IPC 354 in Hindi- धारा 354 कब लगती है? सजा, जमानत और बचाव

दोस्तों, आज मैं आपको एक ऐसे सेक्शन के बारे में बताऊंगा जो बहुत ही important है। उसमें कुछ ऐसी चीज़ें बताऊंगा जो केस जीतने के लिए बहुत ही important है। आज मैं आपको IPC 354 in Hindi  के बारे में बताने वाला हूँ। जब से निर्भया कांड हुआ है, यह section बहुत important हो गया है। आपको इस टॉपिक पर बहुत सारे आर्टिकल गूगल पर मिल जायेंगे। लेकिन मैं आज जो आपको बताने वाला हूँ, वो इतना important है, जो आपको इस case से निकालने में मदद कर सकता है।

IPC 354 in Hindi
IPC Section 354 in Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अनुसार-

स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग:- “जो कोई किसी स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से यह संभाव्य जानते हुए कि तद्द्वारा वह उसकी लज्जा भंग करेगा, उस स्त्री पर हमला करेगा या आपराधिक बल का प्रयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो पाँच वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।”

दोस्तों, उप्पर की कानूनी भाषा को समझने में आपको दिक्कत आ रही होगी मैं आपको सिंपल भाषा और उदाहरण देकर समझता हूँ।

IPC 354 in Hindi – ये धारा कब लगायी जाती है?

IPC Section 354 के अन्तगर्त वो केस आता है, जो छेड़छाड़ संबंधी केस होता है। यानी कि अगर किसी महिला के ऊपर, आपराधिक बल का प्रयोग करके उसके साथ जबरदस्ती sex करने की इच्छा करना, उससे sex की demand करना, जबरदस्ती उसके private photo को Facebook, WhatsApp या किसी social site पर फैलाना। ये सब चीज़े इस धारा में आती है। जबरदस्ती किसी महिला के साथ आपराधिक बल प्रयोग करके उसको मजबूर करना वो भी इस धारा अंतर्गत आता है।

कोई आदमी किसी महिला या लड़की को गंदी film दिखा रहा हैं, उसको शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुँचा रहा हैं, उसकी मर्जी के बिना उसके private part को छू रहा है, उसको गंदे तरीके से घूर रहा है, गलत तरीके से उसका फोटो खींच कर फैला दे रहा है, ये सब भी इस धारा में आएगा।

उदाहरण-

मान लीजिए, राकेश किसी गॉंव में रहता है। उसके पड़ोस में एक परिवार रहता है। राकेश की उस परिवार से किसी बात को लेकर कहा सुनी हो गयी। तब राकेश ने एक प्लान बनाया की इस परिवार से मुझे बदला लेना है। राकेश ने उस परिवार की एक महिला का नहाते हुए फोटो ले लिए और उन फोटो को किसी social media पर अपलोड कर दिए। अब ऐसे में वो फोटो वायरल हो गए और उस परिवार को पता चल गया की ये फोटो राकेश ने खींचे है, और उनको social media पर अपलोड भी राकेश ने किया है। फिर वो परिवार राकेश के नाम की रिपोर्ट थाने में करते है। अब ऐसे में राकेश पर आईपीसी की इस धारा के तहत करवाई होगी।

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धारा 354 में कितनी सजा का प्रावधान है?

IPC 354 में कम से कम एक साल और अधिक से अधिक पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। साथ में जुर्माना भी हो सकता है। यह जज साहब के विवेक पर depend करता है, कि जुर्माना होगा कि नहीं होगा। लेकिन सजा एक साल से पांच साल तक की हो सकती है।

एक चीज़ इसमें ओर है, कि पीड़िता को कोर्ट की तरफ से भी मुआवज़ा (compensation) का पैसा मिलता है। जो व्यक्ति उसके साथ गलत किया है, यानी कि opposite party वह तो जुर्माने कि रकम देगा ही देगा लेकिन कोर्ट भी देती है। क्योंकि यह जो केस है, वह state versus है। यानी यह जो छेड़ छाड़ संबंधित अपराध हुआ है, वह सरकार के विरुद्ध अपराध हुआ है, ऐसा माना जाता है।

अपराधसजासंज्ञेयजमानतविचारणीय
स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोगकम से कम एक साल और अधिक से अधिक पांच साल तक की सजा और जुर्मानायह एक संज्ञेय अपराध है।यह एक गैर-जमानती अपराध है।किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

धारा 354 में जमानत देने का क्या प्रावधान है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के अपराध को गैर-जमानती अपराध माना गया है, जिससे जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्योंकि यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध (Cognizable Crime ) होता है।

यह धारा  एक Cognizable (संज्ञेय) Offense है। Cognizable (संज्ञेय) का मतलब होता है, कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है।

यह धारा  एक गैर-समझौता वादी अपराध है। इसमें समझौता नहीं किया जा सकता। कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें समझौता हो सकता है। लेकिन यह गैर-समझौता वादी है।

पीड़ित महिला अपने केस को कैसे मजबूत करे?

