अभियुक्तगण सुक्रमपाल, अमर सिंह, श्रीमती मंगलो, ऋषिपाल, सुधीर व केशोराम के विरूद्ध थाना मुरादनगर जिला गाजियाबाद की पुलिस द्वारा अन्तर्गत धारा ४९८ए, भा०दं०सं० व ३/४ प्रतिषेद्ध अधिनियम के अन्तर्गत आरोप पत्र न्यायालय में विचारण हेतु प्रेषित किया गया है, जिसके आधार पर उपरोक्त अभियुक्तगण का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया गया।
संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि, वादिनी मुकदमा संतोष पुत्री नैन सिंह आर्य ने थाना मुरादनगर पर इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि उसकी शादी दिनांक १५.०४.१९९८ को सुक्रमपाल पुत्र अमर सिंह के साथ हुइ थी। शादी में उसके पिता ने अपनी सामर्थ्य अनुसार दहेज दिया था। शादी के कुछ दिन बाद मेरी सास मंगलो व ससुर अमर सिंह व मेरा पति सुक्रमपाल व इनका दूर का रिस्तेदार केशोराम पुत्र हुकम सिंह ग्राम मैथना थाना इंचौली सुधीर पुत्र श्री केसोराम व मेरा जेठ ऋषिपाल इन सब परिवार के लोगों ने मेरे साथ अत्याचार करने व दहेज का सामान लाने के लिए दबाव डालने लगे कि हमें २५,०००/-रूपये, एक स्कूटर, एक फ्रिज, एक कलर टी.वी. व गले की सोने की चेन अपने पिता जी से दिलवाओ, यदि वह सामान हमें नहीं दिलवाया तो हम तुझे छोड देगें या आग लगाकर या जहर की गोली देकर जान से मार देगें। यदि तेरे पिता जी ने बिरादरी, रिस्तेदार अथवा पुलिस का सहारा लिया तो हम तुझे जान से मार देगें। दिनांक ०२.०८.१९९८ को इन सबने मिलकर मुझे जान से मारने का प्लान बनाया मुझे मालूम हुआ कि ये लोग मुझे जाने से मार देगें तब मैंने तुरन्त ही अपनी बहन किरन व मौसा समय सिंह से बात की मेरी बहन व मेरे मौसा वहीं ग्राम थिरोट में ही रहते हैं, जिन्होंने तुरन्त ही मेरे पति सुक्रमपाल व मेरे ससुर अमर सिंह व उसके परिवार वालों को धमकाया व समझाया दिनांक २८.०८.१९९८ को मेरा ससुर अमर सिंह व मेरा पति सुक्रमपाल मुझे मेरे पीहर लेकर आये और मेरे से दहेज का सामान लेने व रूपयों के लिए कहलवाया कि अपने पिता जी से हमें यह सामान दिलवाओ जो हम मांग कर रहे हैं। मैंने अपने पिता जी से रोकर कहा कि पिताजी अपनी जमीन बेचकर मेरी ससुसराल वालों को यह सामान दे दो यदि मेरी जिन्दगी चाहते हो तो, नहीं तो ये लोग मुझे जान से मार देगें। उस समय मेरे पिताजी ने मना कर दिया। यह मुझे लेकर अपने घर चले आये और कुछ समय बाद फिर केसोराम व सुधीर के कहने पर मेरे साथ मारपीट व तंग करना शुरू कर दिया कि दहेज लेकर आये बार-बार मुझसे कहते रहे कुछ समय बाद मैंने एक बच्ची को जन्म दिया। १५ दिन बाद मेरे पीहर वालों से फिर छुछक में २५,०००/-रूपये अथवा उपरोक्त सामान मांगा मेरे पिता जी ने ग्राम थिरोट में प्रधान के घर जाकर उसे साथ लेकर थाना जानी में प्रार्थना पत्र लिखकर दिया, पहले भी कइ बार थाना जानी में लिखकर दे चुके हैं। परन्तु पुलिस के दबाव में ये लोग नहीं माने, इन्होंने फिर मेरे उपर मिटटी का तेल छिडककर मुझे जलाना चाहा था उसी समय मेरी बहन किरन व मेरे मौसा समय सिंह ने मुझे बचाया और मेरे पिताजी को बुलवाया। मेरे पिताजी ने दिनांक २९.११.