दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम IPC 427 in Hindi के बारे में बताने जा रहे है। जिसका यूज़ आज के टाइम में बहुत होता है। परन्तु हमारे देश के बहुत से लोग इस धारा से बाकिव नहीं है। जब आप इस आर्टिकल को आखिर तक पढोगे और इस धारा के बारे में जानेंगे तो आप लोग भी हैरान हो जाओगे। क्योंकि इस धारा में जो बताया गया है, वो आपके साथ भी काफी बार हो चूका होगा। लेकिन आप इस चीज़ से अनजान होने के कारण दोषी व्यक्ति के खिलाफ एक्शन नहीं ले पाए होंगे।
IPC 427 in Hindi– यह धारा कब लगती है?
IPC 427 में रिष्टि (mischief) के बारे में बताया गया है। कभी न कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा की आपका कोई दोस्त या पड़ोसी जानबूझकर आपका गलत तरीके से नुकसान कर देता है या कोशिश करता है, और वो नुकसान पचास रुपये या उससे अधिक का हो तो ये एक अपराध की श्रेणी में आता है। इसको हम शुद्ध हिंदी में कुचेष्टा भी बोल सकते है। इस धारा के बारे में हम और विस्तार से बात करेंगे ताकि आपको और अच्छे से समझ में आये तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
IPC 427 में बताया गया है, कि अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति का जानबूझकर गलत तरीके से नुकसान कर देता है, या कोशिश करता है। और उस नुकसान की कीमत पचास रुपये या उससे अधिक है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के तहत कानून लागू हो सकता है। ये एक कानूनी अपराध है। ऎसे में पुलिस उस व्यक्ति पर इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज करती है, और आगे की करवाई शुरू करती है। अब हम आपको इस धारा का एक उदहारण देते है, जिससे आपके जो भी डाउट है वो क्लियर हो जायेंगे।
रिष्टि (mischief) का उदाहरण-
अंश और रोहित दोनों आपस में अच्छे दोस्त थे। एक दिन दोनों में किसी बात को लेकर बहस हो गयी तभी अंश ने रोहित का जबरदस्ती मोबाइल छीन लिया और उसको फेक दिया। तब रोहित ने वो फ़ोन उठाया तो देखा वो फ़ोन टूट गया है। रोहित ने अंश से वो मोबाइल ठीक कराने को कहा लेकिन अंश ने मना कर दिया।
फिर रोहित अपने नजदीकी पुलिस थाने गया और अंश के खिलाफ एक एप्लीकेशन देकर आया। फिर पुलिस उस एप्लीकेशन को इस धारा के तहत शिकायत दर्ज (Complaint Register) करती है। और आगे की करवाई शरू करती है। आगे इस आर्टिकल में हम इस अपराध में कितनी सजा मिलती है, उसके बारे में जानेंगे।
रिष्टि (mischief) के अपराध में सजा-
अगर धारा 427 के अंतर्गत आरोपी पर लगाए गए आरोप कोर्ट (Court) में सिद्ध हो जाते है, तो रिष्टि (mischief) के अपराध करनें के जुर्म में कोर्ट आरोपी व्यक्ति को 2 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या फिर दोनों से भी दंडित कर सकती है।
अपराध | सजा | संज्ञेय | जमानत | विचारणीय |
---|---|---|---|---|
रिष्टि जिससे पचास रुपये का नुकसान होता है। | 2 वर्ष का कारावास या आर्थिक दंड या दोनों हो सकते है। | यह एक गैर-संज्ञेय अपराध है। | यह एक जमानती अपराध है। | किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा। |
रिष्टि (mischief) के अपराध में जमानत–
भारतीय दंड संहिता की धारा 427 का अपराध एक जमानतीय अपराध (Bailable Crime) है। जिसमे आरोपी व्यक्ति को जमानत पुलिस थाने में मिल जाती है।
यह एक गैर-संज्ञीय (Non Cognizable) Offense है।
यह एक समझौता वादी अपराध है। इसमें समझौता किया जा सकता। कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें समझौता नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह समझौता करने योग्य है।
शिकायत दर्ज कराने के प्रक्रिया क्या है?