अगर आप पीड़ित महिला हैं और आपके साथ सच में घटना घटी है। तो मैं आपको कुछ पॉइंट बता रहा हूँ जिससे आपका केस और मजबूत होगा।

  1. अगर आप महिला हैं और आपके साथ जानबूझकर इस प्रकार की गलत घटना घट रही है। तो आपको तुरंत पुलिस को इन्फॉर्म करना चाहिए।
  2. जिस तरह की घटना आपके साथ हुई है, उसी के रूप में आपको अपना medical करवाना चाहिए।
  3. अगर आप के वस्त्र फाड़े गए हैं, तो उन वस्त्र को आप महिला पुलिस को दे सकते हैं। जोकि आपके एविडेन्स में काम आएंगे।
  4. आपके साथ कोई गलत काम हुआ है, तो आप अपना medical उसी समय पुलिस को करने के लिए कह सकते हैं। तो इस प्रकार आपका केस बहुत मज़बूत हो जाएगा।
  5. घटना को ज्यादा बढ़ा चढ़ा के नहीं बतानी चाहिए। जो आपके साथ हुआ है, वो सच ही पुलिस के सामने बताना चाहिए।
  6. आपके पास जितने भी गवाह है उन सबको IO (investigation officer) के समक्ष पेश करने चाहिए।
  7. आपके पास घटना के समय की कोई audio, video recording या CCTV footage है। तो वह भी आप IO (investigation officer) के समक्ष पेश करने चाहिए।
  8. नोट: अपने केस को और मजबूत करने के लिए कोर्ट में झूठा गवाह या सबूत पेश न करें। नहीं तो आप केस हार सकती है।
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इसमें अपना बचाव कैसे करे?

