IPC 452 in Hindi- आईपीसी धारा 452 क्या है?- सजा, जमानत, बचाव- उदाहरण के साथ

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सभी लोगों को अपने घर को सुरक्षित रखना पसंद होता है और इसी पसंद के लिए तो बहुत से लोग अपने घरों में कैमरा भी लगवाने लगे हैं लेकिन अगर वंही आपके सुकून भरे घर में कोई दूसरा बाहरी व्यक्ति आपको परेशान करें आपके ऊपर हमला करें या गलत तरीके से दबाव बनाता है तो उस व्यक्ति पर हमारे कानून में IPC 452 लगाने का प्रावधान है हम आपको इस शानदार पोस्ट में धारा 452 के बारे में पूरी बातें विस्तार पूर्वक बताएंगे अतः इसलिए आप लोग इस शानदार पोस्ट में अंत तक बन रहे और आईपीसी धारा 452 क्या है जाने?

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IPC KI DHARA 452 KYA HAI?

आईपीसी की धारा 452 का प्रावधान यह है कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के घर में जबरन घुस के हमला या गलत तरीके से दबाव बनाता है और चोट पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसके ऊपर धारा 452 लगाने का प्रावधान है और पीड़ित व्यक्ति धारा 452 के तहत अपराधी व्यक्ति के ऊपर मुकदमा दर्ज करा सकता है और न्यायिक जांच के दौरान अगर उस व्यक्ति को दोषी पाया जाता है तो उसे धारा 452 के अंतर्गत सजा मिलेगी।

IPC 452 in Hindi – आईपीसी की धारा 452 क्या है? आईपीसी की धारा 452 कब लगती है?

किसी व्यक्ति के ऊपर धारा 452 कब और क्यों लगती है, हम आपको इसके बारे में क्रमबद्ध तरीकों से बताने की कोशिश कर रहे हैं ताकि आपको बहुत ही आसानी से समझने में मदद मिल सके वह इस प्रकार से हैं-

  1. किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के घर में जबरन घुस कर हमला करना, चोट पहुँचना, या उस व्यक्ति पर गलत तरीके से दबाव बनाना।
  2. अगर कोई व्यक्ति घर के मालिक से बिना परमिशन लिए घर के अंदर घुस के अपना अपराधिक कृति और अत्याचार करता है तो उसे धारा 452 के तहत दोषी माना जाएगा।
  3. धारा 452 के आरोपी को अपनी अपराधी घटना को अंजाम देने के लिए दूसरे के घर में घुसने पर दोसी पाए जाने पर धारा 452 के तहत दोषी करार देकर सजा का भी प्रावधान करता है।

हमें उम्मीद है कि अब आप लोग धारा 452 कब और किस पर लगती है, इसके बारे में जान गए होंगे लेकिन इस पोस्ट में आप अंत तक बने रहें और भी बहुत सी बातें आप धारा 452 के बारे में जानेंगे।

IPC 452 दर्ज कराने की प्रक्रिया क्या है?

अब आप लोग ये तो समझ गए होंगे की धारा 452 किस प्रकार के अपराध के लिए बनी हुई है अब आप इसे उस दोषी व्यक्ति के ऊपर कैसे शिकायत करनी होगी इसके बारे में भी जान ले

  • धारा 452 की शिकायत आप मजिस्ट्रेट के पास जाकर या पुलिस थाने में भी जाकर इसकी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
  • शिकायत लिखित रूप में होनी चाहिए और शिकायतकर्ता का हस्ताक्षर भी उस पर होना जरूरी है।
  • शिकायत करने वाले को घटनास्थल के साथ-साथ अपराधिक गतिविधियों के सभी तरह के विवरण लिखित में होना जरूरी है और उसमें तारीख समय और स्थान की पुष्टि करना भी जरूरी है।

अब आप लोग यह तो समझ गए होंगे की कौन-कौन से विवरण देने की आवश्यकता होती है।

धारा 452 में सजा और जमानत का क्या प्रावधान है?

  • इस धारा को लगाने का मुख्य बिंदु यह होता है कि जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के घर में घुसकर जबरन अत्याचार मारपीट का इरादा रखता है तो उसे धारा 452 की अंतर्गत दोषी करार दिया जाता हैं।
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 452 के अनुसार जब दोषी करार दिया जाता है, तो उसे 7 वर्ष + जुर्माना की सजा का प्रावधान करती है।
  • यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है।
  • धारा 452 में जमानत मजिस्ट्रेट के द्वारा दी जाती है।
  • ऐसे अपराधों मैं समझौता नहीं किया जा सकता।
अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
उपहति, हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्चात् गृह-अतिचार7 साल + जुर्मानायह एक संज्ञेय अपराध है।यह एक गैर-जमानती अपराध है।कोई भी मजिस्ट्रेट

IPC धारा 452 में बचाव कैसे करें?

