IPC 498a in Hindi- धारा 498a क्या है?- सजा, जमानत, बचाव- उदाहरण के साथ

IPC Section 498a in Hindi – दोस्तों, आपने अक्सर देखा और सुना होगा की पति पत्नी में जरा सी कहा सुनी होती है, और दोनों ही पक्ष ये सोच लेते है, की अब हम इनके सामने नहीं झुकेंगे इसी चक्कर वो छोटी सी कहा सुनी इतनी बड़ी हो जाती है, की जो पति पत्नी का रिश्ता था। जो पति पत्नी एक साथ जीने मरने की कसम खाते थे। अब वो दुश्मन बन गए है। मैं सभी की बात नहीं कर रहा कुछ केस रियल भी होते है। लेकिन 80 to 90% केस फ़र्ज़ी ही होते है। तो आज के इस आर्टिकल में हम चर्चा करने वाले हैं, IPC 498a In Hindi यानी भारतीय दंड संहिता की धारा 498a क्या है?, इस धारा को कब और किन-किन अपराध में लगाया जाता है?, ऐसे अपराध में कितनी सजा का प्रावधान है?, इसमें जमानत कैसे मिलती है? और आईपीसी धारा 498a में अपना बचाव कैसे करे? सभी Question के हल इस आर्टिकल में मिलेगे।

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IPC 498a in Hindi

IPC 498a in Hindi – आईपीसी धारा 498a क्या है? आईपीसी धारा 498a कब लगती है?

जब कोई पति या उसके घर वाले या पति के रिस्तेदार उसकी पत्नी पर किसी प्रकार की क्रूरता करते है। वह इस धारा 498a के अंतर्गत आता है। इसमें 3 वर्ष की अवधि तक का कारावास दिया जायेगा और साथ मैं जुर्माने भी लग सकता है।

अभी हाल ही में एक फिल्म Daawat-e-Ishq आई थी। यह पूरी फिल्म IPC Section 498a के दुरूपयोग पर बनी थी। Section 498a को भारतीय दंड संहिता यानी Indian Penal Code में 1983 में जोड़ा गया। IPC Section 498a को इसलिए बनाया गया है ताकि महिलाओं के साथ ससुराल में होने वाली हिंसा से बचाना या दहेज़ प्रताड़ना (dowry system) जैसी सामाजिक बुराइयों को रोका जा सके। लेकिन आज के टाइम में इसका बहुत दुरपयोग किया जा रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी काफी बार कहा है। क्योंकि 80 से 90 परसेंट केस झूठे होते है। घर में जरा सी बात पर पत्नी ईगो में आकर पति को सबक सिखाने के लिए केस कर देती है।

लेकिन ये सही नहीं है, क्योंकि जिन महिलाओ के साथ रियल में प्रताड़ना हुई है। उन महिलाओ को इन्साफ टाइम पर नहीं मिल पाता ओर वो कोर्ट के चककर लगाती रहती है। क्योंकि 498A (IPC Section 498A in Hindi) के केस कोर्ट में बहुत पेंडिंग पड़े हुए है। कई पति 498A (IPC Section 498A in Hindi) को फेस कर रहे हैं ओर कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल रही है।

पहले ये धारा पति पक्ष के लिए बहुत ही खतरनाक थी क्योंकि इस धारा के अंतर्गत महिला की केवल एक शिकायत पर बिना किसी अन्य विवेचना के पुलिस पति सहित अन्य ससुराल वालों पर कार्यवाही कर देती थी। उनको सीधे गिरफ्तार कर लेती थी चाहे पति पक्ष निर्दोष हो इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हो की ये अपने आप में कितनी खतरनाक धारा थी। कुछ प्रकरणों में यह धारा महिलाओं के लिए ससुरालवालों को ब्लैकमेल करने का भी जरिया बनती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें यह पाया गया कि धारा 498a का महिला पक्ष द्वारा दुरुपयोग हुआ है। यह एक अपराधी कानून तो है,लेकिन इसका स्वरूप पारिवारिक है। किसी भी पारिवारिक झगड़े को दहेज़ प्रताड़ना के विवाद के रूप में परिवर्तित करना अत्यंत ही आसान है। एक विवाहित महिला की केवल एक शिकायत पर ही यह मामला दर्ज कर लिया जाता है। और परिवार के सभी सदस्यों को जिसका भी नाम महिला ने अभियुक्त के रूप में लिया है सभी को जेल भेज दिया जाता है। क्योंकि यह एक गैर ज़मानती, संज्ञेय अपराध है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुशील कुमार शर्मा बनाम भारत संघ और अन्य 2005 के मुकदमे में सर्वोच्च अदालत ने 498A (IPC Section 498A in Hindi) के दुरुपयोग को लीगल टेरेरिज्म भी कहा है। इस कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए भी कुछ कदम उठाए जाने चाहिए। इस धारा का दुरुपयोग को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस धारा के अंतर्गत सीधे गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना था की जब पति ओर उसके घरवाले गिरफ्तार हो जाते हैं तो पति पत्नी के बिच समझौता होने के चांस कम हो जाते है।


