Bijendra singh Vs. Sheetal Yadav Divorce Judgement

प्रस्तुत याचिका याची की ओर से प्रतिवादिनी के विरूद्ध इस आशय की प्रस्तुत की गयी है कि याची व प्रतिवादिनी के मध्य सम्पन्न विवाह दिनांकित 10-02-2015 को विच्छेदित किया जावे।

याची का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि याची की शादी विपक्षी के साथ हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार दिनांक 10-02-2015 को सम्पन्न हुई थी। विपक्षिनी शादी में विदा होकर याची के घर आयी तथा याची व उसके परिजनों ने विपक्षिनी को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होने दी। विपक्षिनी जब माह दिसम्बर 2015 में अपने पिता के घर मायके गयी तो माह दिसम्बर या जनवरी के प्रारम्भ में विपक्षिनी का पुलिस विभाग में नियुक्ति पत्र आ गया और दिनांक 23-01-2016 को पुलिस विभाग में नौकरी प्राप्त कर ली तथा विपक्षिनी ने याची उसके घर वालों से जानबूझ कर छिपाया और जब याची या उसके घर वाले विपक्षिनी को बुलाने के लिए गये तो विपक्षिनी के माता पिता ने कोई न कोई बहाना कि विपक्षिनी अपने ननिहाल गई है। मार्च में होली के बाद विदा करा ले जाना। इस प्रकार 3-4 माह बीत गये और 3-4 माह बाद याची को विपक्षिनी का पुलिस मे नौकरी करने की बात पता चली।

विपक्षिनी का व्यवहार कुछ दिनों तक याची व उसके परिजनों के प्रति अच्छा रहा तथा उसके उपरान्त मायके वालों के कहने व सुनने पर उसके व्यवहार में परिवर्तन आने लगा तथा याची सें लडाई झगडा करने लगती थी। परिवादिनी एक अडियल व झगडालू प्रवृत्ति की महिला है और बात बात पर झगडा फसाद पर उतारू हो जाती है। याची द्वारा कई बार नौकरी करने वाले निवास स्थल पर ठहरने व अपनी पत्नी / विपक्षिनी से सहवास करने की इच्छा जताई किन्तु उसने मुझ याची के साथ सहवास करने से मना कर दिया और कहा कि मैं एक भी बच्चा पैदा नहीं करूँगी और न ही तुम्हारा वंश चलने दूँगी, तुम मुझसे तलाक ले लों । याची द्वारा कई बार अपनी पत्नी विपक्षिनी को समझाने की कोशिश की लेकिन वह कोई भी बात मानने को तैयार नहीं है और कहा कि मैं पढी लिखी महिला हूँ, सरकारी नौकरी करूगी। याची ने कहा कि मुझे नौकरी करवाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, मेरे घर खाने पीने की कोई कम नहीं है, इसी बात पर विपक्षिनी बिना बताये नाराज होकर सारा जेवर पकडा लेकर उस समय अपने मायके चली गयी जब याची के घर के पर कोई नहीं था ।

याची ने विपक्षिनी से कहा कि सामाजिक मान मर्यादा में रहे लेकिन विपक्षिनी नौकरी करने के बावत झगडने लगी। शादी के कुछ समय बाद समय बाद विपक्षिनी की नौकरी पुलिस विभाग में लग गयी, नौकरी लगने के उपरान्त विपक्षिनी के व्यवहार में और तब्दीली आ गयी और उसके बाद याची के घर पर आना जाना बन्द कर दिया । याची अपने पत्नी/विपक्षी की विदा कराने कई बार उसके घर गया और मय जेवर कपडे के साथ चलने को कहा तो विपक्षिनी ने कहा कि मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी और ना ही कोई वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करूगी, भलाई इसी में है कि विवाह विच्छेद करा ले नहीं तो जान से हाथ धो बैठोंगे। याची के बार बार प्रयास करने बावजूद भी विपक्षिनी याची के घर पर नहीं आयी जिससे याची को बहुत ही शारीरिक व मानसिक वेदना हुई । याची विपक्षिनी को हमेशा रखने को तैयार रहा और आज भी लेकिन विपक्षी याची के साथ रहने को तैयार नहीं है तथा वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित न करने से बहुत ही मानसिक पीडा उठानी पड रहा है तथा सामाजिक मान मर्यादा का भी हनन हो रहा है तथा उसकी बंश वृद्वि भी रूक गयी है। विपक्षिनी दिनांक 23-01-2016 को पुलिस में नौकरी लग जाने के बाद से विपक्षिनी याची से अलग रह रहीं है तथा दिनांक 20-04-2016 को याची के चाचा की मृत्यु हो जाने पर आखिरी बार याची के घर आयी थी और याची के चाचा के दाह संस्कार होने के पश्चात उसी दिन अपने नौकरी वाले स्थान पर चली गयी तब से विपक्षी का बिना किसी समुचित कारण के याची से अलग रह रहीं है। याची ने एक याचिका संख्या – 242 / 2019, धारा – 09 हिन्दू विवाह अधिनियम की प्रस्तुत की गयी जो कि न्यायालय द्वारा दिनांक 29-02-2020 को एक पक्षीय रूप से निर्णीत करते हुए विपक्षिनी को अन्दर दो माह याची के साथ दाम्पत्य सम्बन्धों की पुर्नस्थापना हेतु आदेशित किया गया परन्तु विपक्षिनी ने न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं किया और विपक्षिनी आज तक याची के घर नहीं आयी। याचिका प्रस्तुत करने का कारण 20-04-2016 वरोज याची का बिना किसी सुमचित कारण के परित्याग करने से माननीय न्यायालय के क्षेत्राधिकार के अर्न्तगत पैदा हुआ और आदरणीय न्यायालय को याचिका को सुनने व निस्तारण करने का अधिकार है । विपक्षिनी का व्यवहार से प्रतीत होता है कि वह स्वयं भी याची के साथ रहने को तैयार नहीं है। उभय पक्ष के मध्य कोई दुरभि सन्धि नहीं है ।मजबूरन यह दावा माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है । अतः न्यायालय से याचना की गई है कि डिक्री वहक याची विरूद्ध विपक्षिनी विवाह – विच्छेद सादिर फरमायी जावे तथा याची व विपक्षिनी का विवाह-विच्छेद करने की कृपा करें।

See also  Ravi Pachori Vs. Neha Pauchori Divorce Judgement

पूरा जजमेंट पढ़ने के लिए निचे PDF को पढ़े।

Rate this post
Share on:

Leave a comment