IPC Section 498A in Hindi
जब कोई पति या उसके घर वाले या पति के रिस्तेदार उसकी पत्नी पर किसी प्रकार की क्रूरता करते है। वह इस धारा के अंतर्गत आता है। इसमें 3 वर्ष की अवधि तक का कारावास दिया जायेगा और साथ मैं जुर्माने भी लग सकता है।
भारत में दहेज हत्या या दहेज प्रताड़ना से पत्नियों को बचाने के लिए 1983 में भारतीय दंड संहिता में धारा 498A (IPC Section 498A in Hindi) को जोड़ा गया। इसका उद्देश्य दहेज जैसी सामाजिक बुराई एवं ससुराल में होने वाले अत्याचारों से महिलाओं को संरक्षण देना था। लेकिन आज के टाइम में इसका बहुत दुरपयोग किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी बार कहा है। क्योंकि 80 से 90 परसेंट केस झूठे होते है। घर में जरा सी बात पर पत्नी ईगो में आकर पति को सबक सिखाने के लिए केस कर देती है।
लेकिन ये सही नहीं है क्योंकि जिन महिलाओ के साथ रियल में प्रताड़ना हुई है। उन महिलाओ को इन्साफ टाइम पर नहीं मिल पाता ओर वो कोर्ट के चककर लगाती रहती है। क्योंकि 498A (IPC Section 498A in Hindi) के केस कोर्ट में बहुत पेंडिंग पड़े हुए है। कई पति 498A (IPC Section 498A in Hindi) को फेस कर रहे हैं ओर कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है।
Also Read – How to Fight False IPC 406?
सुप्रीम कोर्ट ने सुशील कुमार शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य 2005 के मुकदमे में सर्वोच्च अदालत ने 498A (IPC Section 498A in Hindi) के दुरुपयोग को लीगल टेरेरिज्म भी कहा है। इस कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। इस धारा का दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के अंतर्गत सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था की जब पति ओर उसके घरवाले गिरफ्तार हो जाते हैं तो पति पत्नी के बिच समझौता होने के चांस कम हो जाते है।
IPC 498A in Hindi
स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनो के लिए ” क्रूरता” से निम्नलिखित अभिप्रेत हैः-
- (क) जानबूझ कर किया गया कोई कार्य आदचरण जो ऐसी प्रकर्ति का है जिससे उस स्त्री को आत्म हत्याकर ने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्ये को (जो चाहे मानसिक हो या शररीक ) गम्भीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है
- (ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना की उसको या उसके किसी नातेदार को किसी सम्पित्त या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाये या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना की उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने मे असफल रहा है।
धारा-498A (Section IPC 498A in Hindi) किसी स्त्री या उसके नातेदार द्वारा उसके प्रीति की गयी क्रूरता के सम्बन्ध मे किये गये कृत्यों को दो वगों मे वगीकृत करती है।
स्पष्टीकरण
- (क) ऐसे कृत्यों के सम्बन्ध मे जो पीड़िता को आत्म हत्या करने के लिए प्रेरित करता है अथवा उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्ये को गम्भीर छति कारित करता है या खतरा कारित करने की संभावना है
- (ख) किसी स्त्री का इस आशय से उत्पीडन करने से संभिदित है की जिसमे उसके कोई रिस्तेदार मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाये अथवा इस आशय से तंग किया जाये की मांग पूरी नहीं की गयी है।
Also Read – 498a judgement in favour of husband
धारा 498A दहेज के झूठे केस से बचने के उपाय (IPC Section 498A in Hindi)
498a पुलिस पति या उसके घरवालों को सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। अगर पुलिस गिरफ्तार करती हैं तो उसको गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। इसलिए डरे नहीं।
यदि कोई पत्नी संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र में जाकर दहेज व मारपीट की कंप्लेंट करती हैं की उसके पति ओर उसके घरवालों या रिस्तेदारो ने मिलकर उसको मारा पीटा हैं ओर दहेज की मांग की हैं तब पुलिस वाले पति व उसके घरवालों को थाने में बुलवाते हैं वो सीधे कंप्लेंट दर्ज नहीं करते हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कहा हैं की कंप्लेंट दर्ज करने से पहले पुलिस को मामले की जांच करना चाहिए ओर मेटर परिवार से संबंधित हैं इसका समझौता करना चाहिए इसलिए पति को थाने में जाकर अपने बयान दर्ज कराने चाहिए, अपना पक्ष पुलिसकर्मी के समक्ष रखना चाहिए।
आमतौर पर ये देखा जाता हैं जब पुलिस पति को बुलाते हैं तो पति थाने में जाने से डरता हैं किन्तु ये सही नहीं हैं पति को थाने में जाकर अपनी बात को रखना चाहिए क्योंकि जब पति थाने नहीं जाता हैं तो पुलिस को भी ये ही लगता हैं की पति ने पत्नी के साथ क्रूरता की हैं जबकि कंप्लेंट झूठी हैं