जब अपराध की बात होती है तो दोषी के मन में उस अपराध से बचाव के भी ख्याल आने शुरू हो जाते हैं, यह तो इंसान के स्वभाव में होता है। लेकिन इस बात की जानकारी होना भी जरूरी है, क्योंकि बहुत से लोग दुश्मनी के चककर में भी इस तरह की अपराध दूसरे के ऊपर लगा देते हैं।

हम आपको इसके बचाव के कुछ निर्देश क्रमबद्ध तरीके से देने की कोशिश कर रहे हैं यह इस प्रकार से हैं –

  • अगर आप किसी दूसरे व्यक्ति से उसके घर पर मिलने जाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उस समय उसके घर में जाएं जब वह इंसान अपने घर में मौजूद हो।
  • किसी भी व्यक्ति के ऊपर किसी भी प्रकार का गलत दबाव बनाने से खुद भी बचें और दूसरे को भी ऐसा करने से रोके।
  • जब भी कोई आपके ऊपर धारा 452 के अंतर्गत झूठा इल्जाम लगा कर फ़साने की कोशिश करें तो आप समझदारी से कम लेते हुए खुद को बचाने के लिए अपना सबूत न्यायालय में पेश जरूर करें।
  • आप जब भी किसी दूसरे के घर मिलने जाएं तो उससे पहले फोन पर बात करके उसके घर पर मौजूद होने पर ही पहुंचे

धारा 452 के उदाहरण

अमित अपने परिवार के साथ अपने घर में किसी विषय पर बातें कर रहा था और उसी वक्त दूसरा व्यक्ति अमित के घर में बिना अनुमति के घुस जाता है। और वह व्यक्ति अमित के ऊपर हमला कर देता है तभी परिवार के 1 सदस्य ने इन सभी घटनाओ को अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लेता हैं। अमित अपनी जान बचाने के लिए घर से बाहर भागता है।

और थाने में जाकर इसकी शिकायत भी दर्ज करवा देता है। तब पुलिस अमित की शिकायत पर धारा 452 के तहत केस दर्ज करती है। और अपराधी को पकड़ के हिरासत मे ले लेती हैं। कोर्ट में अमित उस वीडियो को भी पेश करता है, जो मारपीट होने के समय उसके पारिवारिक सदस्य ने बनाया हुआ था। उस वीडियो के आधार पर अपराधी को दोषी माना जाता है। उसे 7 वर्ष की सजा कोर्ट दुवारा सुनाई जाती हैं और साथ में दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जाता हैं।

FAQs:- (अक्सर आईपीसी की धारा 452 में पूछे जाने वाले सवाल) –

आईपीसी की धारा 452 भारतीय पेनल कोड (IPC) की धारा है जो गैर-क़ानूनी तरीके से किसी व्यक्ति द्वारा किसी जगह में प्रवेश करने का अपराध परिभाषित करती है।

हां, आईपीसी की धारा 452 के तहत किसी व्यक्ति को बिना अनुमति के घर में प्रवेश करने का अपराध हो सकता है, जब ऐसा प्रवेश गैर-क़ानूनी होता है और इसका उद्देश्य भयानक होता है।

नहीं, आईपीसी की धारा 452 का उल्लंघन बिना आपत्ति या डराने के किए जाने पर नहीं हो सकता है। इसमें आपत्ति के उपयोग का दर्जा होता है और आरोपी के इरादे को भयानक और खतरनाक होना चाहिए।

निष्कर्ष:

आशा करता हूँ, आपको इस पोस्ट में IPC 452 Kya hai, के बारे में पूरी जानकारी मिल गयी होगी। हमें उम्मीद है, कि यह जानकारी आपको बहुत ही अच्छी लगी होगी। हमने इसमें जब कोई व्यक्ति झूठ में 452 धारा का शिकायत दर्ज करता है, तो इससे बचने के बारे में भी हमने आपको बताया है और हम उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपको बहुत ही अच्छी लगी होगी।

आप लोग इस पोस्ट को courtjudgement.in पर पढ़ रहे हैं, हमने आपके लिए हमारी वेबसाइट में और भी IPC की धारा के बारे में जानकारी लिखी है आप उनको भी जरूर पढ़ें और इस पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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