Bharatiya Nyaya Sanhita 55 in Hindi – BNS 55 in Hindi
मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध का दुष्प्रेरण- (1) जो कोई मृत्यु या आजीवन कारावास से दण्डनीय अपराध किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि वह अपराध उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप न किया जाए, और ऐसे दुष्प्रेरण के दण्ड के लिए कोई अभिव्यक्त उपबन्ध इस संहिता में नहीं किया गया है, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
(2) यदि ऐसा कोई कार्य कर दिया जाए, जिसके लिए दुष्प्रेरक उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप दायित्व के अधीन हो और जिससे किसी व्यक्ति को उपहति कारित हो, तो दुष्प्रेरक दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष की हो सकेगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
दृष्टांत- ख को य की हत्या करने के लिए क उकसाता है। वह अपराध नहीं किया जाता है। यदि य की हत्या ख कर देता है, तो वह मृत्यु या आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डनीय होता। इसलिए, क कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय है और जुर्माने से भी दण्डनीय है और यदि दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप य को कोई उपहति हो जाती है, तो वह कारावास से, जिसकी अवधि चौदह वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डनीय होगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
Bharatiya Nyaya Sanhita 55 in English – BNS 55 in English
Abetment of offence punishable with death or imprisonment for life- (1)Whoever abets the commission of an offence punishable with death or imprisonment for life, shall, if that offence be not committed in consequence of the abetment, and no express provision is made under this Sanhita for the punishment of such abetment, be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
(2) If any act for which the abettor is liable in consequence of the abetment, and which causes hurt to any person, is done, the abettor shall be liable to imprisonment of either description for a term which may extend to fourteen years, and shall also be liable to fine.
Illustration- A instigates B to murder Z. The offence is not committed. If B had murdered Z, he would have been subject to the punishment of death or imprisonment for life. Therefore A is liable to imprisonment for a term which may extend to seven years and also to a fine; and if any hurt be done to Z in consequence of the abetment, he will be liable to imprisonment for a term which may extend to fourteen years, and to fine.