दल-बदल कानून क्या है?- Dal Badal Kanoon Kya Hai?

Dal Badal Kanoon Kya Hai- दोस्तो, कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी स्थायी नहीं होता। राजनीति को लेकर एक कहावत बहुत मशहूर है कि राजनीति में न तो कोई किसी का हमेशा दोस्त होता है न ही दुश्मन। यही वजह है कि आपने देखा होगा कि कल तक जो लोग दूसरे राजनैतिक दल के नेता को खरी खोटी सुना रहे होते हैं, वह कुछ ही दिनों के बाद उनसे मिल जाते हैं। हालांकि यह प्रथा कोई नई नहीं है।

जब से देश आजाद हुआ है, तब से एक दल से दूसरे दल में जाने की बात अक्सर सुनते रहते हैं। तो दोस्तों आज के इस लेख में हम बात करने वाले हैं दल बदल कानून की। इस लेख के द्वारा हम जानेंगे कि आखिर Dal Badal Kanoon Kya Hai? तो दोस्तों अगर आप भी राजनीति में रुचि रखते हैं और दल बदल कानून के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े।

दोस्तों अक्सर आपने सुना होगा कि कोई विधायक किसी राजनीतिक पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा और जीत भी गया। लेकिन चुनाव जीतने के कुछ महीनों के बाद पता चलता है कि वह उस पार्टी को छोड़कर किसी दूसरे पार्टी में शामिल हो गया है। मतलब चुनाव लड़ना किसी और के चिन्ह पर और चुनाव जीतने के बाद किसी दूसरे पार्टी में शामिल हो जाना, इसी को दलबदल कहते हैं। जब देश में Dal Badal Kanoon लागू नहीं था, तब अक्सर यह देखा जाता था, जिसके कारण कई बार राजनीतिक दलों और सरकार के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती थी।

इसी को रोकने के लिए Dal Badal Kanoon बनाया गया, जिसमें नियम बनाए गए कि कोई भी विधायक या सांसद अपने मन से पार्टी नहीं बदल सकता। तो चलिए जानते हैं Dal Badal Kanoon Kya Hai, इसके साथ इस लेख में हम यह भी जानेगें की Dal Badal Kanoon किस स्थिति में लागू नहीं होता है? किस स्थिति में दलबदल करने पर सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है? Dal Badal Kanoon के फायदे क्या हैं?

Dal Badal Kanoon Kya Hai
Dal Badal Kanoon Kya Hai

Dal Badal Kanoon Kya Hai?

दरअसल आजादी के बाद देश में कई बार ऐसा देखा गया कि एक विधायक या सांसद एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता था, जिससे कई बार अच्छी खासी चल रही सरकार गिर जाती थी। राज्य में राजनीतिक अस्थिरता आ जाती थी। यह एक तरह का कुप्रथा था।

इसी को समाप्त करने के लिए साल 1985 में संविधान में 52 संशोधन किया गया और दलबदल विरोधी कानून को पारित कर इसे संविधान की 10वीं अनुसूची में जोड़ा गया। इसी कानून को लाने का मकसद सिर्फ एक था कि कोई भी विधायक बिना किसी कारण के अपने फायदे के लिए एक राजनीतिक दल का साथ छोड़कर दूसरे दल में शामिल नहीं हो सके।

दल-बदल कानून किस स्थिति में लागू नहीं होता है?

दोस्तों इस कानून को बना तो दिया गया लेकिन इसमें कुछ विकल्प रखे गये जिसके जरिए अगर कुछ विधायक या सांसद पार्टी छोड़ते भी हैं तो उन पर यह नियम लागू नहीं होता और वह इस कानून के दायरे के बाहर होंगे। लेकिन इसके लिए भी नियम काफी कड़े हैं, जैसे:-

  • जब पूरी की पूरी राजनीतिक पार्टी किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के साथ मिल जाती है।

    अगर किसी पार्टी के निर्वाचित सदस्य से अलग होकर एक नई पार्टी बना लेते हैं।

  • अगर किसी पार्टी के सदस्य दो पार्टियों का विलय स्वीकार नहीं करते और विलय के समय अलग ग्रुप में रहना स्वीकार करते हैं।
  • जब किसी पार्टी के दो तिहाई सदस्य अलग होकर नई पार्टी में शामिल हो जाते हैं।

किस स्थिति में दल-बदल करने पर सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है?

कई ऐसी स्थिति है जिसमें दल-बदल करने पर एक सांसद या विधायक की सदस्यता छीनी जा सकती है। तो आईए जानते हैं वह कौन सी कुछ खास स्थिति में दलबदल करने पर एक सांसद या विधायक की सदस्यता जा सकती है, जैसे:-

  • सांसद या विधायक ने स्वेच्छा से राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ी है।
  • सदन में वोट नहीं करने पर भी सदस्यता जा सकती है।
  • सदन में पार्टी के खिलाफ वोट करने पर सदस्यता जा सकती है।
  • चुनाव के बाद अगर एक पार्टी को छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होता है।

दल-बदल कानून के फायदे क्या हैं?

दोस्तों, दल-बदल विरोधी कानून के लागू होने के बाद कई फायदे भी देखे गए हैं। इसके बाद पहले की तुलना में कम नेता ही दल-बदल करते हैं। खासकर चुनाव जीतने के बाद बहुत कम ही होते हैं जो इस तरह का कदम उठाते हैं। तो चलिए जानते हैं दल-बदल विरोधी कानून के फायदे क्या हैं।

  • इस कानून के लागू होने के बाद सरकार को अस्थिर करना मुश्किल हो गया।
  • दल-बदल कानून के कारण सांसद या विधायक पार्टी के प्रति वफादार हुए।
  • इस कानून के कारण पार्टी में अनुशासन बढ़ा।
  • राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार कम होने की उम्मीद बढ़ी।

निष्कर्ष:

दोस्तों ऊपर दिए गए लेख में हमने आपको बताया है कि Dal Badal Kanoon Kya Hai? दोस्तों पहले के समय में हमारे देश की राजनीति काफी खराब थी जिसे देखते हुए सरकार के द्वारा दल-बदल कानून बनाया गया था। इस कानून को लाने के बाद राजनीति में कई सारे बदलाव देखे गए हैं।

उम्मीद करता हूं कि ऊपर दिए गए लेख से आपको अच्छी जानकारी मिली होगी। इस लेख को पढ़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...