अक्सर आपने देखा या सुना होगा की एक आदमी दूसरे आदमी पर विश्वास करता है लेकिन वो आदमी उसके साथ विश्वासघात कर देता है यानि उसको धोखा दे देता है। इसको कानून कि भाषा में “Criminal Breach of Trust” कहते है। आज हम IPC 406 in Hindi के बारे में बात करेंगे और इसके कुछ जजमेंट भी आपके साथ शेयर करेंगे।
आप इस लेख में IPC 406 के बारे में जानेंगे इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को पूरा अंत तक जरूर पढ़ें। इस लेख में आपको Dhara 406 kya hai?, IPC 406 कब लगती है?, धारा 406 से कैसे बचे?, IPC 406 में जमानत और इसके बचाव के साथ-साथ आप इसे उदाहरण सहित जानेंगे।
IPC 406 in Hindi – आईपीसी की धारा 406 क्या है? आईपीसी की धारा 406 कब लगती है?
किसी भी अपराधी को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में बहुत सी धाराएं बनी हुई हैं। हर अपराधी का अपराध करने का तरीका भी अलग-अलग होता है, ऐसे में जब कोई अपराधी किसी दूसरे व्यक्ति का विश्वास जीतकर उसके साथ धोखा करता है, या उसके साथ विश्वास घात (“Criminal Breach of Trust”) करता है तब ऐसे अपराधियों के ऊपर धारा 406 लगायी जाती है।
IPC KI DHARA 406 KYA HAI?
आप IPC 406 को इस तरह से भी समझ सकते हैं, जैसे कोई व्यक्ति, किसी दूसरे व्यक्ति के विश्वास में आकर अपनी संपत्ति या कोई प्रिय वस्तु देख रेख करने के लिए दे देता है, और दूसरा व्यक्ति उस संपत्ति को हड़प ले या उसको बेच दे। इस तरह के सारे जुर्म जो विश्वास जीत कर धोखा देते हो उन सभी मे धारा 406 लगायी जाती है।
धारा 406 का उदाहरण || Example of Section 406
राकेश एक बहुत ही धनि घर से बिलोंग करता है। राकेश के पिता एक बिज़नेस मैन हैं और वो इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का बिज़नेस करते है। राकेश की गाड़ी और पैसो से प्रभावित होकर दिनेश नाम का लड़का उससे दोस्ती बनानी शुरू कर देता है। कुछ समय के बाद दिनेश राकेश को अपनी दोस्ती और विश्वास के जाल मे फंसा लेता है।
एक दिन दिनेश राकेश को दोस्ती और विश्वास का दिलाशा देकर 5 लाख रुपये उधार के रुप मे मांग लेता है, और राकेश उसे अपना दोस्त समझ के 5 लाख रुपये उधार दे देता है।
लेकिन दिनेश के मन मे तो विश्वास घात था और वह पैसे लेकर मुकरने लगता है। एक दिन उसने राकेश से कह दिया की वह सारे के सारे पैसे शराब और जुए मे हार गया अब उसके पास देने के लिए पैसे नही है। इतना सुन के राकेश समझ गया की उसके साथ उसके दोस्त ने विश्वास घात कर दिया है। और वह तुरंत थाने में जाकर दिनेश के खिलाफ शिकायत करता है। ऐसे में पुलिस दिनेश को विश्वास घात करने के जुर्म मे गिरफ्तार करती है। और उसके ऊपर आईपीसी सेक्शन की धारा 406 लगाती है।
धारा 406 में सजा का प्रावधान क्या है? || What is the punishment provision of section 406
जब कोई किसी व्यक्ति के विश्वास का हनन करके अपनी मनसा पुरी करता है, तब उसके ऊपर धारा 406 लगती है। IPC 406 में दोषी पाने पर अपराधी को 3 वर्ष तक की जेल और आर्थिक दंड से भी दण्डित किया जा सकता है, या फिर दोनो से भी दण्डित किया जा सकता है। यह उसके द्वारा किए गये अपराध पर निर्भर करता है, की उसको किस तरह की सजा मिलेगी।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
विश्वास का आपराधिक हनन | 3 साल तक की कारावास और जुर्माना | यह एक संज्ञेय अपराध है। | यह एक गैर-जमानती अपराध है। | प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट |
धारा 406 मे जमानत का क्या प्रावधान है? || What is the provision of bail in section 406
भारतीय दंड संहिता की धारा 406 के अपराध को गैर जमानती अपराध माना गया है, जिससे जमानत मिलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। क्योंकि यह एक संज्ञेय श्रेणी का अपराध (Cognizable Crime ) होता है। IPC 406 में वर्णित अपराध की सुनवाई प्रथम श्रेणी का मजिस्ट्रेट दुबारा की जाती है।
आईपीसी की धारा 406 एक Cognizable (संज्ञेय) Offense है। Cognizable (संज्ञेय) का मतलब होता है, कि पुलिस बिना वारंट के आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेती है।
हम आपको इसके बारे में क्रमबद्ध तरीके से बताएंगे ताकि आप आसानी से इसे समझ जाये-
- धारा 406 एक गैर जमानती धारा है। इसके आरोपित अपराधी को जमानत बहुत ही मुश्किल से मिलती है। जमानत देने के लिए अपराधी का जुर्म और चरित्र को न्यायालय देखता है। और उसी के आधार पर न्यायालय जमानत देता है। इसलिए जमानत के लिए आपको एक अच्छे से वकील की आवयश्कता होगी।
- आरोपी व्यक्ति को लिखित शिकायत में से झूठे तथ्ये ढूंढने होंगे और उन्ही तथ्यों को आधार बनाकर जमानत की याचिका दायर करनी चाहिए।
- अगर आरोपी व्यक्ति को निचली कोर्ट से जमानत न मिले तो वह उच्च न्यायालय में भी जमानत की याचिका दायर कर सकता है।
अब आप लोग यह जान हीं चुके होंगे की IPC 406 क्या है?, Dhara 406 मे जमानत कैसे मिलती है? और धारा 406 लगने पर सजा का क्या प्रावधान है? आगे इस आर्टिकल में हम जानेंगे की धारा 406 से कैसे बचे?
