आज मैं आपके लिए IPC Section 66 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी ।
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 66 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 66 के अनुसार:-
जुर्माना न देने पर किस भांति का कारावास दिया जाए :- “वह कारावास, जिसे न्यायालय जुर्माना देने में चूक होने की दशा के लिए अधिरोपित करे, ऐसी किसी भांति का होगा, जिससे अपराधी को उस अपराध के लिए दंडित किया जा सकता था।”
As per section 66 of IPC (Indian Penal Code) :-
Description of imprisonment for non-payment of fine :- “The imprisonment which the Court imposes in default of payment of a fine may be of any description to which the offender might have been sentenced for the offence.”
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धारा 66 क्या है?
ऊपर जो डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ।
IPC Section 66 उन सेक्शंस पर लागू होगा, जिन IPC के सेक्शंस में कोर्ट के पास यह पावर होती है, कि उसमें जेल की सज़ा भी दी जा सकती है, और साथ में जुर्माना भी किया जा सकता है। कुछ IPC के सेक्शन ऐसे है, उनमे कोर्ट सिर्फ और सिर्फ जुर्माना कर सकती है। इसलिए जिनमें सिर्फ जुर्माने की सजा है। वहां पर IPC Section 66 लागू नहीं होगा। यह सेक्शन सिर्फ उन सेक्शंस में लागू होगा, जिनमें जुर्माना के साथ जेल की सज़ा भी हो सकती है।
IPC Section 66 में बताया गया है, कि जुर्माना ना जमा करवाने की स्थिति में कोर्ट अपराधी को सज़ा देगी वह साधारण कारावास होगी या कठोर कारावास होगी। साधारण कारावास का मतलब है, कि अपराधी जेल में काम नहीं करना पड़ेगा। और कठोर कारावास मैं कैदी को काम करना पड़ता है। उसको मेहनत करने वाली सज़ा मिलेगी। इसको मैं उदहारण देकर समझाता हूँ।
मान के चलिए, किसी सेक्शन के अंदर, किसी अपराध के अंदर, किसी अपराधी को कोर्ट ने दो साल तक की साधारण कारावास की सज़ा सुना दी और साथ में बीस हज़ार रुपए का जुर्माना भी कर दिया। अब उसने बीस हज़ार रुपए जुर्माना जमा नहीं करवाया। तब ऐसे में कोर्ट उसको 1 fourth की सज़ा साथ में दे सकता है। मान के चलिए, सज़ा का 1 fourth करने पर 6 महीने की सज़ा एक्स्ट्रा हुई, जोकि जुर्माना न जमा करने के कारण हुई। अब अपराधी को ढाई साल की सज़ा काटनी होगी। और वो साधारण कारावास होगा। क्योंकि उसको main सज़ा साधारण कारावास की हुई थी। इसलिए एक्स्ट्रा सज़ा भी साधारण कारावास ही होगी। ऐसे ही अगर उस व्यक्ति को दो साल तक की कठोर कारावास की सज़ा होती तब उसको जुर्माना न भरने की स्थिति में एक्स्ट्रा सज़ा कठोर कारावास की होगी। ये सब main सज़ा पर डिपेंड करता है। यही IPC Section 66 में बताया गया है।