IPC 313 in Hindi – भारतीय दंड संहिता में अपराध को कम करने के लिए अनेकों धाराएं बनी हुई है जो अपराधी द्वारा किए गए अपराधों में दंडित करने का काम करती है। आज आप लोग इस आर्टिकल में एक ऐसी धारा के बारे में जानने वाले हैं जिसे IPC Section 313 कहते हैं।
यह धारा ऐसे लोगों के ऊपर लगायी जाती है, जो किसी महिला की सहमति के बिना गर्भपात कारित करेगा। तो ऐसे अपराधियों के ऊपर धारा 313 के तहत मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई की जाती है। आप लोग इस आर्टिकल में यह जानेंगे कि यह धारा कब लगती है, ऐसे में सजा का क्या प्रावधान है, जमानत का प्रावधान क्या है, इसमें वकील क्यों जरुरी है? इन सभी के बारे में पूरी जानकारी जानने के लिए आर्टिकल में अंत तक बने रहे।
![IPC 313 in Hindi – आईपीसी धारा 313 क्या है – सजा, जमानत और बचाव 1 IPC Section 313 punishment bail in Hindi](https://courtjudgement.in/wp-content/uploads/2024/01/IPC-313-in-Hindi.webp)
भारतीय दंड संहिता की धारा 313 के अनुसार-
स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात कारित करना- “जो कोई किसी स्त्री की सम्मति के बिना, चाहे वह स्त्री स्पन्दन-गर्भा हो या नहीं, पूर्ववर्ती अंतिम धारा में परिभाषित अपराध करेगा, वह आजीवन कारावास से या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।”
दोस्तों, ये कानूनी डेफिनेशन थी इसको हम सरल शब्दों का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करते है।
IPC 313 क्या है और यह कब लगती है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 313 ऐसे लोगों के ऊपर लगायी जाती है, जिसने किसी महिला के सहमत न होने पर भी उसका गर्भपात कराया हो। तब न्यालय या पुलिस इस धारा को लगा कर अपराधी पर मुकदमा दर्ज करती है। और कानूनी करवाई की जाती है। यह धारा बहुत ही संगीन है, इसलिये इस धारा को संज्ञेय अपराध की श्रेणी मे रखा गया है।
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दोस्तों, पहले के समय में लोग अल्ट्रासॉउन्ड कराके बच्चे का पता करवाते थे की लड़का है या लड़की। जिसके कारण भारत में बहुत ज्यादा गर्भपात होने लगे थे। अब इसमें स्त्री की सहमति भी नहीं पूछी जाती थी। जिससे अजन्मे बच्चे की हत्या पेट में ही कर दी जाती थी। इस धारा का उद्देश्य ये ही है की अजन्मे बच्चो की हत्या पर रोक लगायी जा सके। इसलिए कानून ने इसको बहुत ही संगीन अपराध माना है।
IPC 313 के मामलो में कितनी सजा होती है?
IPC 313 में अपराध की पुस्टि हो जाने पर अपराधी को आजीवन कारावास या 10 साल तक का कारावास और आर्थिक दंड से दण्डित करने का प्रावधान है। क्योंकि यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। यह धारा सत्र न्यायालय के द्वारा विचरणीय है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात कारित करना | आजीवन कारावास या 10 साल तक का कारावास और साथ में जुर्माना | यह धारा संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। | यह गैर-जमानतीय अपराध है | यह सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है। |
IPC 313 में जमानत का प्रावधान क्या है?
IPC 313 को गैर-जामानतीय अपराध की श्रेणी मे रखा गया है। इस धारा में जमानत मिलना मुश्किल होता है। इस धारा मे जमानत करवाने के लिए आपको योग्य वकील की आवश्यकता होती है।
NOTE- भारतीय कानून का हमेशा सम्मान करना चाहिए। जिस काम को कानून अवैध घोषित करता है। उसे बिल्कुल भी ना करे। भारतीय कानून का उलंघन करने के बाद किसी के भी ऊपर मुकदमा दर्ज हो सकता है।
IPC 313 मे वकील की क्या भूमिका है?
- वकील की आरोपी व्यक्ति के उप्पर लगाए गए आरोपों को गलत साबित करने में अहम भूमिका होती है।
- वकील एक व्यक्ति को IPC 313 के तहत आरोपों का जवाब देने में मदद करने के लिए सहायक होता है, जिससे व्यक्ति अपने पक्ष को पूरी तरह से प्रस्तुत कर सके।
- वकील का कार्य अपने क्लाइंट की रक्षा करना है, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की हानि ना हो।
- जब आरोपी को चिकित्सकीय जाँच या सुनवाई में सहायक की जरूरत होती है, तो वकील उन्हें इस प्रक्रिया में सहारा प्रदान करता है।
- वकील को अपने क्लाइंट्स के सबूत कैसे न्यालय में प्रस्तुत करने है और कब करने है ये सब करता है। जिससे क्लाइंट्स का मामला सुधारा जा सके।
- वकील की मुख्य भूमिका में से एक है कि वह अपने क्लाइंट्स की रक्षा करे और कोर्ट में उनकी सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाए।
- वकील को अपने क्लाइंट्स के मामले की अच्छी तरह से अनुसंधान करने की जिम्मेदारी होती है, ताकि वह सभी संभावनाओं का सामंजस्यपूर्ण तरीके से उत्तर दे सके।
NOTE – भ्रूण हत्या करना पाप माना जाता है। और इसे भारतीय दंड संहिता भी गैरकानूनी घोषित करता है। इसलिए ऐसा घिनोना काम करना सही नहीं है।
संबधित सवाल जवाब – FAQs
उत्तर: IPC Section 313 भारतीय दण्ड संहिता की धारा है, जो किसी स्त्री की इच्छा के बिना गर्भपात कारित करना जैसा घिनोना अपराध करते है। तब उन व्यक्तिओ पर इस धारा का प्रयोग करके करवाई की जाती है और दंडित किया जाता है।
उत्तर: IPC Section 313 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति स्त्री की मर्जी के बिना गर्भपात करवाता है तो उसको आजीवन कारावास या 10 साल तक का कारावास और साथ में जुर्माने से दण्डित किया जायेगा।
उत्तर: IPC Section 313 के तहत, गर्भपात करने वाले के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने के लिए कुशल चिकित्सक की रिपोर्ट, मरने वाले शिशु के संगर्भ की मौत की पुष्टि, और अन्य संबंधित साकारात्मक सबूतों की आवश्यकता हो सकती है।
उत्तर: IPC धारा 313 संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है?
उत्तर: नहीं, यह गैर-जमानतीय धारा है इसके लिए आरोपी व्यक्ति को न्यालय से जमानत लेनी होगी।
उत्तर: नहीं, यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।
उत्तर: ऐसे मामलो की सुनवाई सत्र न्यायालय के द्वारा की जा सकती है।
आप इस आर्टिकल मे IPC 313 in Hindi के बारे मे पुरी जानकारी जान गए होंगे। हमे उम्मीद है की यह जानकारी आपको समझ में आ गयी होगी। अगर आपको किसी विशेष धारा के बारे में जानकारी चाहिए या इस धारा को लेकर कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट जरुर करें हम उसे अगले आर्टिकल में जरुर कवर करेंगे।
आप इस आर्टिकल को https://courtjudgement.in पर पढ़ रहे है। और हमने इस वेबसाइट में आपके लिए अनेकों भारतीय दंड संहिता की धारा के बारे में लेख लिखे हुए हैं आप उन लेखो को भी जरूर पढ़ें। और इस लेख को हमारे साथ पूरा अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े…