हमारी भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं की श्रृंखला में आज फिर से हम आप लोगों के लिए IPC 177 in Hindi के बारे में बताने वाले हैं। बहुत से लोग झूठी सूचनाओं को फैलाने में माहिर होते हैं और यह भी एक गैर कानूनी कार्यों के अंतर्गत आता है। जिस भी व्यक्ति के ऊपर यह आरोप लगते है तो उसके ऊपर IPC 177 के तहत करवाई होती है। आज हम आप लोगों को इन्हीं सब के बारे में बताने वाले हैं तो आप लोग हमारे साथ इस पोस्ट में अंत तक बने रहे और IPC 177 के बारे में पूरी जानकारी जाने-
IPC 177 in Hindi – आईपीसी की धारा 177 क्या है? – आईपीसी की धारा 177 कब लगती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 177 मिथ्या इत्तिला देने के आरोप मे लगायी जाती है, अगर कोई व्यक्ति किसी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी को अपना कार्य सिद्ध करने के लिए झूठी सुचना देता है। तब ऐसे व्यक्ति को दोषी माना जाता है और भारतीय दंड संहिता की धारा 177 के तहत कार्रवाई करके उसे दंडित किया जाता है।
आप लोग इस आर्टिकल में धारा 177 के बारे में पूरी जानकारी जानेंगे तो इसलिए आप लोग पूरा अंत तक हमारे साथ बने रहे-
IPC 177 की मुख्य बातें-
धारा 177 की मुख्य बातें कुछ इस तरह से हैं-
- धारा 177 के तहत उस व्यक्ति को दोषी माना जाता है जो जानबूझकर झूठी खबरों को फैलाता है।
- कई बार लोग अपने हित के लिए भी झूठ का सहारा लेते हैं और सामने वाले को उलझन में डाल कर अपने कार्य सिद्ध करते हैं। तो ऐसे लोगों के ऊपर धारा के तहत कार्रवाई की जाती है।
- बहुत से लोग सरकारी कर्मचारियों को भी झूठी खबर देते हैं, जिससे सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न होती है तो ऐसे व्यक्ति के ऊपर धारा 177 के तहत कार्रवाई की जाती है।
इस तरह के जुर्म से हमेशा बचें और अपनी मनगढ़ंत झूठी खबर को बिल्कुल ना फैलाएं जिससे सरकारी कार्यों में कोई भी बाधा न पहुंचे।
IPC 177 के अपराध का उदाहरण-
सुनील नाम का व्यक्ति सोने के शोरूम में सिक्योरिटी गार्ड का काम करता था। वह पैसों के लालच में आकर कुछ बदमाशों के संपर्क में भी आ गया था और बदमाशों ने एक दिन शोरूम को लूटने की इच्छा से हथियार सहित दुकान में आ पहुंचे। दुकान के मालिक सहित सभी कर्मचारियों को हथियार के दम पर डरा कर एक रूम में बंद कर दिया और दुकान को लूटने लगे।
तभी बगल के दुकानदारों ने पुलिस को खबर की और पुलिस ने सिक्योरिटी गार्ड को फोन लगाया लूट की जानकारी लेने के लिए तब सिक्योरिटी गार्ड सुनील ने पुलिस को बताया कि यहां पर सब ठीक-ठाक चल रहा है।
क्योंकि वह बदमाशों के साथ मिला हुआ था और पुलिस को झूठी खबर देने के इसी जुर्म में सुनील को धारा 177 के तहत गिरफ्तार करके उसे पर कार्रवाई किया गयी। अब ऐसा नहीं की सुनील पर केवल धारा 177 ही लगेगी और भी धारा सुनील पर लगेगी क्योंकि उसने चोरी में साथ दिया है।
धारा 177 में सजा का प्रावधान क्या है? (What is the punishment provision of section 177?)
आईपीसी के सेक्शन धारा 177 मैं अगर कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को जानबूझकर गलत सुचना या जानकारी देता है। तो उसे धारा 177 के तहत सजा दी जा सकती है और ऐसे में आरोपी व्यक्ति को 6 महीने का साधारण कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से भी दंडित किया जाता है यह उसके द्वारा किए गए अपराध के ऊपर निर्भर करता है। अगर किसी व्यक्ति दुवारा दि गयी सूचना कोई अपराध किए जाने आदि के विषय में हो तो इसमें सजा कुछ बड़ी दी जाती है फिर ऐसे में 2 वर्ष कारावास या जुर्माना या फिर दोनों से भी दंडित किया जाता है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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एक लोक सेवक को जानबूझकर गलत जानकारी प्रस्तुत करना | 6 महीने या जुर्माना या दोनों | इसे असंज्ञेय अपराध के श्रेणी में रखा गया है। | जमानतीय | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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यदि सूचना कोई अपराध किए जाने आदि के विषय में हो। | 2 वर्ष कारावास या आर्थिक दण्ड या दोनों। | इसे असंज्ञेय अपराध के श्रेणी में रखा गया है। | जमानतीय | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय |
धारा 177 मे जमानत का क्या प्रावधान है? (What is the provision of bail in section 177?)