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Punishment in IPC Section 498A
IPC Section 498A in Hindi

स्पष्टीकरण- इस धारा के प्रयोजनो के लिए ” क्रूरता” से निम्नलिखित अभिप्रेत हैः-

  • (क) जानबूझ कर किया गया कोई कार्य आदचरण जो ऐसी प्रकर्ति का है जिससे उस स्त्री को आत्म हत्याकर ने के लिए प्रेरित करने की या उस स्त्री के जीवन, अंग या स्वास्थ्ये को (जो चाहे मानसिक हो या शररीक ) गम्भीर क्षति या खतरा कारित करने की संभावना है
  • (ख) किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना की उसको या उसके किसी नातेदार को किसी सम्पित्त या मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाये या किसी स्त्री को इस कारण तंग करना की उसका कोई नातेदार ऐसी मांग पूरी करने मे असफल रहा है।

धारा-498A (Section IPC 498A in Hindi) किसी स्त्री या उसके नातेदार द्वारा उसके प्रीति की गयी क्रूरता के सम्बन्ध मे किये गये कृत्यों को दो वगों मे वगीकृत करती है।

स्पष्टीकरण

  • (क) ऐसे कृत्यों के सम्बन्ध मे जो पीड़िता को आत्म हत्या करने के लिए प्रेरित करता है अथवा उसके जीवन, अंग या स्वास्थ्ये को गम्भीर छति कारित करता है या खतरा कारित करने की संभावना है
  • (ख) किसी स्त्री का इस आशय से उत्पीडन करने से संभिदित है की जिसमे उसके कोई रिस्तेदार मूल्यवान प्रतिभूति की कोई मांग पूरी करने के लिए प्रताड़ित किया जाये अथवा इस आशय से तंग किया जाये की मांग पूरी नहीं की गयी है।

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आईपीसी धारा 498a का उदाहरण-

मान के चलिए, पूनम नाम की एक लड़की की शादी 10 साल पहले हुई थी। इन दस सालों में पूनम और उसके पति के बीच रिश्ता सही चलता रहा। लेकिन अचानक से पति और पत्नी के रिश्ते में दरार आनी शुरू हो गयी। पति रोज दारू पीकर अपनी पत्नी को मारता पीटता था और साथ में पैसो की भी डिमांड करता था की अपने पापा से बोलकर इतने पैसो का इंतज़ाम करा और मुझे दे। पूनम रोज ये सब सहती रहती। पूनम अंदर से इतनी टूट गयी की वो अब क्या करे फिर उसने एक दिन सभी बाते अपने पापा को बता दी। पूनम के पिताजी ने उसके ससुराल आकर पति को समझाया लेकिन पति नहीं माना। पूनम का पति पहले और ज्यादा प्रताड़ना देने लगा।

फिर एक दिन पूनम पति की प्रताड़ना से परेशान आकर एक FIR पुलिस में कर देती है। पुलिस उस FIR में जिन जिन आदमी या औरत के नाम थे उनपर धारा 498a के तहत इन्क्वायरी करती है। और उन सभी लोगो को पुलिस थाने बुलवाती है। ये मैंने शादी दस साल पहले का उदहारण इसलिए दिया है, क्योंकि पत्नी पति पर 498a की FIR कभी भी करा सकती है, चाहे शादी को 50 साल क्यों न हो गए हो

आईपीसी धारा 498a में अपना बचाव कैसे करे?

