State of UP vs Neeraj 498a Judgement

१- थाना महिला थाना जनपद गाजियाबाद की पुलिस द्वारा अभियुक्तगण नीरज शर्मा,सुनीता शर्मा व विजय कुमार के विरूध धारा 498a, 323, 506 भा०दं०सं० एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम का आरोप पत्र, परीक्षण हेतु प्रेषित किया गया है।

२- संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादिनी निहारिका डोगरा पुत्री दिनेश चन्द्र डोगरा द्वारा दिनांक २७-१०-२०१० को महिला थाना गाजियाबाद पर इस आशय की रिपोर्ट दर्ज करायी गयी कि उसका विवाह दिनांक २२नवम्र २००९ को नीरज शर्मा पुत्र श्री विजय कुमार शर्मा निवासी सी-१०/ए ४४८ बृजपुरी दिल्ली -९४ से सम्पन्न हुआ था। अभी डोली को ससुराल में आए २ सप्ताह भी पूरे नही हुए थे कि उसके पति नीरज शर्मा ,सास श्रीमती सुनीता शर्मा, व ससुर विजय कुमार शर्मा ने दहेज के लिए परेशान करना शुरू कर दिया तथा बात – बात पर उसे बाइक व दो लाख रूपये नकद की मांग की जाने लगी उसके साथ हर चौथे दिन झगडा किया जाता था। उसके पति नीरज शर्मा उसके पिता से घर आकर दो लाख रूपये व बाइक की मांग को लेकर परेशान करते थे, जिससे उसकी सास सुनीता शर्मा व ससुर विजय कुमार शर्मा इन दोनों की मिलीभगत से उसके पति ये मांग रखते थे। मना करने पर उसका खाना व कहीं आना-जाना बन्द कर दिया ,किसी से मिलने नही दिया तथा जान से मारने की बात कही जाती थी। परेशानी के कारण उसक पिता ने जून २०१० में ५०,०००/- रूपये उसके ससुर विजय कुमार को दे दिये उसके उपरान्त उसके सास-ससुर ने जबरन गहने व कीमती वस्त्र छीन लिए तथा घर से अलग कर दिया। इसके बावजूद उसके सास ससुर दोनो उसके दूसरे घर में आकर पति के कान भरने लगे कि बकाया डेढ लाख रूपये कब अपने बाप से लायेगी इसके बाद वादिनी से फिर झगडा व मांग की जाने लगी। दिनांक २३-१०-२०१० को उसके सास व ससुर व पति ने मिलकर वादिनी के यहां आकर धमकाने लगे कि तेरा बाप बाकी पैसे कब दे रहा है। इस बात को लेकर पति ने उनके कहने पर पीटने लगा जब वादिनी कुछ बोलती तो ये तीनों उसे उसके पिता के घर गाजियाबाद यह कहकर छोड गये कि जब आप से डेढ लाख रूपये का इंतजाम हो जाये तो हमें ता देना तभी हम लडकी को वापस अपने घर में बसायेगें, तब से वादिनी अपने पिता के घर पर ही है। उसके पिता डेढ लाख रूपये देने में असमर्थ हैं, क्योंकि सरकारी नौकरी से उसके पिता तीन साल पहले रिटार्यर हो चुके हैं | पहले ही वादिनी के विवाह में लगभग साढे तीन लाख रूपये खर्च कर चुके हैं और जून २०१५ में ५० हजार रूपये दे चुके हैं। अब उसके पिता इनकी और मांग पूरी नही कर सकते। अतः वादिनी व उसके पिता को इन लालची परिवार से बचाया जाये व इनके विरूद्ध उचित कार्यवाही की जाये।

३- वादिनी द्वारा दी गयी प्राथमिकी के आधार पर थाना महिला थाना गाजियाबाद पर मु०अ०सं० 18/2011 धारा 498a, 323, 506 भा०दं०सं० एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम कायम किया गया। मुकदमें की विवेचना हुई। दौरान विवेचना विवेचक ने घटनास्थल का नक्शा नजरी तैयार किया तथा वादिनी व गवाहों के बयान अंकित किये। तथा विवेचन पूर्ण कर अभियुक्तगण नीरज शर्मा, सुनीता शर्मा व विजय कुमार के विरूध धारा 498a, 323, 506 भा०दं०सं० एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम का आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया।

४- मेरे विद्वान पूर्व पीठासीन अधिकारी द्वारा अभियुक्तगण नीरज शर्मा,सुनीता शर्मा व विजय कुमार के विरूध धारा 498a, 323, 504 506 भा०दं०सं० एवं 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम का आरोप लगाया गया । अभियुक्तगण ने आरोपों से इंकार किया तथा परीक्षण की मांग की।

