498a Judgement in Favour of Husband
पुलिस थाना सिहानीगेट जिला गाजियाबाद द्वारा प्रेषित आरोप-पत्र मु०अ०सं० 446/2009 के अन्तर्गत 498a, 323,504,506 भा०द०सं० व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के आधार पर अभियुक्तगण मोमीन अली, अब्दुल हकीम, मौ० इकबाल, मौ० यामीन व श्रीमती तमीजन का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया गया।
संक्षेप में मामले के तथ्य इस प्रकार हैं कि वादिया मुकदमा द्वारा एक टाइपसुदा प्रार्थना-पत्र वरिष्ठ पुलिस अधीक्ष, गाजियाबाद के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसका कथानक संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थिया की शादी यामीन के साथ अक्टूबर-1987 में हुयी थी। उस समय उसे अविवाहित बताया गया था। शादी में लगभग दो लाख रूपये खर्च किये गये थे। शादी के उपरान्त विपक्षी मोमीन, ससुर हकीम, देवर यामीन, ताऊ मौहम्मद यासीन, बहनोई मौ० इकबाल तथा सास तमीजन दहेज की मांग को लेकर तंग व परेशान करने लगे।
बाद में पता चला कि मोमीन की शादी पहले से दो अन्य महिलाओं के साथ हो चुकी थी तथा दहेज के लालच में उन्हें व प्रार्थया को छोड़ दिया व प्रताडित करने लगा। विपक्षीगण ने प्रार्थिया को जान से मारने, जिन्दा जलाने की धमकी दी थी। अरसा करीब तीन माह पहले प्रार्थिय का पति, ससुर, देवर, ताऊ, बहनोई ने मारपीट कर दबाब बनाया कि मकान खरीदने हेतु दो लाख रूपये दे वर्ना इस घर में नहीं रहने देंगे व तेरी जिन्दगी खराब कर देंगे।
पहले दो महिलाओं की जिन्दगी खराब कर चुके हैं। प्रार्थिया द्वारा मजबूरी बताने पर उसके साथ मारपीट कर घर से निकाल दिया व मुरादनगर स्थित घर पर छोड़ गये व धमकी दी कि जब तक पैसे का इंतजाम नहीं होगा तुझे नहीं रखेंगे। दिनांक 8-03-2002 को विपक्षीगण प्रार्थिया के मायके के घर आये व पैसे की मांग की। मना करने पर जान से मारने व जला देने की धमकी दी कि जब तक पैसा नहीं दोगे रूकसाना को हम नहीं रखेंगे, शिकायत की तो जान से मार देंगे। विपक्षीगण ने प्रार्थया को गालियां दी। इस घटना को ईसामुद्दीन तथा मौ० अली व अन्य लोगों ने देखा व सुना।
उक्त प्रार्थना-पत्र पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गाजियाबाद के आदेशानुसार अभियुक्तमण मोमीन अली, अब्दुल हकीम, मौ० यासीन, मौ० इकबाल, मौ० यामीन व श्रीमती तमीजन के विरूद्ध अन्तर्गत धारा 498a, 323, 504, 506 भा०द०सं० व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधि० के तहत प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित की गयी व मामले की विवेचना करायी गयी व बाद विवेचना अभियुक्तगण उपरोक्त के विरूद्ध आरोप-पत्र प्रेषित किया गया।
आरोप-पत्र दाखिल होने पर संज्ञान लिया जा कर अभियुक्तगण को तलब किया गया तथा अभियुक्तगण ने उपस्थित होकर अपनी जमानत करायी। दौरान विचारण अभियुक्त यासीन की पत्रावली पृथक किये जाने के कारण प्रस्तुत प्रकरण में अभियुक्तणण मोमीन अली, अब्दुल हकीम, मौ० इकबाल, मौ० यामीन व श्रीमती तमीजन का विचारण किया गया। दिनांक 15-09-2008 को अभियुक्तगण मोमीन अली, अब्दुल हकीम, मौ० इकबाल, मौ० यामीन व श्रीमती तमीजन के विरूद्ध 498a, 323, 504, 506 भा०द०सं० व धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधि० के तहत आरोप विरचित कर परीक्षण किया गया।
अभियोजन पक्ष की तरफ से मौखिक साक्ष्य में पी.डब्लू-1 रूखसाना, पी.डब्लू -2 बाबू, पी.डब्लू -3 इशामुद्दीन, पी.डब्लू -4 मौ० अली, पी.डब्लू -5 का०/ क्लर्क विष्णु दत्त व पी.डब्लू.-6 रणधीर सिंह को परीक्षित कराया गया।
