IPC 316 in Hindi- आईपीसी धारा 316 क्या है?, सजा, जमानत और बचाव

IPC 316 in Hindi:- दोस्तों, हमारे देश में कई सारे ऐसे कार्य हैं जिसे कानूनी की नज़र में अपराध माना गया है। अगर किसी व्यक्ति के द्वारा कोई ऐसा कार्य किया जाए जिससे अजात शिशु की मृत्यु हो जाती है तो इसे अपराध माना गया है। लेकिन सही जानकारी न होने के कारण लोग इन सब स्थिति के बाद भी कुछ नहीं कर पाते हैं।

IPC 316 in Hindi – यह धारा कब लागु होती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 316 के तहत अगर ऐसी परिस्थिति में कोई ऐसा कार्य किया जाता है जिसके तहत मृत्यु होती है तो कार्य करने वाले व्यक्ति पर आपराधिक मानव मृत्यु का दोष लगाया जाता है और ऐसा कार्य जिसके द्वारा सजीव अजात शिशु की मृत्यु हो जाती है तो इसे भी एक दंडनीय अपराध माना गया है और इसके तहत कारावास और आर्थिक दंड की सजा होती है। आसान भाषा में कहा जाए कोई ऐसा कार्य जिससे अजन्मे बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो इसके तहत उसे सजा दी जाती है।

लागू अपराध-

IPC Section 316 के तहत इसे एक गंभीर जुर्म माना गया है अगर किसी व्यक्ति के द्वारा यह अपराध किया जाता है तो उसे कठिन सजा दी जाती है। किसी भी व्यक्ति के द्वारा किसी भी परिस्थितियों में कोई ऐसा कार्य जिससे सजीव अजात शिशु की मृत्यु हो जाती है तो इस अपराध के तहत उस व्यक्ति को 10 साल का कारावास और आर्थिक जुर्माना की सजा दी जाती है। यह सजा ज्यादा भी हो सकती है। इस धारा के तहत मानव मृत्यु के अपराध में अपराधी को सजा दी जाती है।

अपराध सजा संज्ञेय जमानत विचारणीय
ऐसे कार्य द्वारा जो आपराधिक मानव वध की कोटि में आता है, किसी सजीव अजात शिशु की मृत्यु कारित करना 10 साल और जुर्माना यह धारा संज्ञेय (Cognizable) अपराध की श्रेणी में आती है। यह गैर-जमानतीय अपराध है सत्र न्यायालय के द्वारा विचाराधीन होती है।

धारा 316 में जमानत–

धारा 316 के तहत किया गया जुर्म एक संज्ञेय अपराध माना गया है। इस धारा के तहत अपराधी को जमानत आसानी से नहीं दी जाती है क्योंकि यह जुर्म गैर-जमानती अपराध है। इसलिए आपको एक अनभवी वकील की आबश्यकता होगी।

इस धारा के तहत केस की सुनवाई सत्र न्यायालय द्वारा की जाती है। इस धारा के अंतर्गत किया गया अपराध समझौता करने के योग्य नहीं है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को ऐसा जुर्म करने से पहले एक बार जरूर सोचना चाहिए।

FAQs-

प्रश्न:- IPC 316 के तहत क्या अपराध है?

उत्तर: जो कोई ऐसा कोई कार्य ऐसी परिस्थितियों में करेगा कि यदि वह तद्द्वारा मृत्यु कारित कर देता, तो वह आपराधिक मानव वध का दोषी होता और ऐसे कार्य द्वारा किसी सजीव अजात शिशु की मृत्यु कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जायेगा, और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।

प्रश्न:- IPC 316 के मामले की सजा क्या है?

उत्तर: इस धारा के अंतर्गत अगर आरोपी व्यक्ति न्यालय में दोषी पाया जाता है तो उसको 10 साल तक की सजा या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

प्रश्न:- IPC 316 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध है?

उत्तर: धारा 316 अपराध को एक संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

प्रश्न:- IPC की धारा 316 के मामले में अपना बचाव कैसे करे?

उत्तर: ऐसे मामले में बचाव के लिए आपको एक अच्छे से अच्छा वकील करना होगा। वो ही आपको जमानत या बरी करवा सकता है। क्योंकि ऐसा अपराध कानून की नज़र में संगीन अपराध माना गया है।

प्रश्न:- IPC की धारा 316 जमानती अपराध है या गैर-जमानती अपराध है?

उत्तर: इस धारा के अपराध को गैर-जमानती अपराध माना गया है।

प्रश्न:- IPC की धारा 316 में समझौता किया जा सकता है?

उत्तर: इस धारा के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न:- IPC 316 का मुकदमा किस अदालत में चलाया जा सकता है?

उत्तर: ऐसे मामले की सुनवाई सत्र की अदालत में की जा सकती है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...