५- अभियोजन पक्ष की ओर से साक्ष्य में पी०डब्लू । श्रीमती निहारिका, पी०डब्लू० 2 कुन्ती देवी, पी०डब्लू० ३दिनेश चन्द्र डोगरा, पी०डब्लू०४ कां० कर्लक इन्द्रजीत सिहं, पी०डब्लू० ५ श्रवण कुमार शर्मा पी०डब्लू० ६ उप निरीक्षक श्रीमती सरोज भारती, को परीक्षित कराया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से अन्य कोई साक्षी परीक्षित नही कराया गया।

६- पी०डब्लू । श्रीमती निहारिका ने न्यायालय में सशपथ बयान दिया है कि उसकी शादी नीरज के साथ २२ नवम्बर २००९ को सम्पन्न हुई थी। जब वह शादी से विदा होकर ससुराल गयी तो उसको दो सप्ताह बाद से पति नीरज शर्मा, सास श्रीमती सुनीता शर्मा , ससुर विजय कुमार शर्मा उसे दहेज के लिए परेशान करने लगे तथा दहेज में दो लाख रूपये व मोटर साईकिल की मांग करके उससे आए दिन झगडा करते रहते थे। ये बातें उसने अपने मां-बाप को बतायी थी जब उनक पिताजी उसके ससुराल में आये तो उक्त लोगों ने उसके पिता जी से भी दो लाख रूपये व एक मोटर साईकिल की मांग की थी। उसे खाना नही देते थे | परेशान होकर उसके पिता जी ने जून २०१० में पंचायत करके ५० हजार रूपये भी दे दिये कुछ दिन ठीक रहा किन्तु सन्तुष्ट नही हुए उससे सारा स्त्री धन जेवर कीमत कपडे छीन लिए और कहते थे कि बाकी डेढ लाख रूपये लाकर देगी तभा तुझे रखेगें। दिनांक २३-१-१० को मेरे घर आकर मेरे मां- बाप को धमकाया कि बाकी पैसे कब दे रहे हो, मेरे पति ने मुझे बूरी तरह से मारा पीटा तथा मुझे मेरे मायके छोड गया , और कहा कि डेढ लाख रूपये दोगें तो तुझे ले जांऊगा | जब डेढ लाख रूपये का इन्तजाम हो जाये तो हमें बता देना | इस घटना की रिपोर्ट मैने टाईप कराकर अपने हस्ताक्षर करके सी०ओ०सिटी फस्ट को दिया। पत्रावली पर साक्षी के हस्ताक्षर में है जिस पर प्रदर्श क-१ डाला गया है। तहरीरी देने के बाद पुलिस ने उससे पूछताछ की थी।

७- पी०डब्लू० १ द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में शादी के दो हप्ते बाद से दहेज मांगे जाने का कथन किया गया है। जबकि प्रति परीक्षा में इस साक्षी द्वारा कथन किया गया है कि शादी के बाद वह ६ माह तक ससुराल में रही। कोई मायके से राजी खुशी लेने नही आया। वह भी राजी खुशी मायके का नही ले सकी थी। तात्पर्य यह है कि पीडिता शादी मे ६ माह तक ससुराल में राजी खुशी से रही। जिरह में इस साक्षी द्वारा आगे कथन किया गया है कि शादी से पहले दहेज मांगा गया था। इस साक्षी का उक्त कथन तहरीर व मुख्य परीक्षा दोनों के विपरीत है। जिरह में आगे इस साक्षी द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि वह मायके जून- जुलाई २०१०में पहली बार ससुराल से आयी थी। उसे लेने पति आये थे, पति से कोई कहा सुनी नही हुई थी प्यार से लेने आये थे और प्यार से ले गये थे। अगस्त २०१० तक नीरज व उसके परिवार वालों से को कोई शिकायत नही थी। साक्षी के इस कथन से विदित होता है कि प्राथमिकी व मुख्य परीक्षा में पीडिता द्वारा यह गलत कथन किया गया है कि शादी के दो सप्ताह बाद स ही ससुराल में दहेज की मांग की जाने लगी थी। इस साक्षी द्वारा दहेज मांगने के सम्बन्ध में भिन्न-२ कथन किये गये हैं। इस साक्षी द्वारा जिरह में आगे यह भी स्वीकार किया गया है कि जब उसके पति अगस्त २०१० में लेने आये थे तो मम्मी -पापा से शिकायत किया था कि मैं ससुराल में सास-ससुर से बहस न किया करें। साक्षी के द्वारा इस समय भी यह नही कहा गया है कि सास-ससुर व पति दहेज की मांग करते हैं।

८- प्रति परीक्षा में इस साक्षी द्वारा आगे यह भी स्वीकार किया गया है कि पति उसे सास-ससुर से अलग साढे तीन माह करावल नगर दिल्ली में किराये का मकान लेकर उसके साथ रहा था। यह भी स्वीकार किया गया है कि सास-ससुर की इच्छा से पति अलग मकान लेकर रह रहे थे। बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया है कि ससुर को अस्थमा की बीमारी थी, जिसके कारण वह थूक देते थे इसलिए वादिनी ससुर से झगडती थी। इस साक्षी द्वारा आंशिक रूप से इस कथन को स्वीकार किया गया

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...