Ravi Pachori Vs. Neha Pauchori Divorce Judgement

अधिनियम प्रतिवादिनी के विरूद्व दिनांक 25-02-2011 को सम्पन्न विवाह विच्छेदित किये जाने हेतु प्रस्तुत की गयी।

वाद पत्र के अनुसार वादी के कथन सक्षेप में इस प्रकार है कि उसकी विवाह प्रतिवादिनी के साथ हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार दिनांक 25- 02-2011 को जनपद मैनपुरी में राज मैरिज होम में सम्पन्न हुआ था। शादी के तुरन्त बाद से अपने हिस्से की सम्पत्ति बेचकर गाजियाबाद में रह कर व्यापार करने का दबाव वादी पर बनाने लगी, आये दिन झगडा फसाद करती थी व माता पिता को प्रताडित करती थी । विवाह के बाद से विपक्षिनी जानबूझकर उसकी व उसके माता – पिता का कहना नहीं सुनती थी, चाय नाश्ता नहीं बनाती थी और झगडा करती थी, गन्दी गन्दी गालिया देती थी, जिससे मानसिक व शारीरिक क्लेश रहता था। प्रतिवादिनी के दवाब व क्लेश के कारण वादी माता पिता से मकान के प्रथम तल पर अलग रहने लगा जब कि प्रतिवादिनी को शिव कुमार, सोमप्रकाश ने समझाया कि सास-ससुर से अलग न रहे किन्तु वह नहीं मानी। जिससे माता पिता को बहुत वेदना हुई परन्तु अलग रहने के उपरान्त भी कलह समाप्त नहीं हुई। हिस्से वटवारे की जिद करती थी,चप्पलों से मारने पर आमादा हो जाती थी, कुल मिलाकर टुकडे टुकडे में डेढ वर्ष प्रतिवादिनी, याची के घर पर रहीं है और ज्यादातर समय अपने मायके में रहती थी।

प्रतिवादिनी के माता पिता ने इस तथ्य को छिपाया कि प्रतिवादिनी स्त्री रोग से ग्रस्त है और बिना इलाज के सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती है, उसका इलाज कराया लेकिन वह दवाईयों को खाने की वजाय फेक देती थी। याची की इच्छा थी कि वह मॉ बन जाये किन्तु वह अपनी अनैतिक आचरण से माँ बनने हेतु पूर्ण इलाज नहीं कराया और इसी कारण वह माँ नहीं बन सकी। वास्तविकता यह है कि विपक्षिनी, परिवादी के पहल करने पर भी तथा समझाने पर भी सहवास के लिए तैयार नहीं होती है। विपक्षिनी की इसी आदत के कारण भी परिवादी सदैव कुंठित रहता था तथा उसे मानसिक पीडा होती थी और वादी से सन्तान न चाहने की बात कही और वादी को अपना पति नहीं मानती थी, पूछने पर बताया समय पर बता दूँगी कौन पति है। वह चुपके से फोन पर बात करती थी, मौका पाकर याची ने विपक्षिनी के फोन से उसी नम्बर पर कॉल बैक किया तो अवधेश नाम के व्यक्ति ने फोन का काल उठाया और उसने कहा कि वह, प्रतिवादिनी का कालेज का मित्र है, उसके घर आता जाता है, अवधेश के सम्बन्ध में प्रतिवादिनी से पूछा तो उसने गाली गलौज कर ग्रह क्लेश करके प्रताडित करने लगी तथा चीखने चिल्लाने लगी, इस पर काफी लोग इकटठे हो गये जिनमें शरद पचौरी व सुधीर दुबे आदि जिनके द्वारा काफी समझाने बुझाने के बाद विपक्षिनी, याची के साथ घर के अन्दर चली गयी।

दिनांक 04-06-2010 को रात्रि 9 बजे सम्पत्ति बेचकर गाजियाबाद चलने को कहा, चप्पलों से मारा, बीच बचाव करने याची के माता पिता आये तो उन्हें भददी भददी गालिया दी तथा उन्हें मारने की धमकी दी और फिर अपने भाई नकुल मिश्रा को बुला लिया और दिनांक 05-04-2016 को याची की माता जी की अल्मारी से 75 हजार रूपये नकद व ज्वैलरी ले गयी और उसी दिन उसके विरूद्व वादी ने थाना कोतवाली, मैनपुरी में मुकदमा अपराध संख्या-1239/2016, धारा – 406, 323, 504, 506 भा.द.स. का पंजीकृत कराया । काफी प्रयासों के बावजूद भी प्रतिवादिनी वैवाहिक सम्बन्ध बनाने के लिए तैयार नहीं है, जिससे याची को शारीरिक व मानसिक कष्ट हुआ यदि वह विपक्षिनी से विवाह विच्छेद नहीं कराता है तो उसका जीवन अन्धकार मय हो जायेगा । अतः वाद कारण माह अप्रैल 2016 में प्रतिवादिनी का साथ रहने से इन्कार करने से उत्पन्न हुआ। अतः याची का विवाह दिनांकित 25- 02-2011 को प्रतिवादिनी से विच्छेदित किया जाकर डिक्री पारित करने का निवेदन किया गया ।

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पूरा जजमेंट पढ़ने के लिए निचे PDF को पढ़े।

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