धारा 406 से कैसे बचे? || How to avoid section 406
- धारा 406 के बचाव मे आप दूसरे व्यक्ति के ऊपर अत्यधिक भरोसा ना करे और आज के समय मे इस तरह के विश्वास घात वाले जुर्म सबसे अधिक हो रहे है। इसलिए इस के शिकार होने से बचे और सुरक्षित रहे।
- धन के मामलो मे बहुत ही सतर्क रहे क्योंकि ऐसे मामले अधिकतर सम्पति और धन के लालच मे ही होते है। आप अपने ऊपर उधार भी ना रखे। अगर आप उधार के पैसे लौटा पाने मे असमर्थ हो रहे है, तो क्या वजह है, पैसे ना दे पाने की इसके बारे मे भी उसको बताये जिससे आपने उधार लिया हुआ है।
- बहुत से लोग ऐसे भी होते है, जो दुसरो के ऊपर बहुत ही जल्दी अत्यधिक भरोसा कर लेते है। ऐसे लोगो के साथ विश्वास घात वाले जुर्म जल्दी हो जाता है। इसके लिए आप अपने परिवार के साथ ही घुल मिल के रहिये और दुसरो मे खुशी मत ढूंढिए और अंजान लोगो से भी बच के रहिये।
- नोट: अपने आप को बचाने के लिए कोर्ट में झूठा गवाह या सबूत पेश न करें। नहीं तो आप और ज्यादा फस सकते है।
FAQs:- (अक्सर आईपीसी की धारा 406 में पूछे जाने वाले सवाल) –
आईपीसी की धारा 406 एक कानूनी धारा है जो विश्वासघात का अपराध परिभाषित करती है। इसका मतलब है कि यदि कोई व्यक्ति आपके द्वारा सौंपी गई संपत्ति या धन को नियमानुसार नहीं प्रबंधित करता और इसे बिना आपकी सहमति के बेहाल कर देता है, तो वह आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत दोषी माना जा सकता है।
धारा 406 के तहत उल्लंघन का मतलब है कि किसी व्यक्ति ने जानबूझकर और बिना आपकी सहमति के आपकी संपत्ति या धन को संरक्षण और प्रबंधन की जिम्मेदारी से चलाया या बेहाल कर दिया है।
धारा 406 के उल्लंघन पर 3 साल तक की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते है, जोकि उल्लंघन की गंभीरता पर निर्भर करती है।
हां, आप धारा 406 के तहत अपराधी के खिलाफ कानूनी कदम उठा सकते हैं। यदि आपको ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति ने आपकी संपत्ति या धन को अनयायपूर्वक चलाया है, तो पुलिस से संपर्क करें और कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
आईपीसी की धारा 406 का उल्लंघन किसी भी प्रकार की संपत्ति या धन के बेहाल करने या विश्वासघात करने की किसी आपराधिक गतिविधि के खिलाफ हो सकता है, जो किसी की विश्वासिकता और भरोसा उठाने पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
निष्कर्ष:
आशा करते है, इस लेख मे IPC 406 In Hindi के बारे मे पुरी जानकारी आपको पर्याप्त हो गयी होगी। हमे उम्मीद है, की आप इसको पुरा अच्छे से समझ गये होंगे। यह आर्टिकल आप को कैसा लगा आप कमेंट कर के जरूर बताये।
आप इस आर्टिकल को courtjudgement.in पर पढ़ रहे है, हमने आप के लिए इस वेबसाइट मे आईपीसी धाराओं के बारे मे और भी पोस्ट लिखे है। आप उन पोस्टो को भी जरूर पढ़े और आईपीसी धारा के बारे मे जाने इस पोस्ट को पुरा पढ़ने के लिए आप का बहुत बहुत धन्यवाद!!!!
मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।