दोस्तों, आज के इस आर्टिकल मैं आपको Case Law in Hindi के बारे में जानकारी देने जा रहा हूँ। आपने किसी वकील के जरिए या कोर्ट में या किसी से भी केस लॉ (case law) शब्द के बारे में सुना होगा। दरअसल केस लॉ (case law) का उपयोग एक वकील अपने क्लाइंट को केस जिताने के लिए करता है। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के द्बारा जो पूर्व निर्णय दिया जाता है। उसको केस लॉ (case law) या रुलिंग कहा जाता है। यदि कोई वकील अपने किसी क्लाइंट का केस लड़ रहा है, और उस क्लाइंट के केस के तथ्य सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए किसी पूर्व निर्णय से मेल खाते हैं, या उस पर खरे उतरते हैं। तब ऐसे में वह वकील केस लॉ (case law) का उपयोग निचली अदालत के सामने कर सकता है। यह आर्टिकल लॉ की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है। Case Law in Hindi को विस्तार से समझते हैं।
केस लॉ (case law) किसे कहते है? – Case Law in Hindi
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व निर्णय निचली अदालत के निर्णय पर काफी वजन रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट द्बारा दिया गया कोई भी निर्णय निचली अदालत पर लागू होता है। निचली अदालत, उच्च न्यायालय द्बारा दिए गए निर्णय से कभी भी अलग नहीं जा सकती है। इसलिए कानून में पूर्व निर्णय अति महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
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कोर्ट में बहस के दौरान वकील अपने क्लाइंट को बचाने के लिए उससे मिलते झूलते पूर्व निर्णय लेकर आते है, और जज साहब के सामने वो पूर्व निर्णय पेश करते है। अगर वो पूर्व निर्णय क्लाइंट के केस से मेल खाते है, तो उस मामले में पूर्व निर्णय को लागू किया जा सकता है। लेकिन पूर्व निर्णय को अदालत में पेश करने से पहले उसको अच्छी तरह से देख लेना चाहिए, की इस पूर्व निर्णय से हमे फ़ायदा हो सकता है या नहीं। क्योंकि पूर्व निर्णय के तथ्यों का और अपने केस के तथ्यों का मिलना बहुत जरुरी है। आप केवल धारा या टिप्पणी और हेड नोट्स को देखकर ही पूर्व निर्णय प्रस्तुत नहीं कर सकते। इसको मैं एक उदहारण देकर समझाता हूँ।
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केस लॉ (case law) का उदहारण –
मान के चलिए, किसी रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया। निचली कोर्ट में A नाम के व्यक्ति पर भी रेप का केस लगा हुआ है। अब A ने सुप्रीम कोर्ट का वो पूर्व निर्णय निचली कोर्ट में लगा कर अपने आप को बरी करने की गुहार लगाता है। ऐसा नहीं हो सकता, अगर उस केस के फेक्ट A के केस से मिलते है, तभी A को केस में रिलीफ मिल सकता है। नहीं तो सभी रेप के केस वाले सुप्रीम कोर्ट का वो पूर्व निर्णय लगा कर बरी हो जायेंगे। दोस्तों सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व निर्णय के फेक्ट और उसमे किस-किस पॉइंट पर आरोपी को बरी किया है, वो सब निर्णय में लिखा होता है, अगर ऐसा ही किसी दूसरे के केस में फेक्ट और पॉइंट है, तभी उसको रिलीफ मिलेगा। इसलिए पूर्व निर्णय को अदालत में पेश करने से पहले उसको अच्छी तरह से देख लेना चाहिए।
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कई बार ऐसा होता है, की सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व निर्णय को ठीक से समझे बिना ही उसे निचली कोर्ट के समक्ष पेश कर दिया जाता है। जो कि आरोपी के विरुद्ध चला जाता है। क्योंकि ऐसा करने से जज साहब के सामने उस आरोपी की इमेज खराब हो जाती है। एक बार जब आरोपी की इमेज खराब हो जाती है, तो उसका केस भी खराब हो सकता है।
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आशा करता हूँ, मेरे दुबारा केस लॉ (Case Law) किसे कहते है?, Case Law in Hindi की दी हुई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
निष्कर्ष:
मैंने “केस लॉ (Case Law) किसे कहते है?, Case Law in Hindi” के बारे में बताया है। अगर आपकी कोई भी क्वेरी या वेबसाइट पर अपलोड हुए जजमेंट को PDF में चाहते है, तो आप हमसे ईमेल के दुबारा संपर्क कर सकते है। आपको Contact पेज पर Email ID ओर Contact फॉर्म मिलेगा आप कांटेक्ट फॉर्म भी Fill करके हमसे बात कर सकते है।
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आशुतोष चौहान उत्तरप्रदेश के छोटे से गांव से है, ये पोस्ट ग्रेजुएट है, ये इस साईट के एडमिन है। इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी हिंदी में आर्टिकल लिखना पसंद है।