आईपीसी धारा 53 क्या है? । IPC Section 53 in Hindi । उदाहरण के साथ

आज मैं आपके लिए IPC Section 53 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने  आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 53 क्या होती है?

किसी अपराधी को कौन कौन सी सज़ा मिल सकती हैं। इसमें सज़ा के बारे में बताया गया है, कि सज़ा के प्रकार क्या होंगे।

IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 53 के अनुसार:-

दण्ड:- “अपराधी इस संहिता के उपबंधों अधीन जिन दण्डों से दण्डनीय हैं, वे ये हैं-”

मृत्यु :- जब कोई व्यक्ति अपराध करता है, उसमें Death Penalty भी मिल सकती है। Death Penalty का मतलब मौत की सज़ा। जैसे इसमें फांसी की सज़ा होती है।

आजीवन कारावास :- इसका मतलब आजीवन कारावास होता है, जब तक व्यक्ति की मृत्यु नहीं हो जाती, तब तक वह जेल में ही रहेगा। कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिसमें कोर्ट व्यक्ति को आजीवन कारावास की सज़ा भी दे सकती है। इसमें कुछ लोग कंफ्यूज रहते हैं, कि आजीवन कारावास का मतलब चौदह साल होता है, या बीस साल होता है। आजीवन कारावास का मतलब होता है, कि जब तक वह व्यक्ति ज़िंदा रहेगा। तब तक वह जेल में ही रहेगा।

[1949 के अधिनियम 17 की धारा 2 द्वारा निरस्त] :- इसको खत्म कर दिया गया है। यह अब नहीं है।

कारावास, जो दो भांति का है, अर्थात् :- इसको दो पार्ट में डिवाइड किया गया है, पहला कठिन, अर्थात् कठोर श्रम के साथ और दूसरा साधारण । जब कोर्ट में सज़ा सुनाई जाती है, तब जज बोलते है, की ये सज़ा कठोर कारावास है, या साधारण कारावास।

1. कठिन, अर्थात् कठोर श्रम :- इस सज़ा में जेल के अंदर कठिन परिश्रम करना पड़ता है। आपको जेल में काम करना पड़ेगा।

2. सादा :- इसको साधारण कारावास बोलते है।

सम्पत्ति का समपहरण :- कोर्ट के पास यह अधिकार होता है, कि अगर किसी अपराधी ने कोई अपराध किया है, तब कोर्ट उसकी प्रॉपर्टी को भी जब्त कर सकती है।

आर्थिक दण्ड :- कोर्ट के पास यह भी अधिकार है, की किसी अपराधी को सज़ा के तौर पर फाइन भी लगा सकती है। उसपर जुर्माना भी लगा सकती है।


As per section 53 of IPC (Indian Penal Code) :-

Punishment :- The punishments to which offenders are liable under the provisions of this Code are-

First :- Death;

Secondly :- Imprisonment for life;

Third :- ()

Fourthly :- Imprisonment, which is of two descriptions, namely-

(1) :- Rigorous, that is, with hard labour;

(2) :- Simple;

Fifthly :- Forfeiture of property;

Sixthly :- Fine.

धारा 53 क्या है?

इसके अलावा कोई भी कोर्ट, किसी भी अपराधी को अलग से कोई सज़ा नहीं दे सकती। ऐसा नहीं है, कि कोई जज आपसे कहे, कि इसको दस थप्पड़ मारे जाएं या इसका हाथ काट दिया जाए। ऐसा कुछ भी नहीं है। जज अपनी मर्ज़ी से किसी को सज़ा नहीं दे सकते हैं। अगर किसी को सज़ा देनी है, तब IPC के Section 53 के According ही अपराधी को सज़ा दी जा सकती है।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

मेरा नाम Advocate Ashutosh Chauhan हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट (courtjudgement) वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मुझे लॉ (Law) के क्षेत्र में 10 साल का अनुभव है। इस वेबसाईट को बनाने का मेरा मुख्य उद्देश्य आम लोगो तक कानून की जानकारी आसान भाषा में पहुँचाना है। अधिक पढ़े...