यह विचारण थाना मण्डावर जिला बिजनौर के विवेचक द्वारा अभियुक्तगण के विरुद्ध अन्तर्गत धारा 498a, 323, 504, 506 भा0दं0सं0 व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अधीन आरोप पत्र दिनांकित 29-04-2010 प्रेषित करने पर प्रारम्भ हुआ।
संक्षेप में अभियोजन कथन इस प्रकार से है कि वादनी फात्मा की शादी करीब एक वर्ष एक माह पहले विपक्षी संख्या के साथ हुई थी, जिसमें हैसियत के अनुसार दहेज दिया था। निकाह से पहले सगाई के वक्त एक अंगूठी सोने की, एक चांदी की अंगूठी, पाजेब चांदी, एक पैंडिल सोने का, एक कुन्डल तथा 31 जोड़े कपड़े मर्दाने दिये थे तथा 21 हजार रूपये नकद समधी व लड़के को दिये थे। एक घड़ी, सात चीजे, गले का पैडिंल सोने के कुन्डल, सोने की लौंग, अंगूठी, पायल, गले की चैन, चार चूड़ी सोने की दी थी जिनकी कीमत करीब 1,50,000/-रू0 है। बारात में 300 आदमी आये थे, जिनके खाने पर 60 हजार रूपये खर्च हुए थे। लड़की जब ससुराल जाती थी तभी मोटर साइकिल व भैंस की मांग करते थे। उसके पिता ने दो भैंसे पहले ही दहेज में दे दी थीं। फिर भी उसके साथ मारपीट करते और दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित करते थे। दो बार उसके उपर मिटटी का तेल डालकर जलाकर मारने का प्रयास किया। उसने शोर मचाया तो उसे पड़ोसी ने बचाया तथा फोन पर उसके माता-पिता को बुलाया। उसे उसके साथ भिजवा दिया। ऐसा काम दो-तीन बार किया। एक बार उसके पिता के यहां पंचों के सामने कहा कि हम इसे तंग नहीं करेगें। फैसला किया, जिसकी नकल हमरिश्ता है।
दिनांक 10-08-2009 को विपक्षीगण ने एकराय होकर उसे जलाने व खत्म करने की नियत से शाम के 08:00 बजे उसे उसकी ससुराल वालों ने मारना-पीटना शुरू कर दिया और कहा कि आज इसका खात्मा ही कर देते हैं। उसे पांचों ने लात-घूसों व लाठी-डंडों से मारा-पीटा व चोटे पहुंचाईं| मिटटी के तेल की कनस्तरी उसके उपर कपड़ों पर डाल दी और उसे जलाना चाहा। उसने शोर मचाया तो पड़ोसी आ गये। वह अपनी जान बचाने के लिए इलियास के घर में घुस गयी और अपनी जान बचायीं उन्होंने ही उसके माता-पिता के यहां फोन कर दिया। अगले दिन उसके माता-पिता मुन्नू व सौराज के साथ उसकी ससुराल आये। विपक्षीगण ने उसके पिता व साथ गए लोगों को भी गंदी-गंदी गालियां दी और उनके साथ भी मारपीट की। उसके व उसके पिता के शरीर पर खुली व गुम चोटों के निशान हैं। उसने अपना व अपने पिता का मेडिकल कराया। विपक्षीगण ने उसके सारे रास्ते बंद कर दिये थे व उसे थाने नहीं जाने दिया।
वादनी मुकदमा फात्मा के टाईपुशुदा प्रार्थना पत्र अन्तर्गत धारा 156(3) दं0प्रएसं) पर न्यायालय के आदेश दिनांकित 21-10-2009 के आधार पर अभियुक्तगण मनब्बर, नूरा, महबूब, महमूद और नसरीन के विरूद्ध थाना मण्डावर पर मुकदमा अपराध संख्या 1280/2009 अन्तर्गत धारा 498a, 323, 504, 506 भा0दं0सं0 व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम दिनांक 21-12-2009 समय 14:00 बजे पंजीकृत हुआ।
विवेचक द्वारा मामले की विवेचना की गयी। वादनी एवं गवाहों के बयान अंकित किये गये तथा घटना स्थल का निरीक्षण कर नक्शा नजरी तैयार किया गया। बाद सम्पूर्ण विवेचना अभियुक्तगण मनब्बर, नूरा, महबूब, महमूद और नसरीन के विरुद्ध धारा 498a, 323, 504, 506 भा0दं0सं0 व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अधीन विचारण हेतु आरोप-पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया, जिस पर न्यायालय द्वारा प्रसंज्ञान लिया गया।
अभियुक्तगण मनब्बर, नूरा, महबूब, महमूद और नसरीन के विरूद्ध न्यायालय द्वारा आरोप अन्तर्गत धारा 498a, 323, 504, 506 भा0दं0सं0 व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम दिनोक 20-05-2011 को विरचित किया गया। आरोप अभियुकतगण को पढ़कर सुनाया व समझाया गया, अभियुक्तगण ने घटना से इन्कार किया तथा विचारण की मांग की।
अभियोजन पक्ष की ओर से अपने कथानक के समर्थन में पी0 डब्ल्यू01 फात्मा, पी0 डब्ल्यू02 सलामुददीन, पी0 डब्ल्यू03 श्रीमती साबरा और पी0 डब्ल्यू04 रिटायर्ड एस” आई0 प्रेम सिंह को परीक्षित कराया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अन्य कोई साक्षी परीक्षित नहीं कराया गया।
अभियुक्तगण मनब्बर, नूरा, महबूब, महमूद और नसरीन का बयान अन्तर्गत धारा 313 दं0प्र/सं) दिनांक 2-09-2016 को न्यायालय द्वारा अंकित किया गया, जिसमें अभियुक्तगण ने वादनी द्वारा झूठा मुकदमा किया जाना व साक्षीगण द्वारा रंजिशन झूठी गवाही दिया जाना कथित किया गया।
अभियुक्तगण को सफाई साक्ष्य का अवसर प्रदान किया गया। अभियुक्तगण की ओर से सफाई में डी0 डब्ल्यू01 ब्रजपाल सिंह उर्फ मुन्नू और डी0 डब्ल्यू02 मौ0 इलियास को परीक्षित कराया गया। अन्य कोई साक्षी परीक्षित नहीं कराया गया।