आईपीसी धारा 30 क्या है? । IPC Section 30 in Hindi । उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 30 in Hindi) की धारा 30 की  जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको  पढ़ना चाहते हो तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली  है तो,  आशा करता हूँ की आपको वो  सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड  संहिता   (IPC) की धारा 30 क्या होती है?

IPC Section 30 in Hindi
IPC Section 30 in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC Section 30 in Hindi) की धारा 30 क्या होती है?

मूल्यवान प्रतिभूति :- “मूल्यवान प्रतिभूति शब्द उस दस्तावेज के द्योतक हैं, जो ऐसा दस्तावेज है, या होना तात्पर्यित है, जिसके द्वारा कोई क़ानूनी अधिकार सॄजित, विस्तॄत, स्थानांतरित, सीमित, नष्ट किया जाए या छोड़ा जाए या जिसके द्वारा कोई व्यक्ति यह स्वीकार करता है कि वह क़ानूनी दायित्व के अधीन है, या कोई क़ानूनी अधिकार नहीं रखता है।”

Valuable security :- “The words “valuable security” denote a document which is, or purports to be, a document whereby any legal right is created, extended, transferred, restricted, extin­guished or released, or where by any person acknowledges that he lies under legal liability, or has not a certain legal right.”


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धारा 30 क्या है?

ऊपर जो IPC Section 30 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 30 को सरल शब्दों में समझाता हूँ ।

इस section में “valuable security” की बात गई है। इसमें कहा गया है, कि जो “valuable security” होती है। मतलब जो बहुत ज़्यादा important documents होते हैं। Example देकर आपको मैं समझा देता हूं मान के चलिए आपने कोई घर खरीदा। उसको खरीदने के लिए आप सामने वाला जिसका वो मकान है। उसको पैसे देंगे और वह आपके नाम पर registry करवाएगा। Documents आपके नाम पर होंगे तभी आप किसी का घर खरीद पाएंगे। अब Documents आपके नाम हो गए। और आप उस घर की मालिक बन गए। legal right create हो गया। आपने उसको पैसे दिए उसने आपके नाम पर registry करवा दी। जैसे आप मकान मालिक बन गए, फिर आपने वो घर एक साल के लिए किराए पर दे दिया। अब एक साल के बाद अगर किराये-दार आगे घर को किराए पर लेना चाहता है। यानी की छह महीने और रहना चाहता है। अब उसको छह महीने के लिए बढ़ा दिया जाएगा। उसको कहते हैं, “legal right extend”। इसको “valuable security” ही माना जाएगा। अब बात करते हैं, “transferred” की अपना legal right किसको transfer कर देना। मतलब जो आपका legal अधिकार हैं। उसको किसी और को transfer कर देना। जैसे आपने घर की power of attorney बनाकर किसी और को दे दी, आपने लिख कर दे दिया कि, अब मेरी जगह पर किराया यह व्यक्ति वसूल करेगा। आपने अपना “legal right transfer” कर दिया। उसको भी “valuable security” माना जाएगा। क्योंकि आपने अपना क़ानून अधिकार transfer किया है।

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मैंने भारतीय दंड संहिता IPC Section 30 को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।

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