  1. धारा 498a में पुलिस पति या उसके घरवालों को सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। अगर पुलिस गिरफ्तार करती हैं तो उसको गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है। इसलिए डरे नहीं।
  2. यदि कोई पत्नी संबंधित पुलिस थाना क्षेत्र में जाकर दहेज व मारपीट की कंप्लेंट करती हैं की उसके पति ओर उसके घरवालों या रिस्तेदारो ने मिलकर उसको मारा पीटा हैं ओर दहेज की मांग की हैं तब पुलिस वाले पति व उसके घरवालों को थाने में बुलवाते हैं वो सीधे कंप्लेंट दर्ज नहीं करते हैं क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने कहा हैं की कंप्लेंट दर्ज करने से पहले पुलिस को मामले की जांच करना चाहिए ओर मेटर परिवार से संबंधित हैं इसका समझौता करना चाहिए इसलिए पति को थाने में जाकर अपने बयान दर्ज कराने चाहिए, अपना पक्ष पुलिसकर्मी के समक्ष रखना चाहिए।
  3. आमतौर पर ये देखा जाता हैं जब पुलिस पति को बुलाते हैं तो पति थाने में जाने से डरता हैं किन्तु ये सही नहीं हैं पति को थाने में जाकर अपनी बात को रखना चाहिए क्योंकि जब पति थाने नहीं जाता हैं तो पुलिस को भी ये ही लगता हैं की पति ने पत्नी के साथ क्रूरता की हैं जबकि कंप्लेंट झूठी हैंपति या उसके घरवालों को जितने भी आदमी को पुलिस द्वारा बुलाया गया हैं उनको जाना चाहिए ओर ये बयान देना चाहिए की पत्नी के साथ कोई क्रूरता नहीं हुई हैं। अगर पत्नी को साथ रखना हैं तो बोलना चाहिए, वो अपनी पत्नी को साथ रखने को तैयार हैं ओर साथ में कहना चाहिए पत्नी बिना किसी कारण के उसका घर छोड़कर गयी हैं। अगर आपके पास कोई सबूत हैं वो पुलिस को सामने पेश करने चाहिए। ओर जिन जिन के नाम कंप्लेंट में दर्ज हैं उनको Anticipatory Bail ले लेनी चाहिए।
  4. अगर पुलिस थाने में कोई समझौता नहीं होता हैं तब पुलिस कंप्लेंट दर्ज कर लेती हैं ओर पति को कोई डेट दे देती हैं की हम चार्ज शीट उस डेट को कोर्ट में सबमिट करेंगे आप कोर्ट में उपस्तित रहना। यंहा पर आप High Court क्वॉशिंग के लिए 482 CRPC में जा सकते हैं अगर आपके पास पक्के सबूत हैं तभी जाना नहीं तो रहने देना।
  5. पर्सनली एक बात बताना चाहूंगा बहुत से पति ऐसे होते है। जिनको कानूनी ज्ञान की कमी होती है ओर वो वकील पर निर्भर होते है जैसा वकील साब बोलते है वैसे ही पति करता रहता है। केस आपका वकील ही लड़ेंगे लेकिन आपको भी ज्ञान होना जरुरी है। ये आपकी लड़ाई है इसको आपसे बेहतर कोई ओर नहीं जानता। इसलिए इंसाफ के लिए आपको भी महेनत करनी होगी। मैंने बहुत से डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के हिंदी में जजमेंट ऐड किये है। आपको उनको जरूर पढ़ना चाहिए । 498A जजमेंट

आईपीसी धारा 498a में कितनी सजा का प्रावधान है – Punishment in IPC Section 498A

आईपीसी धारा 498a में कोई पति या उसके घर वाले या पति के रिस्तेदार उसकी पत्नी पर किसी प्रकार की क्रूरता करते है। वह इस धारा 498a के अंतर्गत आता है। इसमें 3 वर्ष की अवधि तक का कारावास दिया जायेगा और साथ मैं जुर्माने भी लग सकता है।

अपराधसजाअपराध की श्रेणीजमानतविचारणीय
किसी महिला के साथ उसके पति या उसके घर वाले या पति के रिस्तेदार उसकी पत्नी पर किसी प्रकार की क्रूरता  करना3 साल + जुर्मानायह एक संज्ञेय अपराध है।यह एक गैर-जमानतीय अपराध है।किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा।

धारा 498a में जमानत कैसे मिलती है – IPC 498a Bailable or not?

अब बात करते हैं, कि धारा 498a में जमानत कैसे मिलती है? धारा 498a एक Non bailable offense है। Non bailable का मतलब होता है, कि इसकी जो जमानत है वह पुलिस स्टेशन में नहीं होती है। बैल एप्लीकेशन आपको कोर्ट में ही लगानी पड़ेगी। यह cognizable offense है। cognizable का मतलब है, कि जब धारा 498a के अंदर FIR होती है। तो उस आरोपी व्यक्ति को पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर लेती है। जो Non cognizable offense होते हैं। उसमें पुलिस को वारंट की ज़रूरत पड़ती है। लेकिन इसमें वारंट की ज़रूरत नहीं पड़ती है।

498a की स्टेज (IPC Section 498A in Hindi)

स्टेज 1 : चार्ज शीट (Charge Sheet)

