दोस्तों, कभी आपने सोचा है, की हम किसी अपराधी का किसी अपराध में साथ दे, तो क्या उस अपराध में हमारा भी नाम आएगा? क्या हमे भी सज़ा मिलेगी? आज के इस आर्टिकल में हम चर्चा करने वाले हैं, IPC 201 In Hindi यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 201 क्या है? इस धारा को कब और किन-किन अपराध में लगाया जाता है? Dhara 201 के मामलो में कितनी सज़ा मिलती है? Dhara 201 में जमानत कैसे मिलेगी? (ipc 201 is Bailable or Not)? और Dhara 201 में अपना बचाव कैसे करे? सभी Question के हल इस आर्टिकल में मिलेगे।
Dhara 201 में सबूत मिटाने या किसी सबूत को छिपाने के अपराध के बारे में बताया गया है। तो चलिए इसको बिस्तार से बताते है।
IPC 201 in Hindi – धारा 201 क्या है? ओर ये कब लगती है?
धारा 201 सबूत मिटाने के लिए या किसी सबूत को छिपाने के लिए लगाई जाती है। अब आप सोच रहे होंगे की सबूत क्या होता है? चलिए मैं बताता हूँ सबसे पहले यह समझिए जब कहीं पर अपराध होता है। अपराध और अपराधी को, जो कड़ी जोड़ती है, या जो चीज़ जोड़ती है, उसी को सबूत बोला जाता है। जिसके आधार पर पुलिस अपराधी को पकड़ती है। जैसे कोई अपराध हुआ तो उस अपराध करने वाले अपराधी तक पुलिस सबूत के आधार पर पहुँचती है, कि कोई भी ऐसी कड़ी, कोई भी ऐसी चीज़ जिसके दुबारा अपराधी तक पहुंचा जा सकता है, जो अपराध और अपराधी को जोड़ता है। उसी को सबूत बोला जाता है।
अगर कोई इस सबूत (एविडेंस) को कोई मिटा दे, छुपा दे, तब ऐसे में अपराधी तक पहुंचना मुश्किल है। क्योंकि सबूत के आधार पर ही अपराधी को पकड़ा जा सकता है। इसलिए ये बहुत ही सीरियस अपराध (offense) है। धारा 201 उस इंसान पर लगती है, जो कि सबूत को मिटाता है, छुपाता है, ताकि अपराधी तक कोई ना पहुंचे और अपराधी को सज़ा ना मिल सके। ऐसे में जो व्यक्ति सबूत को मिटाने की कोशिश करता है या छुपाता है। उस व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 201 का सेक्शन लगता है।
धारा 201 का उदाहरण
जैसे मान के चलिए, किसी A नाम के व्यक्ति ने B नाम के व्यक्ति का मर्डर कर दिया। A ने B का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया। मर्डर एक ऐसा अपराध है, जिसकी सज़ा Death Penalty है, मतलब उसने मर्डर किया उसको Death Penalty मिल सकती है, A को फांसी की सज़ा मिल सकती है। अब कोई Z नाम का व्यक्ति है, जिस चाकू से A ने B को मारा था Z नाम के व्यक्ति ने उस चाकू को छुपा दिया या बन्दूक से मारा था या किसी भी आधार से मारा था उस सबूत को Z ने छुपा दिया या मिटा दिया। तो A अपराधी को Death Penalty मिलनी है, क्योंकि A ने मर्डर किया। लेकिन Z ने अपराध से जुड़े हुए सबूत को छुपाया है, इसलिए Z को भी सज़ा मिलेगी। और ये सज़ा सात साल की होगी। मतलब कोई ऐसा अपराध है, जिसकी सज़ा Death Penalty हो सकती है, ऐसे अपराध से जुड़े हुए किसी सबूत को अगर कोई मिटाता है, तो उसको सज़ा सात साल मिलेगी। कुल मिलाकर अपराध देखा जाएगा कि अपराध कैसा है? जिसमें सबूत मिटाए जा रहे हैं। ये उधारण मैंने नीचे फर्स्ट पॉइंट का दिया है।
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IPC Dhara 201 में सज़ा कितनी होती है?
