IPC 303 in Hindi – धारा 303 क्या है? सजा, जमानत

IPC 303 in Hindi- बहुत से अपराधियों का अपराध से इतना गहरा नाता हो जाता है कि वो अपराधी कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा के आधीन होते हुए भी अपने अपराध को कायम रखते हैं। इसी के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 303 को लागू किया गया है। और हम इसी के बारे में आपको पूरी जानकारी देने वाले हैं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 303 के अनुसार-

आजीवन कारावास की सजा होते हुए भी अपराधी द्वारा हत्या करना- “जो कोई अपराधी आजीवन कारावास के दण्डादेश के अधीन होते हुए भी हत्या करेगा, वह मृत्यु से दण्डित किया जाएगा।”

दोस्तों, ये कानूनी भाषा है इसको हम विस्तार से आसान भाषा में समझाते है।

IPC 303 क्या है और इसको कब लगाया जाता है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 303 ऐसे अपराधी के ऊपर लगायी जाती है जो पहले से ही आजीवन कारावास की सजा से दण्डित है और उसके बाद वह हत्या करता है। तब उसके ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 303 के तहत मुकदमा दर्ज करके कानूनी कार्रवाई की जाती है। यानी की उस अपराधी को न्यालय द्वारा पहले आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी लेकिन फिर भी उसने किसी की हत्या कर दी तब उस अपराधी पर इस धारा के अंतर्गत करवाई होगी और फिर उसको सजा दी जाएगी।

IPC 303 मे सजा का क्या प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 303 में अपराधी को मृत्युदंड से दंडित करने का प्रावधान है। यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी मैं आती है। और इसे बहुत ही संगीन अपराध माना जाता है क्योंकि अपराध करने वाला व्यक्ति पहले से ही आजीवन कारावास की सजा काट रहा होता है।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
आजीवन कारावास की सजा होते हुए भी अपराधी द्वारा हत्या करना मौत यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। यह गैर-जमानतीय अपराध है यह सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

IPC 303 मे जमानत का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की IPC 303 एक गैर जमानती धारा है। इस धारा में जमानत आसानी से नहीं मिलती है। इस धारा में जमानत लेने के लिए आरोपी व्यक्ति को ठोस एविडेंस प्रस्तुत करने पड़ते है तभी जमानत मिलने के चांस बढ़ते है। जमानत लेने के लिए आरोपी व्यक्ति को एक योग्य वकील की भी जरूरत होती है। तभी इस धारा मे जमानत मिल सकती है।

IPC 303 मे वकील की भूमिका

भारतीय दंड संहिता की धारा 303 में वकील की अहम भूमिका होती है जो इस संज्ञेय अपराध की धारा में अपराधी और पीड़ित के लिए Case लड़ता है और पीड़ित या आरोपी व्यक्ति को न्याय दिलवाने का काम करता है। आरोपी व्यक्ति की तरफ से वकील जमानत के लिए अर्जी और उसके बचाव के लिए न्यायालय में उसका पक्ष रखता है। इस धारा में दोनों पक्षों के लिए योग्य वकील की आवश्यकता होती है।

आईपीसी धारा 303 से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न:- धारा 303 के तहत क्या अपराध है?

उत्तर:- अगर कोई व्यक्ति जिसको न्यायालय द्वारा पहले ही आजीवन कारावास की सजा सुना रखी है और उस व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति की हत्या हो जाती है तब धारा 303 के तहत करवाई की जाती है।

प्रश्न:- धारा 303 के मामले में सजा क्या है?

उत्तर:- धारा 303 के मामलो को संगीन अपराध माना गया है अगर ऐसे में आरोपी व्यक्ति पर अपराध सिद्ध हो जाता है तो अपराधी को मृत्यु दंड से दण्डित किया जायेगा।

प्रश्न:- धारा 303 किस अपराध की श्रेणी में आती है?

उत्तर:- धारा 303 को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

प्रश्न:- धारा 303 में जमानत मिल सकती है?

उत्तर:- अगर किसी व्यक्ति पर धारा 303 लग गयी है और वो व्यक्ति जमानत लेना चाहता है तो उस व्यक्ति को सबसे पहले अपने लिए एक अच्छे से अच्छा क्रिमिनल वकील करना चाहिए क्योंकि यह धारा गैर जमानती धारा है। इसलिए इसमें जमानत लेना आसान काम नहीं है और अपने बचाव के लिए न्यायालय में ठोस सबुत पेश करने होंगे तभी आरोपी को जमानत मिल सकती है।

प्रश्न:- धारा 303 के मामले को किस न्यायालय में पेश किया जा सकता है?

उत्तर:- धारा 303 के मामले को सत्र न्यायालय में पेश किया जा सकता है।

प्रश्न:- क्या धारा 303 के मामले में समझौता किया जा सकता है?

उत्तर:- नहीं, धारा 303 के मामलो में समझौता नहीं किया जा सकता है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...