प्रस्तुत वाद पिटीशनर की ओर से विपक्षी के विरूद्ध इस आशय का प्रस्तुत किया गया है कि पिटीशनर व विपक्षी के मध्य सम्पन्न विवाह ०७.०३.२००० विच्छेद किया जाये। पिटीशनर का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि पिटीशनर वीरेन्द्र सिह पुत्र श्री प्रेमपाल सिंह निवासी ग्राम नौनेर थाना दन्नाहार तहसील व जिला मैनपुरी का है । पिटीशनर की शादी विपक्षिनी शालिनी के साथ दिनांक ०७.०३.२००० को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुयी थी। शादी के बाद विपक्षिनी विदा होकर पिटीशनर के घर पर आयी और पिटीशनर ने विपक्षिनी के साथ सभी दाम्पत्य कर्तव्यो का निर्वहन बखूबी किया, किसी प्रकार की कोई परेशानी पिटीशनर एवं पिटीशनर के घर वालो ने विपक्षिनी को नही होने दी। पिटीशनर भारतीय सेना में कार्यरत है। पिटीशनर एवं विपक्षिनी के साथ रहने के दौरान एक पुत्र सिद्धार्थ पैदा हुआ। उसके बाद विपक्षिनी पिटीशनर से कहने लगी कि मुझे यहाॅ गॉव में अच्छा नही लगता है मुझे तुम अपने साथ नौकरी पर लेकर चलो, पिटीशनर ने कहा कि घर में माता पिता अकेले रहते है उनकी देखभाल करने वाला कोई नही है, अभी कुछ समय घर पर रहो, उसके बादे ले चलेगे इसी बात से विपक्षिनी पिटीशनर एवं पिटीशनर के घर वालो से नाराज रहने लगी अपनी मन मर्जी से घर गृहस्थी का काम करने लगी। पिटीशनर एवं पिटीशनर के घर वालो ने विपक्षिनी को काफी समझाया बुझाया लेकिन विपक्षिनी नही मानी और अपनी मर्जी से अपने मायके आने जाने लगी और अधिकतर अपने मायके में ही समय व्यतीत करने लगी।
पिटीशनर ने विपक्षिनी के मायके वालो से कहा एवं कहलवाया तो उन्होने पिटीशनर की बात पर कोई ध्यान नही दिया उल्टा वह विपक्षिनी को अपने अपने तरीके से समझाने बुझाने लगे जिससे विपक्षिनी का व्यवहार पिटीशनर एवं पिटीशनर के घर वालो के प्रति क्रूरतापूर्ण हो गया और विपक्षिनी आये दिन पिटीशनर एवं पिटीशनर के घर वालो से लडने झगडने लगी और घर गृहस्थी का काम नही करती और न ही खाना आदि ही बनाती है। विपक्षिनी जब भी अपने मायके जाती तो बडी मुश्किल से पिटीशनर के घर पर आती। दिनांक ०७.०७.२०१५ को पिटीशनर के घर पर विपक्षिनी के भाई आशीष व अभिषेक आये तो विपक्षिनी उनके साथ जबरदस्ती बगैर घर वालो की राजी से अपने मायके चली गयी। तब से विपक्षिनी अपने मायके में ही रह रही है । पिटीशनर उसके बाद कई बार उसकी विदा कराने उसके मायके गया लेकिन विपक्षिनी पिटीशनर के साथ रहने के लिए नही आयी पिटीशनर ने विपक्षिनी से कई बार कहा कि अगर तुम मेरे साथ नही रहना चाहती हो तो तलाक ले लो। विपक्षिनी ने कहा मुझे कुछ नही करना है । पिटीशनर अन्तिम बार दिनांक २८.०६.२०१८ को अपने पिता प्रेमपाल व गॉव के जन्डैल सिंह को लेकर विपक्षिनी के मायके गया और विपक्षिनी से कहा कि अगर तुम हमारे साथ नही रहना चाहती हो तो मुझे तलाक दे दो, इस पर विपक्षिनी ने कहा कि अब हम तुम्हारे साथ नही रहेगे। तुम्हे जो करना हो जाकर करो। पिटीशनर एवं साथ गये लोगो ने विपक्षिनी के मायके वालो से कहा तो उन्होने हम लोगो की किसी बात पर कोई ध्यान नही दिया और उल्टा गाली गलौज करने लगे और धमकी देने लगे कि अगर दुबारा यहाँ आये तो अच्छा नही होगा।
पिटीशनर मजबूर होकर वहॉ से साथ गये लोगो के साथ वापस लौट आया। पिटीशनर एवं विपक्षिनी का एक साथ रहना अब किसी सूरत में सम्भव नही है लिहाजा पिटीशनर एवं विपक्षिनी के मध्य हुए विवाह दिनांक ०७.०३.२००० को विच्छेदित फरमाया जाना ही उचित है। पिटीशनर मजबूर होकर यह दावा माननीय न्यायालय में दायर कर रहा है पिटीशनर एवं विपक्षिनी दिनांक ०७.०७.२०१५ से अलग अलग रह रहे है। इस पिटीशन के अलावा अन्य कोई पिटीशन भारतवर्ष के किसी भी न्यायालय में विचाराधीन नही है और न ही किसी न्यायालय से खारिज हुआ है। पिटीशनर एवं विपक्षिनी के मध्य कोई दुरभि संधि नही है । वाद का कारण विपक्षिनी द्वारा दिनांक २८.०६.२०१८ को पिटीशनर के साथ आने व रहने से मना करने एवं तलाक देने से इंकार के कारण पैदा हुआ है। पिटीशनर एवं विपक्षिनी अन्तिम बार पति पत्नी के रूप में ग्राम नौनेर तहसील व जिला मैनपुरी में रहे है। लिहाजा माननीय न्यायालय को उपरोक्त वाद को सुनने व निर्णय करने का न्यायिक क्षेत्राधिकार प्राप्त है।
विपक्षी द्वारा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया जिसमें विपक्षी द्वारा विशेष विरोध किया है कि याची को प्रस्तुत याचिका संस्थित करने का कतई कोई वाद कारण पैदा नही हुआ और न ही याची प्रस्तुत याचिका संस्थित करने हेतु अधिकृत ही है। याची ने प्रस्तुत याचिका बिल्कुल असत्य एवं कल्पित तथ्यो पर संस्थित की है, उसने माननीय न्यायालय से सही, आवश्यक और महत्वपूर्ण तथ्यो को छिपाया है तथा वह माननीय न्यायालय के समक्ष स्वच्छ हृदय से नही आया है। विपक्षी उत्तरदाता ने याची को हमेशा पति की हैसियत से माना और सदैव ही पति की हैसियत से आदर सम्मान किया और उसके आदेशो का पूर्ण पालन भी किया।