IPC 508 in Hindi:- दोस्तों, आजकल भारत में देखने को मिल रहा है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो लोगों को गलत तरीके से भगवान के नाम पर डरा कर पैसे ऐठ लेते है या उन लोगो से कुछ ऐसा काम करवा देते हैं या कोई कार्य करने से रोक देते हैं। बहुत बार आप लोगो ने देखा होगा की भगवान के नाम पर डरा कर कुछ भी करा लेते है। तो आज के आर्टिकल में हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले है।
IPC Section 508 in Hindi – आईपीसी धारा 508 क्या है?
भारतीय दंड संहिता की धारा 508 के अनुसार, “जो कोई किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिये उत्प्रेरित करके या उत्प्रेरित करने का प्रयत्न करके, कि यदि वह उस बात को न करेगा, जिसे उससे कराना अपराधी का उद्देश्य हो, या यदि वह उस बात को करेगा, जिसका उससे लोप कराना अपराधी का उद्देश्य हो, तो वह या कोई व्यक्ति, जिससे वह हितबद्ध है, अपराधी के किसी कार्य से दैवी अप्रसाद का भाजन हो जाएगा या बना दिया जाएगा, स्वेच्छया उस व्यक्ति से कोई ऐसी बात करवायेगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिये वह वैध रूप से आबद्ध न हो या किसी ऐसी बात के करने का लोप करवायेगा या करवाने का प्रयत्न करेगा, जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हकदार हो, वह दोनों में से किसी भाँति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जायेगा।”
दृष्टान्त –
(क) क, यह विश्वास कराने के आशय से व के द्वार पर धरना देता हे कि इस प्रकार धरना देने से वह य को दैवी अप्रसाद का भाजन बना रहा है। क ने उस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
(ख) क, य को धमकी देता है, कि यदि व अमुक कार्य नहीं करेगा, तो क अपने बच्चों में से किसी एक का वध ऐसी परिस्थितियों में कर डालेगा, जिससे ऐसे वध करने के परिणामस्वरूप यह विश्वास किया जाये, कि य दैवी अप्रसाद का भाजन बना दिया गया है। क ने इस धारा में परिभाषित अपराध किया है।
इसे आसान भाषा में समझे तो, अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को भगवान के नाम पर डरा कर पैसे ऐंठने या कोई काम करने या न करने के लिए मजबूर करता है, तो यह अपराध है और इस अपराध के लिए अपराधी को सजा, जुर्माना या दोनों हो सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति किसी और व्यक्ति को यह कहकर डराता है कि अगर उसने वह काम नहीं किया जो अपराधी चाहता है, तो दैवी अप्रसन्नता का भागी होगा यानी भगवान उस पर नाराज हो जायेंगे, तो यह अपराध है। और ऐसा कराने वाले व्यक्ति पर इस धारा के तहत सजा दी जा सकती है।
धारा 508 कब लगती है?
जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को भगवान के नाम पर ऐसा काम करने या न करने के लिए प्रेरित या मजबूर करता है जो वह नहीं करना चाहता।
जैसे- कोई व्यक्ति या साधु किसी को यह कहकर डराए कि “मैं भगवान का संदेश वाहक हूं और अगर तुमने (दूसरा व्यक्ति) मुझे दस हजार रुपए नही दिए तो भगवान तुमसे नाराज हो जायेंगे और तुम सुखी जीवन नही जी पाओगे।” ऐसी बाते करके भगवान के नाम पर डराने वाले व्यक्तियों पर यह धारा लगती है।
लागू अपराध-
अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को यह विश्वास दिलाकर प्रेरित करता है कि प्रेरित करने वाले व्यक्ति की बात ना मानने पर वह या उसका कोई प्रियजन दैवी अप्रसन्नता का भागी होगा…”
यहां ‘दैवी अप्रसन्नता’ का मतलब है – भगवान का नाराज होना है। यानि अगर कोई यह कहकर दूसरे को डराता है कि अगर उसकी बात नहीं मानी तो भगवान नाराज हो जाएंगे, तो यह अपराध माना जाएगा। इस अपराध के लिए डराने वाले व्यक्ति पर इस धारा के तहत 1 साल तक की कैद (जेल), जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
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व्यक्ति को यह विश्वास करने के लिए उत्प्रेरित करके कि वह दैवी अप्रसाद का भाजन होगा कराया गया कार्य | 1 वर्ष तक की जेल या जुर्माना या दोनों। | गैर संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आती है। | यह जमानतीय अपराध है। | यह कोई भी मजिस्ट्रेट के द्वारा विचाराधीन होती है। |
धारा 508 में जमानत-
धारा 508 के अधीन किए गए अपराध के लिए अपराधी व्यक्ति को जमानत आसानी से मिल सकती है। क्योंकि यह जमानती धारा है और ऐसे अपराध को गैर संज्ञेय अपराध माना गया है। लेकिन जमानत के लिए आपको एक वकील करना पड़ेगा।
FAQs-
प्रश्न:- IPC 508 का मतलब क्या होता है?
उत्तर: धारा 508 ऐसे व्यक्तियों के लिए है जो भगवान के नाम पर लोगो को डरा कर उनसे पैसे ऐंठते है और उन लोगो से ऐसे कार्य करवा लेते जो वो नहीं करना चाहते थे।
प्रश्न:- IPC 508 के मामले में सजा क्या है?
उत्तर: इस अपराध के लिए भगवान के नाम पर डराने वाले व्यक्ति पर धारा 508 के तहत 3 प्रकार की सजा हो सकती है।
- अपराधी को 1 साल तक की कैद (जेल) हो सकती है।
- अपराधी पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
- अपराधी को 1 साल की जेल के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है यानी जेल और जुर्माना दोनों।
प्रश्न:- IPC 508 संज्ञेय अपराध है या गैर – संज्ञेय अपराध है?
उत्तर: इस धारा के तहत अपराध को गैर – संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
प्रश्न:- IPC की धारा 508 जमानती अपराध है या गैर-जमानती अपराध है?
उत्तर: धारा 508 के मामलो को जमानती अपराध माना गया है। जमानती अपराधों में जमानत पुलिस थाने में हो जाती है। अगर पुलिस जमानत न दे तो अपराधी व्यक्ति न्यालय का रुख कर सकता है।
प्रश्न:- IPC की धारा 508 में समझौता किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, यह धारा समझौता करने योग्य है।
प्रश्न:- IPC 508 का मुकदमा किस अदालत में चलाया जा सकता है?
उत्तर: ऐसे अपराधों की सुनवाई कोई भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचाराधीन होती है।