- आरोप पत्र (शिकायत): आपको एक एप्लीकेशन लिखनी होगी और उस एप्लीकेशन में सारी बाते दिनाक, समय और जगह के साथ घटना का पूरा वाक्य लिखना होगा।
- थाना (पुलिस स्टेशन) में प्रस्तुत करना: एप्लीकेशन लिखने के बाद उस एप्लीकेशन को अपने नजदीकी थाने (पुलिस स्टेशन) में जमा करना होता है।
- जांच: थाने के अधिकारी उस घटना की जांच करते हैं, साक्ष्यों को प्रमाणित करते हैं। पुलिस दोनों पार्टियों के बीच समझौता कराने की कोशिश भी करती है। अगर आरोपी व्यक्ति नुकसान की भरपाई कर देता है, तो आगे की जांच बंद कर दी जाती है, और नुकसान की भरपाई वादी को दे दी जाती है। अगर दोनों पार्टी में से कोई एक भी समझौते के लिए तैयार नहीं होता है, तो पुलिस अपनी आगे की करवाई करेगी और आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र (Charge sheet) कोर्ट में दायर करेगी। फिर मामला कोर्ट में चला जाता है।
- कानूनी कार्रवाई: अगर कोर्ट में आरोप सिद्ध हो जाते है, तो आरोपी व्यक्ति को कोर्ट सजा या जुर्माने या फिर दोनों से दण्डित कर सकती है। ये कोर्ट के विवेक पर डिपेंड करता है।
इसमें अपना बचाव कैसे करे?
इसमें अपना बचाव करने के लिए, मैं आपको कुछ पॉइंट बता रहा हूँ।
- किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की कोई भी क़ीमती वस्तु को जबरदस्ती लेकर उसका नुकसान नहीं करना चाहिए। और दूसरे को भी ऐसा करने से रोकना चाहिए।
- आपको अपने व्यवहार में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि किसी भी तरह की गलत स्थिति में न पड़ें। आपको लोगों के साथ उचित तरीके से व्यवहार करना चाहिए और किसी के साथ भी विवाद नहीं करना चाहिए।
- अगर आप पर किसी ने झुठी शिकयत दर्ज करा दी है। तो आप पुलिस के समक्ष अपनी बात को रखे और जो आपके पास सबूत है वो अधिकारी के सामने पेश करे। अगर आप सही है तो आपको जरा भी डरने और घवराने की जरूरत नहीं है।
- नोट: अपने आप को बचाने के लिए कोर्ट में झूठा गवाह या सबूत पेश न करें। नहीं तो आप और ज्यादा फस सकते है।
- मेरी पर्सनल सोच ये है की अगर आप पर इस धारा में मामला दर्ज हो गया है तो आपको समझौते के आधार पर फैसला कर लेना चाहिए।
FAQs:-
प्रश्न:- आईपीसी की धारा 427 क्या है?
उत्तर:- आईपीसी की धारा 427 एक कानूनी धारा है जो संपत्ति को बिना अनुमति के नुकसान पहुँचाने को अपराध मानती है।
प्रश्न:- इस धारा के उल्लंघन का मतलब क्या है?
उत्तर:- धारा 427 के तहत किसी ने बिना अनुमति किसी संपत्ति या सामग्री को नुकसान पहुँचाया है, तो वह इस धारा के तहत अपराधी माना जा सकता है।
प्रश्न:- धारा 427 के उल्लंघन पर क्या सजा हो सकती है?
उत्तर:- धारा 427 के उल्लंघन पर, अपराधी को आमतौर पर दंड या जुर्माना की सजा हो सकती है, जो उल्लंघन की गंभीरता पर निर्भर करता है।
प्रश्न:- धारा 427 के उल्लंघन की जांच कैसे होती है?
उत्तर:- धारा 427 के उल्लंघन की जांच पुलिस द्वारा की जाती है। आरोपी के खिलाफ शिकायत करने के बाद, पुलिस जांच करेगी और उपयुक्त कदम उठाएगी।
प्रश्न:- क्या धारा 427 के तहत किसी को सजा होने पर जमानत मिल सकती है?
उत्तर:- हां, धारा 427 के तहत किसी को सजा होने पर आमतौर पर जमानत मिल सकती है, लेकिन यह कानूनी प्रक्रिया के परिणाम पर निर्भर करेगी।
प्रश्न:- क्या मैं धारा 427 के तहत अपराधी के खिलाफ कानूनी कदम उठा सकता हूँ?
उत्तर:- हां, आप धारा 427 के तहत अपराधी के खिलाफ कानूनी कदम उठा सकते हैं। यदि आपको ऐसा लगता है कि किसी ने बिना अनुमति नुकसान पहुँचाया है, तो पुलिस से संपर्क करें और कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।