आईपीसी धारा 39 क्या है? । IPC Section 39 in Hindi । उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए IPC Section 39 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने  आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 39 क्या होती है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 39 क्या होती है?

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 39 के अनुसार :-

स्वेच्छया:- “कोई व्यक्ति किसी परिणाम को उन साधनों द्वारा कारित करता है, जिनके द्वारा उसे कारित करना उसका आशय था या उन साधनों द्वारा कारित करता है जिन साधनों को काम में लाते समय वह यह जानता था, या यह विश्वास करने का कारण रखता था कि उनसे उसका कारित होना संभाव्य है, “स्वेच्छया” कारित करना कहलाता है।”

Voluntarily:- “A person is said to cause an effect “voluntarily” when he causes it by means whereby he intended to cause it, or by means which, at the time of employing those means, he knew or had reason to believe to be likely to cause it.”


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धारा 39 क्या है?

ऊपर जो IPC Section 39 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 39 को सरल शब्दों में समझाता हूँ ।

IPC Section 39 in Hindi में कहा गया है, कि आप कोई भी Act करते हैं। उससे जो भी effect निकल के आता है। और उस Act में आप जिन साधनों (means) का इस्तेमाल करते हैं। अगर आप उन साधनों का वाकई में इस्तेमाल करना चाहते थे। तब यही माना जाएगा, कि आपने वह जानबूझकर प्रभाव पैदा किया है। और जो रिजल्ट निकल के आएगा। वह माना जाएगा कि आपने स्वेच्छा से किया है। या फिर आप जिस टाइम जिस साधन का इस्तेमाल कर रहे थे। कुछ करने के लिए अगर आपको पता था। कि इसका result क्या हो सकता है। इसका क्या effect हो सकता है। या आपके पास रीज़न था believe करने का, कि इसका ऐसा effect भी निकल आ सकता है। तब यही माना जायेगा की आपने जानबूझकर कर वह effect पैदा किया है। इसको मै उदहारण देकर समझाता हूँ।

मान के चलिए ABC नाम का व्यक्ति है। उस व्यक्ति को किसी के घर में चोरी करनी थी। और वो उस घर में आग लगा देता है। लेकिन उसकी intention (इरादा ) सिर्फ चोरी करने का था। उसका इरादा ये नहीं था की किसी की मृत्यु हो जाए। लेकिन उस घर में सभी लोग सोये हुए थे। रात के समय में उसने आग लगा दी। अब उस घर में आग लगने के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। ABC नाम के व्यक्ति को दुख भी होता है। कि मेरे द्वारा आग लगाने के कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई। क्योंकि उसका कोई इरादा नहीं था। किसी की जान लेने का उसका इरादा सिर्फ चोरी करने का था। अब ABC नाम का व्यक्ति यह कह के नहीं बच सकता। कि मैंने आग सिर्फ चोरी करने के लिए लगायी थी। जिससे सब भाग जाएंगे और मैं चोरी कर लूंगा। जब वह आग लगा रहा था। तब उसको पता था। या उसके पास बिलीव करने का रीज़न था। कि मेरे आग लगाने के कारण किसी ना किसी की मृत्यु हो सकती है। क्योंकि ये कॉमन सेंस है, कि अगर आप किसी के घर में आग लगाएंगे तो किसी की मृत्यु भी हो सकती है। यहां पर लोग रहते हैं। तब यही माना जाएगा कि उसने जो वह effect किया है। वह आग जानबूझकर लगाई है। और उसने किसी की death की है। उस व्यक्ति पर death का charge लगेगा। तब यह माना जाएगा कि उसने यह सारा काम जान कर किया है। और उसको punishment बाकायदा death के charge के लिए मिलेगी। IPC का section 39 यही कहता है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...