पति या उसके घरवालों को जितने भी आदमी को पुलिस द्वारा बुलाया गया हैं उनको जाना चाहिए ओर ये बयान देना चाहिए की पत्नी के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई हैं। अगर पत्नी को साथ रखना हैं तो बोलना चाहिए, वो अपनी पत्नी को साथ रखने को तैयार हैं ओर साथ में कहना चाहिए पत्नी बिना किसी कारण के उसका घर छोड़कर गयी हैं। अगर आपके पास कोई सबूत हैं वो पुलिस को सामने पेश करने चाहिए। ओर जिन जिन के नाम कंप्लेंट में दर्ज हैं उनको Anticipatory Bail ले लेनी चाहिए।
अगर पुलिस थाने में कोई समझौता नहीं होता हैं तब पुलिस कंप्लेंट दर्ज कर लेती हैं ओर पति को कोई डेट दे देती हैं की हम चार्ज शीट उस डेट को कोर्ट में सबमिट करेंगे आप कोर्ट में उपस्तित रहना। यंहा पर आप High Court क्वॉशिंग के लिए 482 CRPC में जा सकते हैं अगर आपके पास पक्के सबूत हैं तभी जाना नहीं तो रहने देना।
पर्सनली एक बात बताना चाहूंगा बहुत से पति ऐसे होते है। जिनको कानूनी ज्ञान की कमी होती है ओर वो वकील पर निर्भर होते है जैसा वकील साब बोलते है वैसे ही पति करता रहता है। केस आपका वकील ही लड़ेंगे लेकिन आपको भी ज्ञान होना जरुरी है। ये आपकी लड़ाई है इसको आपसे बेहतर कोई ओर नहीं जानता। इसलिए इंसाफ के लिए आपको भी महेनत करनी होगी। मैंने बहुत से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के हिंदी में जजमेंट ऐड किये है। आपको उनको जरूर पढ़ना चाहिए । 498A जजमेंट
हां, 498A प्रस्तुत करने की कोई परिसीमा नहीं है । लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की काफी सम्हे पहली घटना दिखा कर 498A प्रस्तुत कर दिया घटना 3 वर्ष के अंदर की होनी चाहिए।
3 साल + जुर्माना
गैर जमानती
इसकी कोई सीमा नहीं है बहुत से केस 10 year तक चलते रहते है। ये सब आप पर भी निर्भर करता है आप केस को कितनी जल्दी खतम कराने की कोशिश करते हो।
आप High Court क्वॉशिंग के लिए 482 CRPC में जा सकते हैं
हां, आप अपना केस स्वयं लड़ सकते है लेकिन आपको कानून की बारकी से जानकारी होनी चाहिए। किन्तु आप दूसरे आरोपी की तरफ से नहीं लड़ सकते।
चुकिं यह एक आपराधिक मुकदमा है, इसलिए इसमें सभी तारीख पर जाना चाहिए। अगर आप तारीख पर नहीं जा सकते तो आपको एप्लीकेशन लगानी होगी और सही वजह बता कर आपकी तरफ से आपका वकील तारीख पर उपस्थित हो सकते है।
हां, चल सकते है ।
498A पुलिस पति या उसके घरवालों को सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। अगर पुलिस गिरफ्तार करती हैं तो उसको गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है।
498a की स्टेज (IPC Section 498A in Hindi)
स्टेज 1 : चार्ज शीट (Charge Sheet)
पुलिस इन्वेस्टीगेशन पूरी होने के बाद पुलिस अदालत में चार्जशीट पेश करती है, जिसमें पुलिस द्वारा जांच के दौरान एकत्र की गई सभी सामग्री शामिल होती है, इसमें अभियुक्तों को बुलाया जाता है और चार्जशीट की कॉपी मुफ्त में प्रदान की जाती है।
स्टेज 2 : फ्रेमिंग ऑफ़ चार्जेज (Framing of Charges)
ये स्टेज बहुत इम्पोर्टेन्ट होती हैं इस स्टेज पर अभियुक्त के वकील को जिरह करनी चाहिए। लेकिन अधिकांश ये देखा जाता हैं की वकील इस पर कोई जिरह नहीं करते क्योंकि ये ही एक ऐसी स्टेज हैं जिसपर अभियुक्त डिस्चार्ज भी हो सकता हैं या कुछ धारा भी कम हो सकती हैं
स्टेज 3 : अभियोजन साक्ष्य (Prosecution Evidence)
चार्ज फ्रेम होने के बाद फाइल एविडेंस में लग जाती हैं इसमें पत्नी ओर उसके गावहा के बयान दर्ज होते हैं उसके बाद अभियुक्त का वकील उनका क्रॉस एग्जामिनेशन करता हैं इस स्टेज पर ही वकील की काबिलयत देखि जाती हैं क्योंकि क्रॉस में ही पत्नी ओर उसके गवाहों का झूठ सामने लाया जाता हैं
स्टेज 4 : अभियुक्त साक्ष्य (Defence Evidence)
एक बार अभियोजन साक्ष्य समाप्त हो जाने के बाद, बचाव पक्ष को अपने गवाहों को पेश करने का अवसर मिलता है, यदि अभियुक्त कोई गावहा या खुद की या कोई भी साक्ष्ये देना चाहता हैं तो दे सकता हैं। आमतौर पर देखा जाता हैं की अभियुक्त इस स्टेज पर मना कर देता हैं
क्योंकि साबित करना का भार अभियोजन पर है इसलिए अभियुक्त मना कर देता हैं लेकिन ये सही नहीं हैं पति को अपना बयान देना चाहिए क्योंकि घटना पति के साथ हुई हैं पति ही रियल बात जानता हैं इसके बाद फाइल आर्ग्यूमेंट्स में लग जाती हैं
स्टेज 5 : आर्ग्यूमेंट्स (Arguments)
दोनों पक्ष यानी अभियोजन ओर अभियुक्त के वकील अदालत को अपने पक्ष में करने के लिए तर्क और मिसाल पेश करते हैं। आर्ग्यूमेंट्स खत्म होने के बाद फाइल जजमेंट में लग जाती हैं
स्टेज 6 : जजमेंट (Judgement)
इस स्टेज पर जज अपना फैसला सुनाता हैं इसमें पति ओर उसके घरवाले बरी हो जाते हैं या उनमे से किस किस को किस धारा में कितनी सजा होगी ये सब जजमेंट में लिखा जाता हैं