Vijyalaxmi vs Rajendra 406ipc Judgement

परिवादिनी श्रीमती विजयलक्ष्मी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अभियुक्तगण राजेन्द्र सिंह उर्फ राजू, गदल सिंह व श्रीमती सावित्री देवी को तलब कर दण्डित करने हेतु योजित किया गया।

संक्षेप में परिवादिनी कथन इस प्रकार है कि परिवादिनी श्रीमती विजयलक्ष्मी द्वारा इन कथनो के साथ प्रस्तुत किया गया कि उसकी शादी दिनांक ०५.०३.२००३ को हिन्दू रीति रिवाजो के अनुसार अभियुक्त संख्या-१ राजेन्द्र सिंह उर्फ राजू के साथ सम्पन्न हुयी थी। शादी में उसके पिता ने करीब ५ लाख रूपये खर्चा किया था। परन्तु शादी के बाद से ससुराल वाले विपक्षीगण दहेज से खुश नही थे और शादी के दिन से ही उसकी ससुराल वालो का व्यवहार क्रूरतापूर्ण व अभद्र रहा। उन्होंने उससे एक कार, तीन लाख रूपये की मांग शुरू से ही की। उसके मायके वालो ने विपक्षीगण को समझाया किन्तु वे नही माने। दिनांक ०२.११.२००३ को अभियुक्तगण ने परिवादिनी के साथ मारपीट की और उसे गर्भावस्‍था में मात्र पहने हुए कपडो में घर से निकाल दिया। जैसे तैसे वह अपने मायके गाजियाबाद आयी और दिनांक ०३.११.२००३ को अपना इलाज व मेडिकल कराया। दिनांक २२.११.२००३ को एम एम जी अस्पताल, गाजियाबाद में एक लडके को जन्म दिया किन्तु अभियुक्तगण ने कोई खैर खबर नही ली और न ही कोई खर्चा दिया और यह कहा कि हमे तुमसे कोई मतलब नहीं है। हम तुमसे अपना सम्बन्ध विच्छेद कर चुके है। समस्त स्त्रीधन एवं दहेज का सामान विपक्षीगण के पास है जिसकी कई बार अभियुक्तगण से मांग की गयी, परन्तु अभियुक्तगण उक्त स्त्रीधन व दहेज का सामान वापिस नही दे रहे है। इस बाबत नोटिस दिनांक १४.०५.२००४ को अपने अधिवक्ता के माध्यम से परिवादिनी द्वारा अभियुक्तगण को भिजवाया था तो उन्होने अपने वकील साहब के माध्यम से दिनांक २६.०५.२००४ को नोटिस का जवाब प्रेषित किया जिसमे अभियुक्तगण ने परिवादिनी का स्त्रीधन व दहेज का सामान वापस देने से मना कर दिया। दिनांक ०३.०६.२००४ को वह अपने भाई के साथ रिपोर्ट करने थाना विजयनगर गयी और थाना वालो ने आपसी मामला बताकर रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया। तब दिनांक ०५.०६.२००४ को एस एस पी, गाजियाबाद को अपनी रिपोर्ट बजरिये डाक प्रेषित की गयी। लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नही हुयी। विवश होकर परिवाद संस्थित किया गया है। प्रार्थना है कि विपक्षीगण को धारा-४०६ भा०दं०सं० के अन्तर्गत तलब कर दण्डित किया जाए।

परिवादिनी तथा उसकी तरफ से प्रस्तुत मौखिक व प्रलेखीय साक्ष्य के आधार पर मेरे विद्वान पूर्वाधिकारी द्वारा दिनांक २१.०९.२०१४ के आदेशानुसार अभियुक्तगण राजेन्द्र सिंह उर्फ राजू, गदल सिंह व श्रीमती सावित्री देवी को धारा-४०६ भा०दं०सं० के तहत विचारण हेतु तलब किए जाने हेतु आदेश पारित किया गया।

अभियुक्तगण न्यायालय में हाजिर आये। उन्होने अपनी जमानते करायी।

परिवादिनी की ओर से धारा-२४४ दं०प्र०सं० के तहत पी०डब्लू०-१ श्रीमती विजयलक्ष्मी, पी०डब्लू०-२ डालचन्द व पी०डब्लू०-३ किशन को परीक्षित कराया गया है।

परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर अभियुक्तगण राजेन्द्र सिंह उर्फ राजू, गदल सिंह व श्रीमती सावित्री देवी के विरूद्ध धारा-४०६ भा०दं०सं० के आरोप विरचित किये गये। अभियुक्तगण ने आरोप से इंकार किया और परीक्षण चाहा।

धारा-२४६ दं०प्र०सं० में पी०डब्लू०-१ श्रीमती विजयलक्ष्मी, पी०डब्लू०-२ डालचन्द व पी०डब्लू०-३ किशन को परीक्षित कराया गया है।

संक्षेप में परिवादी साक्षीगण के बयान निम्नवत्‌ है-

पी०डब्लू०-१ परिवादिनी विजयलक्ष्मी द्वारा मुख्यपृच्छा अंतर्गत धारा-२४४ दं०प्र०सं० में दि०- १२.०४.२००५ को कथन किया गया है कि, “मेरी शादी राजेन्द्र उर्फ राजू के साथ दिनांक ५.३.२००३ को हुयी थी। राजेन्द्र गांव दिघौट पलवल जिला फरीदाबाद में रहता है। मेरी शादी मेरे निवास स्थान विजयनगर गाजियाबाद में हुयी थी। मेरी शादी में मेरे मायके वालो ने करीब ५ लाख रूपये खर्चा किया था। शादी में कपडा, जेवर, फर्नीचर, नकद आदि दिए थे जिसकी सूची मैंने दाखिल की है। मेरे घरवालो द्वारा दिए गए दहेज से मेरे ससुराल वाले खुश नहीं थे। शादी से ही मेरे साथ दहेज की मांग व मारपीट शुरू हो गयी थी। मेरे ससुराल वालो ने दिए गए दहेज के अलावा ३ लाख रूपये व चार पहियो की गाडी की मांग की थी। मेरे परिवार वालो ने तीन लाख रूपये नही दिए थे। मेरे साथ शादी से ही ससुराल वालो ने मारपीट शुरू कर दी थी। मारपीट व दहेज की मांग के बाद मैं अपनी ससुराल से शादी के चार दिन बाद आ गयी थी। उसके बाद मैं वापस ससुराल भी गयी थी। मेरे सुसराल वालो ने २.११.२००३ को ससुराल से निकाल दिया था। मैंने दिनांक ०३.११.२००३ को जिला अस्पताल एम एम जी में मेडिकल कराया था। मैंने दिनांक २२.११.२००३ को एक पुत्र को जन्म दिया था। मैंने अपने पुत्र की सूचना अपनी ससुराल भिजवायी थी। इस सूचना पर मेरे ससुराल वाले नहीं आये थे। मैंने दहेज का सामान ससुराल वालो से मांगा था। लेकिन उन्होने नहीं दिया था। सामान वापसी के लिए वकील के माध्यम से नोटिस दिया था। थाना विजयनगर में भी रिपोर्ट की थी लेकिन कोई कार्यवाही नही हुयी। दहेज का स्त्रीधन मुझे वापस नहीं मिला है।”

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...