पुलिस इन्वेस्टीगेशन पूरी होने के बाद पुलिस अदालत में चार्जशीट पेश करती है, जिसमें पुलिस द्वारा जांच के दौरान एकत्र की गई सभी सामग्री शामिल होती है, इसमें अभियुक्तों को बुलाया जाता है और चार्जशीट की कॉपी मुफ्त में प्रदान की जाती है।

स्टेज 2 : फ्रेमिंग ऑफ़ चार्जेज (Framing of Charges)

ये स्टेज बहुत इम्पोर्टेन्ट होती हैं इस स्टेज पर अभियुक्त के वकील को जिरह करनी चाहिए। लेकिन अधिकांश ये देखा जाता हैं की वकील इस पर कोई जिरह नहीं करते क्योंकि ये ही एक ऐसी स्टेज हैं जिसपर अभियुक्त डिस्चार्ज भी हो सकता हैं या कुछ धारा भी कम हो सकती हैं

स्टेज 3 : अभियोजन साक्ष्य (Prosecution Evidence)

चार्ज फ्रेम होने के बाद फाइल एविडेंस में लग जाती हैं इसमें पत्नी ओर उसके गावहा के बयान दर्ज होते हैं उसके बाद अभियुक्त का वकील उनका क्रॉस एग्जामिनेशन करता हैं इस स्टेज पर ही वकील की काबिलयत देखि जाती हैं क्योंकि क्रॉस में ही पत्नी ओर उसके गवाहों का झूठ सामने लाया जाता हैं

स्टेज 4 : अभियुक्त साक्ष्य (Defence Evidence)

एक बार अभियोजन साक्ष्य समाप्त हो जाने के बाद, बचाव पक्ष को अपने गवाहों को पेश करने का अवसर मिलता है, यदि अभियुक्त कोई गावहा या खुद की या कोई भी साक्ष्ये देना चाहता हैं तो दे सकता हैं। आमतौर पर देखा जाता हैं की अभियुक्त इस स्टेज पर मना कर देता हैं
क्योंकि साबित करना का भार अभियोजन पर है इसलिए अभियुक्त मना कर देता हैं लेकिन ये सही नहीं हैं पति को अपना बयान देना चाहिए क्योंकि घटना पति के साथ हुई हैं पति ही रियल बात जानता हैं इसके बाद फाइल आर्ग्यूमेंट्स में लग जाती हैं

स्टेज 5 : आर्ग्यूमेंट्स (Arguments)

दोनों पक्ष यानी अभियोजन ओर अभियुक्त के वकील अदालत को अपने पक्ष में करने के लिए तर्क और मिसाल पेश करते हैं। आर्ग्यूमेंट्स खत्म होने के बाद फाइल जजमेंट में लग जाती हैं

स्टेज 6 : जजमेंट (Judgement)

इस स्टेज पर जज अपना फैसला सुनाता हैं इसमें पति ओर उसके घरवाले बरी हो जाते हैं या उनमे से किस किस को किस धारा में कितनी सजा होगी ये सब जजमेंट में लिखा जाता हैं

498a Allahabad High Court के जजमेंट पढ़ने के लिए यंहा क्लिक करे।

FAQs:- (अक्सर धारा 498a में पूछे जाने वाले सवाल)

हां, 498A प्रस्तुत करने की कोई परिसीमा नहीं है । लेकिन इसका ये मतलब नहीं है की काफी सम्हे पहली घटना दिखा कर 498A प्रस्तुत कर दिया घटना 3 वर्ष के अंदर की होनी चाहिए।

3 साल + जुर्माना

गैर जमानती

इसकी कोई सीमा नहीं है बहुत से केस 10 year तक चलते रहते है। ये सब आप पर भी निर्भर करता है आप केस को कितनी जल्दी खतम कराने की कोशिश करते हो।

आप High Court क्वॉशिंग के लिए 482 CRPC में जा सकते हैं

हां, आप अपना केस स्वयं लड़ सकते है लेकिन आपको कानून की बारकी से जानकारी होनी चाहिए। किन्तु आप दूसरे आरोपी की तरफ से नहीं लड़ सकते।

चुकिं यह एक आपराधिक मुकदमा है, इसलिए इसमें सभी तारीख पर जाना चाहिए। अगर आप तारीख पर नहीं जा सकते तो आपको एप्लीकेशन लगानी होगी और सही वजह बता कर आपकी तरफ से आपका वकील तारीख पर उपस्थित हो सकते है।

498A पुलिस पति या उसके घरवालों को सीधे गिरफ्तारी नहीं कर सकती है। अगर पुलिस गिरफ्तार करती हैं तो उसको गिरफ्तारी की वजह बतानी होगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है।

निष्कर्ष:

मैंने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498a (IPC 498a in Hindi) को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।