धारा 177 एक जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। इसमें अपराधी को वकील की सहायता से बहुत जल्दी जमानत मिल जाती है। यह धारा मजिस्ट्रेट के द्वारा विचारणीय होती है। इस धारा के आरोपी व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है क्योंकि यह गैर–संज्ञेय अपराध है। यह धारा किसी भी प्रकार की समझौते के योग्य नहीं है यानी के इसमें समझौता नहीं किया जा सकता है।
धारा 177 में अपना बचाव कैसे करें? (How to defend yourself under section 177?)
दोस्तों आप लोगों ने ऊपर में यह तो जान ही लिया की धारा 177 कब लगती है। इस धारा में बचाव के बारे में हर व्यक्ति को जानकारी होना जरूरी है इसके बचाव इस प्रकार से हैं-
- कभी किसी दूसरे के सुनी सुनाई बातों के ऊपर विश्वास बिल्कुल भी ना करें और उस बात को दूसरे लोगों से भी ना कहें।
- बहुत से लोग पैसों का लालच देकर सरकारी कर्मचारियों को झूठी खबर देने का काम करवाके अपने कार्य को सिद्ध करवाना चाहते हैं तो ऐसे कार्यों से भी बचें।
- दूसरे व्यक्ति से अपने बारे में जुड़ी हुई बातें ना बताएं।
- यदि आपको किसी घटना के बारे में पूरी पुख्ता जानकारी है तो आप जब भी पुलिस को खबर करें तब अपनी रिकॉर्डिंग को जरूर ऑन रखें ताकि आपके द्वारा कही गई सभी बातें रिकॉर्ड हो जाएं।
- अपने आसपास के झूठे और चुगलखोर लोगों से भी बच के रहे।
- अगर आप निर्दोष है और आप को फसा दिया गया है तो आप अपने एविडन्स को संभाल के रखे और उन एविडेन्स को कोर्ट में पेश करे।
- आप एक अच्छा सा वकील अपने लिए नियुक्त करे।
- गलत साक्ष्ये या गवाही कोर्ट में पेश न करे।
- चिंता न करे सय्यम से काम ले। अगर मामला झूठा है तो जुर्म को साबित वादी पक्ष को करना है। आपको नहीं।
- झूठ हमेशा झूठ ही होता है अगर आप पर भी झूठा केस हुआ है तो आप उस एप्लीकेशन को ध्यान से पढ़े और उसमे से झूठे तथ्ये ढूंढे और जज साहब के सामने लाये।
अगर आप लोग इन बातों का ख्याल रखते हैं तो आप निश्चित ही धारा 177 से हमेशा बच के रहेंगे और इस आर्टिकल को भी आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें ताकि वह लोग भी सतर्क हो सके।
निष्कर्ष:
आप लोगों ने इस आर्टिकल में IPC 177 in Hindi के बारे में जाना है और हमने आपको इस आर्टिकल में धारा 177 के उदाहरण, धारा 177 में सजा का प्रावधान, धारा 177 के जमानत का प्रावधान, और बचाव के बारे में जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपको बहुत ही अच्छी लगी होगी।
आप लोग इसे अपने दोस्तों और परिवारों के साथ शेयर जरूर करें ताकि और लोगों को भी धारा 177 के बारे में जानकारी मिल सके।
आप इस आर्टिकल को courtjudgement.in पर पढ़ रहे हैं। हमने आपके लिए अपनी वेबसाइट में और भी भारतीय दंड संहिता की धारा के बारे में आर्टिकल लिखे हुए हैं। आप उन आर्टिकल को भी जरूर पढ़ें और भारतीय दंड संहिता की धारा के बारे में जरूर जाने इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!!!!
मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।
177 and 188 ko agr lok Adalat me jurmana jama karke nistarit karaya jaye to kya iski wajah se pasport bnwane me kisi tarah ki paresani hogi pasport bn jayega ya nahi
agar case ka nistarntrat ho jata hai to passport banwane me dikkat nhi aane chaye. aap ek bar apne vakil se bhi confirm kr lijye.