IPC 317 in Hindi- दोस्तों, आपने कई बार देखा होगा कि कई बार लोगों द्वारा बच्चों को रोड के किनारे लाकर छोड़ दिया जाता है। कई राज्यों में ऐसी घटनाएं देखने को मिलती रहती है जहां छोटे-छोटे बच्चे बिना मां-बाप के अपना जीवन रोड के किनारे बिताते हुए नजर आते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि लोगों द्वारा बच्चों को रोड के किनारे लाकर छोड़ देना या कचरे के डब्बे में छोड़ देना अपराध है या नहीं?
आपको बता दे कि अगर किसी शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का परित्याग जैसा ऐसा कार्य किया जाता है तो IPC Section 317 के तहत इसे कानूनी अपराध माना गया है। अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं तो आइये इस लेख के माध्यम से हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते है। साथ ही हम आपको इस अपराध के तहत सजा और जमानत के बारे में भी विस्तार से बताने वाले हैं। क्या आप भी IPC की इस धारा को जानना चाहते हैं? तो नीचे दिए गए लेख को पूरा पढ़े।
![IPC 317 in Hindi- आईपीसी धारा 317 क्या है?, सजा, जमानत और बचाव 1 IPC 317 in Hindi](https://courtjudgement.in/wp-content/uploads/2023/12/IPC-317-in-Hindi.webp)
IPC 317 in Hindi – इसको कब लगाया जाता है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 317 के अनुसार, जो कोई बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का पिता या माता होते हुए, या ऐसे शिशु की देखरेख का भार रखते हुए, ऐसे शिशु का पूर्णत: परित्याग करने के आशय से उस शिशु को किसी स्थान में अरक्षित डाल देगा या छोड़ देगा, तो ऐसा करने वाले को सजा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा और यह सजा 7 वर्ष तक की दी जा सकती है। साथ में ऐसा करने वाले को आर्थिक जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
नोट:- इस धारा का मकसद अपराधी पर हत्या के मुकदमे को रोकना बिल्कुल नहीं है, अगर इस मामले में बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो उस पर मानव वध का मामला भी दर्ज हो सकता है।
लागू अपराध-
आईपीसी धारा 317 के तहत अगर कोई भी 12 वर्ष के कम आयु के बच्चे को त्याग देने के इरादे से कहीं छोड़ आता है तो इस परिस्थिति में उसे कानूनी दंड दिया जाता है। इसे एक कानूनी अपराध माना गया है। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति ऐसा जुर्म करता है तो उसे 7 साल तक का कारावास या आर्थिक दंड या 7 साल का कारावास और आर्थिक दंड दोनों का सामना करना पढ़ सकता है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
शिशु के पिता या माता या उसकी देखरेख रखने वाले व्यक्ति द्वारा बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का अरक्षित डाल दिया जाना और परित्याग | 7 वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों | यह धारा संज्ञेय (Cognizable) अपराध की श्रेणी में आती है। | यह गैर-जमानतीय अपराध है | यह प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचाराधीन होती है। |
धारा 317 में जमानत का क्या प्राबधान है?
IPC Section 317 के तहत किया हुआ जुर्म एक संज्ञेय अपराध माना गया है, और साथ में यह गैर-जमानती अपराध भी है। ऐसे अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी के न्यायाधीश दुबारा की जाती है। आपको यह बात पता होनी चाहिए कि यह अपराध समझौता करने योग्य बिल्कुल नहीं है। इस अपराध को करने के बाद दोषी पाए जाते हैं तो करवास की सजा को 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
FAQs-
उत्तर: जो कोई बारह वर्ष से कम आयु के शिशु का पिता या माता होते हुए, या ऐसे शिशु की देखरेख का भार रखते हुए, ऐसे शिशु का पूर्णत: परित्याग करने के आशय से उस शिशु को किसी स्थान में अरक्षित डाल देगा या छोड़ देगा, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
स्पष्टीकरण- यदि शिशु अरक्षित डाल दिए जाने के परिणामस्वरूप मर जाए, तो, यथास्थिति, हत्या या आपराधिक मानव वध के लिए अपराधी का विचारण निवारित करना इस धारा से आशयित नहीं है।
उत्तर: इस धारा के अंतर्गत अगर आरोपी व्यक्ति न्यालय में दोषी पाया जाता है तो उसको 7 साल तक की सजा या जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। या फिर दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
उत्तर: धारा 317 के अपराध को एक संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
उत्तर: ऐसे मामले में बचाव के लिए आपको एक अच्छे से अच्छा वकील करना होगा। वो ही आपको जमानत या बरी करवा सकता है। क्योंकि ऐसा अपराध कानून की नज़र में संगीन अपराध माना गया है।
उत्तर: इस धारा के अपराध को गैर-जमानती अपराध माना गया है।
उत्तर: इस धारा के अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता है।
उत्तर: ऐसे मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट की अदालत में की जा सकती है।
हमने इस आर्टिकल में IPC की धारा 317 के बारे में बताया है और हमे उम्मीद है की ये जानकारी आपको समझ में आयी होगी। इस आर्टिकल को आप https://courtjudgement.in पर पढ़ रहे हैं और हमने इस वेबसाइट में भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं के बारे में आर्टिकल लिखा हुआ है आप उन आर्टिकल को भी जरूर पढ़ें और इस आर्टिकल को हमारे साथ पुरा अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!!!!!
मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े…