पुलिस थाना बिलारी, जनपद मुरादाबाद द्वारा अभियुक्तगण रामचन्द्र, जावित्री, एवं कल्लू पुत्र होरीलाल के विरूद्ध मुकदमा अपराध सं०-२४२/२०१०, धारा-४९८ए, ३२३, ५०४, ५०६,भा.द.सं में आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किये जाने पर यह वाद दर्ज रजिस्टर किया गया।
संक्षेप में अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि वादिनी मुकदमा श्रीमती ऊषा पत्नी रामचन्दर पुत्री स्वर्गीय मान सिंह निवासनी मौहल्ला कोरियान कस्बा व थाना बिलारी, जिला मुरादाबाद के द्वारा इस आशय की तहरीर थाने पर दी गयी कि प्रार्थिनी का विवाह ६ साल हुए विपक्षी संख्या १ रामचन्दर के साथ हिन्दू रीतिरिवाजों के अनुसार हुआ था जिसमें प्रार्थिनी के मायके वालों ने अपनी हैसियत के अनुसार दान दहेज दिया था। प्रार्थिनी विवाह के बाद अपनी ससुराल जाकर रहने लगी तथा अपने हकूक-ए-जौजियत अदा करने लगी। जहाँ रहने पर प्रार्थिनी को पता चला कि प्रार्थिनी के पति,सास ससुर जेठ जिठानी व देवर विपक्षीगण १ ता ७ प्रार्थिनी के विवाह में दिये गये दान दहेज से संतुष्ट व प्रसन्न नहीं हैं ये लोग बात-बात पर प्रार्थिनी को कम दहेज लाने के ताने व उलाहने देने लगे। प्रार्थिनी चुपचाप इनके अत्याचार सहन करती रही कि शायद इनका व्यवहार अपने ही आप ठीक हो जावे। प्रार्थिनी के दो बच्चे कु० पूनम आयु ५ साल व कु० नीरज आयु ३ साल पैदा हुयी व प्रार्थिनी अभी भी गर्भवती है। विपक्षीगण १ ता ७ प्रार्थनी पर दबाव देने लगे कि तू हमें अपने मायके बालों से एक मोटरसाइकिल, एक रंगीन टी०वी० व ५०,०००/-रूपये लाकर दें। प्रार्थिनी ने अपने मायके वालों की लाचारी बतायी तो इन लोगों ने प्रार्थिनी को बुरी तरह मारा पीटा व माँग पूरी ना होने पर इन लोगों ने दो माह पहले प्रार्थिनी को मय बच्चियों के गर्भावस्था में केवल पहने हुए कपड़ों में ही धक्के देकर निकाल दिया व कहा कि पहले अपने मायके से हमारी दहेज की मांग पूरी कराकर ला अगर खाली हाथ आ गयी तो तूझे जान से मार देंगे। प्रार्थनी लाचारी वश अपने मायके आ गयी और प्रार्थिनी के मायके वालों ने विपक्षीगण की शिकायत रिश्तेदारों से की जिससे विपक्षीगण नाराज हो गये तथा दिनांक ०३-०५-२०१० को दोपहर २.०० बजे विपक्षीगण १ ता ७ एक राय होकर प्रार्थिनी के मायके आ गये तथा एलानियां कहने लगे कि एक तो हमारी माँग पूरी नहीं की उपर से हमारी रिश्तेदारियों में शिकायतें कर रही है। प्रार्थिनी ने इनसे गालियाँ देने को मना किया तो विपक्षीगण १ ता ७ ने प्रार्थिनी को लात, घूसों से मारना पीटना शुरू कर दिया।प्रार्थिनी गर्भवती है लिहाजा प्रार्थीनी की हालत खराब हो गयी। शोर पर आसपास से श्रीमती बुधिवा व सोहराज आदि काफी लोग आ गये जिन्होंने विपक्षीगण को डाँटा व समझाया जिस पर विपक्षीगण एलानियाँ कह गये कि आयन्दा कहीं शिकायत की या खाली हाथ आ गयी तो हम तूझे जान से मार देंगे। अतः प्रार्थिनी द्वारा प्रार्थना की गयी है कि प्रार्थिनी की थाना बिलारी में रिपोर्ट दर्ज कराने की कृपा करें। उक्त लिखित तहरीर के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत की गयी तथा विवेचना प्रारम्भ की गयी।
उपरोक्त तहरीर के आधार पर अभियुक्तमण रामचन्दर पुत्र कल्लू, कल्लू पुत्र नामालूम, श्रीमती जावित्री पत्नी कल्लू, देवी पुत्र कल्लू,बिहारी पुत्र कल्लू, श्रीमती रामवती पत्नी बिहारी एवं भगवानदास पुत्र कल्लू, के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट मुकदमा अपराध संख्या-२४२/२०१०, अन्तर्गत धारा-४९८ए, ३२३, ५०४, ५०६ भा.द.सं, व ३/४ दहेज प्रतिषेध अधिनयम, थाना बिलारी, मुरादाबाद पर दर्ज हुई।