अभियोजन साक्ष्य पूर्ण होने के उपरान्त अभियुक्तगण के बयान मुल्जिम अन्तर्गत धारा 313 दण्ड प्रक्रिया संहिता अंकित किये गये। जिसमें अभियुक्तमण ने अभियोजन कथानक को गलत बताते हुए सफाई साक्ष्य प्रस्तुत किये जाने का कथन किया।
सफाई साक्ष्य में सूचीपत्र दिनांकित 16-05-2015 के माध्यम से प्रमाणित प्रति तलाकनामा दिनांकित 22-01-2002, प्रमाणित प्रतिलिपि बयान मौ० रिजवान मुकदमा संख्या- 312/2006 अंतर्गत धारा-125 दं०प्र०सं० रूखसाना बनाम यामीन, प्रमाणित प्रतिलिपि बयान साक्षी रिजवान मुकदमा नंबर 88/2003 न्यायालय ए.डी.जे. 14, गाजियाबाद , प्रमाणित प्रतिलिपि निर्णय दिनांकित 28-05-2015 मुकदमा नंबर 88/2003 न्यायालय ए.डी.जे. 14,गाजियाबाद दाखिल किये गये हैं।
इस स्तर पर अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत मौखिक साक्ष्य का विश्लेषण किया जाना न्याय संगत होगा।
साक्षी पी.डब्लू.1 श्रीमती रूकसाना के द्वारा अपनी मुख्य परीक्षा में कथन किया गया है कि “अब से लगभग 24 साल पहले उसकी शादी मोमीन के साथ हुयी थी। शादी के बाद बिदा होकर ससुराल आ गयी व शादी के बाद एक लड़का पैदा हुआ। मैं ससुराल में आराम से रह रही थी। लगभग दो तीन साल बाद मोमीन, अब्दुल हकीम, मौ० यामीन, यासीन, इकबाल सभी लोग दो लाख रूपये की मांग करके मेरे साथ मारपीट करते थे तथा यह भी कहते थे कि अपने घर से दो लाख रूपये लाकर दे हमें मकान खरीदना है। मैंने यह बात अपने मां बाप को बतायी थी, उन्होंने मांग पूरी करने में सममर्थता जतायी। मुझे ससुराल में जाकर यह जानकारी हुयी कि मोमीन की पहले भी दो शादी हो चुकी हैं।
मेरे पति मोमीन के पिता ने मुझे मारते हुए यह कहते कि दो औरतों को इसी तरह प्रताड़ित कर चुके हैं व छोड़ चुके हैं। तुम्हारे साथ भी ऐसा ही करेंगे। मेरी सास तमीजन ने मुझ पर तेल छिड़कर चोटी पकड़ कर पहले मारा था तथा घर से बाहर निकल गयी थी। अब से लगभग नौ साल बाद सभी लोगों ने मारपीट कर मुझे घर से निकाल दिया तथा मेरे पति मुझे घर छोड़ने आये थे। मेरे घरवालों से भी मारपीट की थी और कहा था कि पैसा लेकर ही ससुराल आना। इस सम्बन्ध में थाना सिहानीगेट में शिकायत की थी। फिर एस.एस.पी. आफिस में टाइपशुदा तहरीर दी थी, जिसकी नकल पत्रावली पर है जिसे में तसदीक करती हूँ। तहरीर पर प्रदर्श क-1 डाला गया। तहरीर देने के बाद पुलिस वाले मेरे मायके आये थे व पूछताछ की थी।
प्रति परीक्षा में इस साक्षी ने कथन किया है कि मुझे शादी की तारीख याद नहीं है। मेरी उम्र 40 साल है। शादी के समय उम्र 16-17 साल रही होगी। मेरे पांच भाई व चार बहनें हैं। शादी के समय पिता कारपेंटर का काम करते थे। वे हापुड़ पेपर मिल में काम करते थे। अब नहीं करते हैं। शादी के समय मेरे पिता को तीन-साढे तीन हजार रूपये तनख्वाह मिलती थी। मेरे पिता खेतीवाड़ी नहीं करते हैं। मेरे पिता ने शादी में दो लाख रूपये कर्ज लेकर खर्च किये थे। मेरी ससुराल वाले घर में शादी के समय अब्दुल हकीम, मोमीन, मौ० यामीन, मोहसीन व शौकीन ननद घर में रहते थे।
शादी के दो माह बाद ही दहेज के लिए तंग व परेशान करना शुरू कर दिया था। शादी की तारीख ध्यान नहीं है। दहेज की मांग की मैंने शादी के बाद से कोई शिकायत नहीं की थी। उस समय मैंने अपने घर वालों को भी नहीं बताया था। मारपीट का डाक्टरी मुआइना नहीं कराया था। वैसे मेरे साथ मारपीट की थी। रिपोर्ट लिखानी सिहानी चुंगी थाने पर गयी थी। मेरी तहरीर थाने पर ही तैयार हुयी थी। थाने पर ही पुलिस वाले ने लिखी थी लेकिन वहां सुनवायी नहीं हुयी।..
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