१९९८ को थाना जानी में दरख्वास्त भी दी ग्राम थिरोट में पुलिस पहुंची लेकिन गावं के मौजिज आदमियों ने राजीनामा करा लिया और मेरे जेठ बीरबल, जेठानी व प्रधान पर जिम्मेदारी दी, जो थाना जानी में लिखकर दिया। जिसकी एक कापी हमारे पास है। उसे मैं संलग्न कर रही हूं। कुछ दिन बाद मुझे पहने हुए कपडों में नंगे पैर मुझे घर से निकाल दिया, मेरे पास चार माह की बच्ची थी। वह भी इन लोगों ने छीन ली। मेरे पिता जी उसी समय लेने के लिए जा रहे थे। गांव के बाहर ही मिल गये, मेरे पिताजी ने प्रधान राजपाल के यहां उन लोगों को वहां बुलवाया, वहां बस्ती वाले भी मौजूद थे। उस समय उन लोगों ने कहा कि आप थाना जानी जाकर मुकदमा दर्ज कराये। पिता जी ने मुझे लेकर थाना जानी गये वहां से बयान कराकर एक प्रार्थना पत्र दी, अगले दिन पुलिस के दबाव देने से इन लोगों ने मेरी बच्ची को मेरे पास पहुंचा दिया। इसके बाद मेरा ससुर अमर सिंह व मेरा पति सुक्रमपाल भविष्य में ऐसा न होने का आश्वासन देकर ग्राम थिरोट में ले आये। अब फिलहाल उपरोक्त लोगों ने मारपीट कर मुझे पाइपलाइन सरना चौपला मुरादनगर पर छोडकर चले आये। रिपोर्ट लिखकर कानूनी कार्यवाही करने की कृपा करें। उक्त तहरीर के आधार पर सम्बन्धित थाना पर मुअ०सं० ४२/२००० अन्तर्गत धारा ४९८ए, भा०दं०सं० व ३/४ दहेज प्रतिषेद्ध अधिनियम बनाम अमर सिंह आदि पंजीकृत किया गया।
प्रकरण की विवेचना विवेचक को सुपुर्द की गयी। विवेचक द्वारा गवाहों का बयान अंकित किया गया, घटना स्थल का निरीक्षण करके नक्शा नजरी तैयार किया गया तथा अभियुक्तगण सुक्रमपाल, अमर सिंह व श्रीमती मंगलो, ऋषिपाल, सुधीर व केशोराम के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए धारा ४९८ए, भा०दं०सं० व ३/४ दहेज प्रतिषेद्ध अधिनियम के अन्तर्गत आरोप पत्र विचारण हेतु इस न्यायालय में प्रेषित किया गया।
अभियुक्तगण सुक्रमपाल, अमर सिंह व श्रीमती मंगलो, ऋषिपाल, सुधीर व केशोराम को आहुत किया गया। अभियुक्तगण न्यायालय में उपस्थित आये। अभियुक्तगण पर धारा ४९८ए, भा०दं०सं० व ३/४ दहेज प्रतिषेद्ध अधिनियम के अन्तर्गत आरोप विरचित किया गया, अभियुक्तगण ने आरोपों से इन्कार किया तथा परीक्षण की मांग की।
अभियोजन पक्ष की ओर से अभियुक्तगण के विरूद्ध लगाये गये आरोपों को संदेह से परे साबित करने के लिए साक्षी पी.डब्लू. १ नैन सिंह, पी.डब्लू. २ श्रीमती संतोष, पी.डब्लू. ३ बी.एल. कश्यप, पी.डब्लू, ४ समय सिंह, पी.डब्लू, ५ किरन को परीक्षित कराया गया है। अन्य कोई साक्षी अभियोजन पक्ष की ओर से परीक्षित नही कराया गया, जिस कारण अभियोजन साक्ष्य का अवसर समाप्त किया गया।
अभियुक्तगण अमर सिंह व श्रीमती मंगलो की दौरान विचारण मृत्यु हो गयी, इसलिए उनके विरूद्ध मामला अवेट किया जा चुका है।
अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के उपरान्त अभियुक्तगण का बयान अर्न्तगत धारा ३१३ दं०प्र०सं० अंकित किया गया, जिसमें उनके द्वारा घटना से इंकार किया गया, तथा सफाई में साक्ष्य देने से भी इन्कार किया गया।
अभियुक्तगण के विद्वान अधिवक्ता तथा अभियोजन पक्ष के तर्को को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का अवलोकन किया।