आईपीसी धारा 19 क्या है? । IPC Section 19 in Hindi । उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए भारतीय दंड संहिता (IPC Section 19 in Hindi) की धारा 19 की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता  (IPC) की धारा 19 क्या होती है?

IPC Section 19 in Hindi
IPC Section 19 in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC Section 19 in Hindi) की धारा 19 क्या होती है?

“ “न्यायाधीश” शब्द न केवल हर ऐसे व्यक्ति का द्योतक है, जो पद रूप से न्यायाधीश अभिहित हो, किन्तु उस हर व्यक्ति का भी द्योतक है, ”

“ “The word “Judge” denotes not only every person who is officially designated as a Judge, but also every person – ”


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धारा 19 क्या है?

ऊपर जो IPC Section 19 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 19 को सरल शब्दों में समझाता हूँ । IPC Section 19 इसमें  judge कब किसको बोला जाएगा? किस व्यक्ति को judge बोला जाएगा ? एक वो होते हैं जिनकी post judge होती है। इसमें यही बताया गया है कि जिनको officially किया गया है। जिनको जज post के लिए posted किया गया है। ऐसा judge law के द्वारा कानून के द्वारा, सरकार के द्वारा जिनको post मिली उनको  judge बोला ही जाएगा वह judgement दे ही सकते हैं। लेकिन कुछ और व्यक्ति हैं। उनको भी हम judge बोलेंगे, कब बोलेंगे? यहां से है but also every person who is empower by law. जिनको law ने यह ताकत दी है। किस चीज़ की ताकत है,  to get judgement in any legal proceeding or criminal. चाहे कोई civil का case है। जैसे ज़मीन जायदाद का case है, चाहे कोई criminal case है। अगर law ने उनको empower किया है। Law ने उनको ताकत दी है, judgement देने की चाहे वह legal proceeding है, चाहे वह criminal proceeding है, तो उनको भी judge बोला जाएगा। लेकिन इसमें कुछ conditions रखी गई हैं। कि वह definitely जब judgment होगी तब ही उनको judge बोला जाएगा। definitely judgement का क्या मतलब है? definitely judgement का मतलब होता है final judgment. जब किसी case का पूर्ण फ़ैसला हो जाता है, या complete तौर पर फ़ैसला हो जाता है। जब उस case में कोई विवाद नहीं बचता और वह जो फ़ैसला होता है। वह दोनों पक्षों पर पूर्णलागू होता है। उसको definitely judgment बोलते हैं। एक final फ़ैसला किसी भी केस का जब केस में बाकी कोई विवाद ना बचा हो। अगर कोई definite judgement देता है जिसको कानून ने power दी है तो उसको definite judgement बोला जाएगा जो definitely judgement किसी ने दी होती है। उसको भी judge बोला जाएगा। जैसे मान के चलिए सेशन कोर्ट ने कोई फ़ैसला सुनाया किसी का भी, वह तब तक definitely नहीं होती है। तब तक final नहीं होती है। जब तक उसको high court की तरफ से confirmation ना मिल जाए, क्योंकि सेशन कोर्ट के पास यह ताकत नहीं होती है, कि वह जो उसने फ़ैसला दिया है वह बिना हाई कोर्ट की confirmation के उसको final कर सकें। हाई कोर्ट की जब confirmation आ जाती है। उसके बाद वह definite judgment बन जाती है। यही इस defination में कही गई है। चाहे वो as a rent controller कोई भी judge काम कर रहे हो, चाहे वो family judge हो या जैसे labor court में pre prefer officers होते हैं। उनको भी judge बोला जाएगा। family court के जो officers होते हैं, जो फ़ैसला सुनाते हैं। उनको भी judge बोला जाएगा। तो उम्मीद करता हूं। आपको भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के Section 19 समझ में आ गयी होगी। मैंने इसको सिंपल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, अगर फिर भी कोई Confusion रह गई है, तो आप कमेंट बॉक्स में क्वेश्चन कर सकते है। मुझे आंसर देने में अच्छा लगेगा। 

मैंने भारतीय दंड संहिता IPC Section 19 को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।

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