Dhara 201 में सज़ा का प्रावधान तीन पॉइंट्स में बताया गया है-
- अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा मृत्यु दंड हो- अगर कोई अपराधी कोई ऐसा अपराध करता है, जिसमें उस अपराधी को मृत्यु दंड की सज़ा मिल सकती है या फांसी की सज़ा मिल सकती है। तब ऐसे में कोई व्यक्ति उसकी मदद सबूत मिटाने या छुपाने में करता है, तो उस व्यक्ति को सात साल तक की सज़ा व जुर्माने से दंडित किया जाता है।
- अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा उम्र कैद हो- अगर कोई ऐसा अपराध है, और इस अपराध से जुड़ा हुआ कोई सबूत मिटाता है, तो जिसको उम्रकैद मिलनी है, जिसने अपराध किया उसको तो उम्रकैद मिलेगी ही लेकिन इस अपराध से जुड़ा हुआ कोई सबूत अगर कोई मिटाता है, तो उसको तीन साल तक की सज़ा मिलेगी। सबूत मिटाने वाले व्यक्ति पर आईपीसी की धारा 201 लगेगी।
- अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा दस वर्ष से कम हो- जिस अपराध की सज़ा दस साल से कम है, जैसे कोई लड़ाई झगड़े का या चोरी का अपराध है। उसमें दस साल से कम की सज़ा होती है। ऐसे किसी अपराध से रिलेटेड कोई सबूत मिटाता है, तो उसको उसका 1 Fourth मिलेगा। जैसे मान के चलिए किसी अपराध में जिसकी सज़ा दस साल से तो कम है, उस अपराध में मैक्सिमम सज़ा तीन साल है, या आठ साल है। उसका चौथा हिस्सा सबूत मिटाने वाले को सज़ा मिलेगी और साथ में जुर्माना भी लगता है।
IPC 201 में जमानत (Bail) कैसे मिलती है?
धारा 201 एक Bailable Offense है, Bailable Offense का मतलब जो जमानती अपराध होते है, जिस अपराध की जमानत थाने में ही हो जाती है। उसको Bailable Offense बोला जाता है। मतलब जमानत आसानी से मिल जाती है। धारा 201 एक Non Compoundable Offense है, Non Compoundable Offense का मतलब होता है, कि गैर समझौतावादी है, इसमें समझौता करने की कोई गुंजाईश नहीं होती है। इसलिए Dhara 201 में किसी भी प्रकार का समझौता (Compromise) नहीं किया जा सकता। और यह गैर-संज्ञेय अपराध (Non-Cognizable Crime) भी है, इसमें अपराधी को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकती है।
अपराध | सज़ा | संज्ञेय | जमानत |
---|---|---|---|
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा मृत्यु दंड हो- | 7 साल की कारावास और जुर्माना | यह एक गैर-संज्ञीय अपराध है। | यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है। |
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा उम्र कैद हो- | 3 साल की कारावास और जुर्माना | यह एक गैर-संज्ञीय अपराध है। | यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है। |
अगर कोई अपराधी ऐसा अपराध करता है, जिसकी सज़ा दस वर्ष से कम हो- | अपराध का 1 Fourth या जुर्माना या दोनों | यह एक गैर-संज्ञीय अपराध है। | यह एक जमानतीय (Bailable) अपराध है। |
धारा 201 में बचाव कैसे करे?
कभी कभी इंसान न चाहते हुए भी अपराध कर देता है। जैसे आम बात ही ले लेते है, की किसी की फैमली का कोई मेंबर या खास दोस्त से कोई अपराध हो गया है, तो निर्दोष आदमी भी अपनी फॅमिली या दोस्त को बचाने की ही सोचता है। बहुत से मामलो में ऐसा ही देखने को मिलता है। वो निर्दोष न चाहते हुए भी अपराधी बन जाता है। धारा 201 से बचाव के लिए कुछ पॉइंट कुछ पॉइंट मैं आपको बता रहा हूँ।
- किसी का कोई फॅमिली मेंबर या दोस्त जो भी है, उसको अपराध करने से रोके न की उसका उस अपराध में साथ दे।
- अगर अपराधी से अपराध हो गया है। तो आप उस अपराध के सबूत को न मिटाये क्योंकि अपराधी को तो सज़ा मिलेगी ही मिलेगी लेकिन आप भी अपराधी बन जायेंगे।
- यदि आप पर धारा 201 लग गयी है। तो सबसे पहले किसी अच्छे वकील को अपने केस के लिए अप्पोइन्मेंट करे।
- यदि आप को झूठा फसाया गया है। तो ऐसे में आप सबूत को कोर्ट में लगाए या आप quashing के लिए हाई कोर्ट भी जा सकते है।
उम्मीद करता हूं। आपको भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के Section 201 समझ में आ गयी होगी। मैंने इसको सिंपल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, अगर फिर भी कोई Confusion रह गई है, तो आप कमेंट बॉक्स में क्वेश्चन कर सकते है। मुझे आंसर देने में अच्छा लगेगा।
निष्कर्ष:
मैंने IPC 201 in Hindi को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।
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मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।