आईपीसी धारा 31 क्या है? । IPC Section 31 in Hindi । उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 31 in Hindi) की धारा 31 की  जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको  पढ़ना चाहते हो तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो,  आशा करता हूँ की आपको वो  सभी धाराएं समझ में आई होंगी । 

IPC Section 31 in Hindi
IPC Section 31 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 31 क्या होती है?

विल :- “विल शब्द किसी भी वसीयती दस्तावेज का द्योतक है । ”

A will :- “The words “a will” denote any testamentary document.”


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धारा 31 क्या है?

ऊपर जो  डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 31 को सरल शब्दों में समझाता हूँ ।

इसमें ‘विल’ (वसीयत) के बारे में बताया गया है। वसीयत क्या होती है, कि जीते जी अगर आपके पास कोई प्रॉपर्टी है। मान के चलिए अभी आपके पास कोई पोर्पेर्टी है। जीते जी आपके पास ही रहेगी। जब तक आप जीवित है। लेकिन अगर आपने कोई वसीयत बना दी, कोई ऐसा document बना दिया। जिसमें आपने अपनी इच्छा जाहिर की। मेरे मरने के बाद मेरी जो प्रॉपर्टी है। वह किसी और के नाम कर दी जाए। और उसका नाम आप अपनी वसीयत में mention कर जाएंगे। कि मेरे मरने के बाद मेरी पोर्पेर्टी इसके नाम कर दी जाए। उसको “test document “ बोला जाएगा। उसको वसीयत बोला जाएगा। और उसके अनुसार आपकी death के बाद वह जो property है। वह उसी के नाम हो जाएगी। जिसके नाम पर आप वसीयत करवा के जाते हैं। IPC section 31 यह पावर देता है, कि कोई व्यक्ति अपनी वसीयत बना सकता है। और उसकी वसीयत के according उसकी death के बाद जैसे उसने अपनी ‘विल’ (वसीयत) बनाई है। उसके हिसाब से उसकी प्रॉपर्टी के हिस्से उन लोगों को मिल जाएंगे। चाहे वो किसी एक को, चाहे वह दो लोगों को, चाहे वह दस लोगों को वह उस पर depend करता है।

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मैंने भारतीय दंड संहिता IPC Section 31 को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।

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