विवेचक ने घटनास्थल का निरीक्षण कर नक्शानजरी तैयार किया तथा गवाहों के बयान लिये एवं विवेचना पूर्ण किये जाने के उपरान्त आरोप पत्र अभियुक्तगण रामचन्दर पुत्र कल्लू, श्रीमती जावित्री पत्नी कल्लू एवं कल्लू पुत्र स््व० छेदीलाल के विरूद्ध मुकदमा अपराध सं०- २४२/२०१०, धारा-४९८ए,३२३,५०४,५०६,भा.द.सं के अन्तर्गत प्रेषित किया गया, जिस पर प्रसंज्ञान लिया गया तथा अभियुक्तगण को तलब किया गया।
अभियुक्तगण न्यायालय हाजिर आये तथा उन्हें अभियोजन प्रपत्रों की प्रतिया दी गयी एवं दिनांक-१६.११.२०११ को अभियुक्तगण रामचन्दर, जावित्री, देवी एवं कल्लू के विरूद्ध मुकदमा अपराध सं०-२४२/२०१०, धारा-४९८ए,३२३/३४,५०४,५०६,भा.द.सं के अन्तर्गत आरोप विरचित किया गया। अभियुक्तगण ने आरोप से इन्कार किया एवं विचारण चाहा।
अभियोजनपक्ष की ओर से अपने कथानक के समर्थन में पी.डब्लू-१ वादिनी मुकदमा उषारानी, पी०डब्लू-२ फूलवती एंव पी०डब्लू-३ सरोज को परीक्षित कराया गया है। इनके अतिरिक्त अभियोजनपक्ष की तरफ से अन्य किसी साक्षी को परीक्षित नहीं कराया गया है।
अतः साक्ष्य अभियोजन समाप्त की गयी तथा अभियुक्तगण के बयान धारा ३१३ द.प्र.सं. के अन्तर्गत अंकित किये गये। अभियुक्तमण ने घटना को गलत बताया तथा सफाई साक्ष्य में डी०डब्लू १ के रूप में रेशमा को परीक्षित कराया गया है।
सफाई साक्षी डी०डब्लू-१ रेशमा ने दिनांक १७-९-१६ को अपने सशपथ बयान में कथन किया है कि-इस मुकदमें की वादनी ऊषा मेरी सगी बहन है। हम सात भाई बहन हैं। मेरी बड़ी बहन सरोज है, उससे छोटी रामवती, उससे छोटा भाई यादराम, उससे छोटी ऊषा, छोटा भाई बब्बी व उससे छोटी मैं हूँ। ऊषा की शादी को १४ साल करीब हो गये है। मेरी बहन ऊषा से जब रामचन्द्र का रिश्ता आया था तो मेरे माता पिता ने रामचन्द्र व उसके माता पिता से कह दिया था कि हमारे पास केवल लड़की है देने को कुछ नहीं है। इस पर रामचन्द्र व उसके परिवार वाले राजी हो गये थे व कह दिया था कि हमे तो केवल लड़की चाहिये। मेरा अपनी बहन के घर आना जाना था तब मेरा रामचन्द्र के भाई भगवानदास से प्रेमप्रसंग हो गया था और मैंने अपनी बहन ऊषा व अपने माता पिता को बगैर मर्जी के भगवानदास से शादी कर ली थी जिससे मेरे घरवाले काफी नाराज थे और भगवानदास के खिलाफ मेरे घर वालों ने मुकदमा लिखा दिया था जिसका मुकदमा सं० १५५/२०१० था मेरे अदालत में बयान हुये थे तब मैंने कह दिया था मै। भगवानदास के साथ जाउंगी। मैं न्यायालय ए०सी०जे०एम० कोर्ट नं०-१ के आदेश की छायाप्रति व सुपुर्दगी नामा की छायाप्रति दाखिल कर रही हूँ। मेरी बहन ऊषा मेरी शादी से बहुत नाराज हुयी थी और यह कहने लगी थी कि इस घर में या तो तू रहेगी या मैं रहूंगी। मैंने अपने मायके जाने से इंकार कर दिया तो ऊषा इस बात से नाराज होकर अपने मायके चली गयी। इसके बाद ऊषा ने रामचन्द्र वगैरा के खिलाफ यह फर्जी मुकदमा कायम करा दिया। ऊषा की ससुराल वाले ऊषा से कभी कोई दहेज की मांग नहीं करते थे। मेरी बहन ऊषा को न कभी मारते, पीटते व प्रताड़ित करते थे। मेरी बहन ऊषा ने कभी मायके आकर यह नहीं बताया कि उसके ससुराल वाले उसे दहेज के लिये मारते पीटते या प्रताड़ित करते है। रामचन्द्र का उससे तीन महीने पहले लगभग एक्सीडेंट में उसका जबड़ा व हाथ पैर टूट गये थे। जिससे वह अब कोई काम करने लायक नहीं है। विद्वान अभियोजन अधिकारी द्वारा की गयी जिरह में यह कहा कि मेरी बहन ऊषा की शादी रामचन्द्र के साथ आज से लगभग १४ साल पहले हुयी थी। ऊषा की शादी के समय मेरी उम्र २० साल थी। फिर कहा कि १६ साल की रही होगी। मैं पढ़ी लिखी नहीं हूँ। यह कहना गलत है कि मेरी बहन ऊषा की शादी के समय मेरी उम्र ७-८ साल रही हो और मैं बहुत छोटी रही हूँ। मेरी मां जीवित है। मेरे पिता को मरे कितने वर्ष हो गये है मुझे याद नहीं। मेरा पति पंजाब में कमायी करता है। मैं भी उसके साथ पंजाब ही रह रही हूँ। कभी कभी आती जाती रहती हूँ। ….