इसमें अभियुक्त को अपना बचाव करने के लिए, मैं आपको कुछ पॉइंट बता रहा हूँ।

  • अगर आप पुरुष है, और इस प्रकार की घटना बता कर कोई स्त्री आपको जानबूझकर फ़साना चाह रही है। आपको तुरंत पुलिस को इन्फॉर्म कर देना चाहिए और पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दे दीजिए।
  • अगर आप पर कंप्लेंट दर्ज हो गयी है, तो आपको investigation officer यानी IO से मिलकर अपना पक्ष रखना चाहिए लेकिन आप IO से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिले। क्योंकि महिलाओं से छेड़छाड़ के मामले में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। इसलिए आपको किसी reputed person या अनुभवी वकील के जरिए ही पुलिस से संपर्क करना चाहिए। पहले तो आप पुलिस को यह बताएं कि क्या महिला आपके परिचित हैं या नहीं हैं? दूसरा महिला आप पर झूठे आरोप क्यों लगा रही है? तीसरा अगर महिला आपके झूठे आरोप लगा रही है, तो महिला या महिला के परिवार वालों से आपकी क्या कोई personal दुश्मनी है? चौथा अगर आपके पास निर्दोष होने का कोई सबूत है, जैसे आपके पास घटना के समय की कोई audio, video recording या CCTV footage है। तो वह भी आप पुलिस को उपलब्ध कराइए। अगर महिला आपसे दुश्मनी रखती है, या महिला के परिवार वाले आपसे दुश्मनी रखते हैं, और इसका कोई सबूत है, या इसका कोई गवाह है, तो वह भी आप पुलिस के सामने पेश कर सकते हैं।
  • हमने अक्सर देखा है, की किरायेदार और मकान मालिक या दो पड़ोसियों के बीच में पहले से ही कोर्ट में काफी सारे मुकदमे चल रहे होते हैं। और ऐसे में एक पक्ष दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने के लिए महिलाओं से छेड़छाड़ के झूठे मुकदमे भी दर्ज करा देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है, यानी कि आपके और महिला के या महिला के परिवार के बीच में पहले से ही कोई मुकदमेबाजी चल रही है। तो उनके document भी आप IO को उपलब्ध करा सकते हैं।
  • अगर महिला या महिला के परिवार वालों ने आपको कोई धमकी दी है, कि हम आपको झूठे मुकदमे में फ़साएंगे तो इस प्रकार का कोई सबूत है। तो वह भी आप पुलिस के सामने ज़रूर पेश कीजिए।
  • अगर पुलिस आपकी बात से कन्विंस नहीं होती है। पुलिस यह कहती है, कि नहीं आपके सबूत गलत हैं। महिला सही कह रही है या आपको हम गिरफ्तार करेंगे। तो ऐसे में आप अग्रिम जमानत का आवेदन कोर्ट में पेश कर सकते हैं। लेकिन आप अग्रिम जमानत का आवेदन तभी पेश करें जब आप पूरी तरह संतुष्ट हो कि पुलिस अब आपको गिरफ्तार ज़रूर करेगी। अगर पुलिस आपको गिरफ्तार नहीं करती है या गिरफ्तार होने की संभावना नहीं है। तो अग्रिम जमानत का प्रार्थनापत्र कोर्ट में पेश नहीं करें। यहाँ एक बात ध्यान रखने वाली है, कि पुलिस के पास आप जो भी audio recording, video recording, CCTV footage या कोई दस्तावेज़ देते हैं तो उसकी एक copy आप अपने पास ज़रूर रखें।
  • अगर आपने अग्रिम जमानत का आवेदन पत्र कोर्ट में पेश किया है, और ऐसे सबूत आपके पास है, जिससे यह साबित होता है, कि आप निर्दोष हो, तो वह डॉक्यूमेंट आपको वकील के जरिए कोर्ट में ज़रूर पेश करने चाहिए। इस तरीके से अगर आप कोर्ट में सबूत पेश करते हैं, तो उन सबूतों के साथ आप अपना एक शपथ पत्र ज़रूर पेश कीजिए। जिसमें आप यह बताइए कि इन सारे सबूतों को इन सारे documents को आपने IO को उपलब्ध करा दिए हैं। उसके बाद भी IO आपको गिरफ्तार करने पर आमादा है। और इस तरीके से अगर आप affidavit पेश करते हैं, तो कोर्ट आपसे कन्विंस होकर अग्रिम जमानत का लाभ आपको दे सकता है।
  • अगर आपके पास निर्दोष होने के पुख्ता सबूत हैं तो आप CRPC की धारा 482 के तहत सीधे ही माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष FIR को quash करने की petition पेश कर सकते हैं। वहां भी आप सारे दस्तावेज़ यानी सारे सबूत कोर्ट के सामने पेश कीजिए और उसके साथ एक affidavit पेश कीजिए कि आपने IO को सारे दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए हैं। ऐसे में माननीय उच्च न्यायालय आपके दस्तावेजों की जांच करके आपकी पेटिशन accept कर सकता है। और FIR को quash कर सकता है। इस तरीके से आप एक झूठे मुकदमे से बच सकते हैं।
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FAQs:-

उत्तर:- जबरदस्ती किसी महिला के साथ आपराधिक बल प्रयोग करके उसको मजबूर करना वो भी IPC की धारा 354 में आती है।

उत्तर:- नहीं! आईपीसी की धारा 354 के अंतर्गत होने वाले अपराध गैर-जमानती की श्रेणी में आते है।

उत्तर:- अगर आपके पास निर्दोष होने के पुख्ता सबूत हैं तो आप CRPC की धारा 482 के तहत सीधे ही माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष FIR को quash करने की petition पेश कर सकते हैं। वहां भी आप सारे दस्तावेज़ यानी सारे सबूत कोर्ट के सामने पेश कीजिए और उसके साथ एक affidavit पेश कीजिए कि आपने IO को सारे दस्तावेज़ उपलब्ध करा दिए हैं। ऐसे में माननीय उच्च न्यायालय आपके दस्तावेजों की जांच करके आपकी पेटिशन accept कर सकता है। और FIR को quash कर सकता है। इस तरीके से आप एक झूठे मुकदमे से बच सकते हैं।

उत्तर:- आईपीसी की धारा 354 एक Cognizable (संज्ञेय) Offense है। Cognizable (संज्ञेय) का मतलब होता है, कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है।

मैंने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। इस धारा में “स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने पर सजा” के बारे में बताया गया है। दोस्तों इस लेख को अपने दोस्तों या रिस्तेदारो को जरूर शेयर करे ताकि और लोगो तक ये जानकारी पहुंचाई जा सके।

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