कोशिश की परन्तु विपक्षी व उसके परिजन बिना अतिरिक्त दहेज के मानने को तैयार नहीं हुये। इसी बीच प्रार्थिनी ने एक सन्तान आवेदक संख्या – 2 अंशू को जन्म दिया ।

प्रार्थिनी अन्तिम बार दिनांक 05-01-2016 को अपने पिता के साथ अपनी ससुराल बच्चे के साथ गयी तथा विपक्षी व उसके माता पिता व देवर-ननद ने अपने घर में रखने से मना कर दिया और डाट फटकार भगा दिया तथा कहा कि जब तक अतिरिक्त दहेज की माँग पूरी नही हो जायेगी तब तक घर में नहीं रहने देगें। प्रार्थिनी को जब से विपक्षी ने घर से निकाला है तब से न तो बुलाने आया और ना ही कोई खर्चा दिया । प्रार्थिनी अपने मायके में रह रहीं है । प्रार्थिनी बिना पढी लिखी महिला है, वह ऐसा कोई कार्य व धन्धा नहीं जानती है जिससे वह अपना व अपने बच्चे का भरण पोषण कर सकें । विपक्षी पूर्ण रूप से स्वस्थ व हष्ट पुष्ट शरीर का व्यक्ति है । पक्का मकान है, खेती 20 बीघा अच्छी किस्म की है तथा विपक्षी पढा लिखा व्यक्ति है जो प्राईवेट स्कूल में शिक्षण का कार्य रकता है जिससे दस हजार रूपये प्रतिमाह वेतन मिलता है तथा दूध का धन्धा करता है, जिससे कुल मिला 20,000/-रूपये प्रतिमाह की आमदनी है। प्रार्थिनी ने स्वयं के लिए भरण पोषण हेतु 10,000 रूपये प्रतिमाह एंव आवेदक संख्या-2 अन्शू के भरण पोषण हेतु 5,000 /- रूपये प्रति माह, इस प्रकार कुल 15,000/-रूपये दिलाये जाने हेतु निवेदन किया गया । प्रार्थिनी के वाद पत्र के कथन शपथ पत्र कागज संख्या – 4 व से समर्थित है।

विपक्षी को नोटिस भेजे गये, विपक्षी न्यायालय उपस्थित आया। विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र/जवाव दावा कागज संख्या – 9 अ प्रस्तुत किया गया । विपक्षी ने अपनी आपत्ति में वादिया के साथ विवाह का होना स्वीकार किया है । उत्तरदाता ने वादिया के दावा की जिमन संख्या-2 लगायत 6 स्वीकार नहीं है तथा वाद पत्र की जिमन संख्या – 7 में सिर्फ एक बच्चा आशू होना स्वीकार है तथा शेष अस्वीकार है। वाद पत्र में जिमन संख्या – 8 लगायत 12 स्वीकार नहीं है। विपक्षी की ओर से अपने प्रतिवाद पत्र में विशेष विरोध में अभिकथित किया गया है कि दावा वादिया खिलाफ कानून व खिलाफ वाक्यात है । विवाह के उपरान्त वादिया विदा होकर उत्तरदाता के घर आयी और उत्तरदाता ने वादिया के साथ सभी दाम्पत्य कर्तव्यों का निवर्हन किया तथा वादिया को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होन दी। शादी के कुछ दिनों बाद वादिया उत्तरदाता से कहने लगी कि अपने माता पिता से अलग होकर वादिया के साथ रहे, उत्तरदाता नें कहा कि अभी अभी शादी हुई और मैं अभी अपने माता पिता से अलग नहीं रहूँगा तो वादिया नाराज हो गयी तथा उत्तरदाता व उसके घरवालों ने लड झगड कर अपमानजनक व्यवहार करने लगी। उत्तरदाता ने वादिया को काफी समझाया तथा उसके परिजनों से समझाने को कहा तो वादिया व उसके परिवार ने कोई ध्यान नहीं दिया ।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...