IPC Section 54 in Hindi
आज मैं आपके लिए IPC Section 54 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 54 क्या होती है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 54 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 54 के अनुसार:-मॄत्यु दण्डादेश का लघुकरण:- “हर मामले में, जिसमें मॄत्यु का दण्डादेश दिया गया हो, उस दण्ड को अपराधी की सहमति के बिना भी समुचित सरकार इस संहिता द्वारा उपबन्धित किसी अन्य दण्ड में रूपांतरित कर सकेगी।”
As per section 54 of IPC (Indian Penal Code):-Commutation of sentence of death:- “In every case in which sentence of death shall have been passed, the appropriate Government may, without the consent of the offender, commute the punishment for any other punishment provided by this code.”
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आईपीसी धारा 54 क्या है?
ऊपर जो IPC Section 54 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 54 को सरल शब्दों में समझाता हूँ।
IPC Section 54 में कहा गया है, कि जब किसी केस में दोषी को फांसी की सज़ा तय कर दी गई है। जंहा पर वह केस चल रहा है, वंहा की राज्य सरकार या केंद्र सरकार बिना दोषी की मर्ज़ी के (जिसको फांसी की सजा सुनाई गई है।) उसकी बिना परमिशन लिए, उसकी फांसी कि सज़ा को कम कर सकती है। उसको फांसी की सज़ा को किसी भी सज़ा में तब्दील कर सकती है। इसका अधिकार सिर्फ राज्य सरकार या केंद्र सरकार का है। (अगर वो कोर्ट राज्य सरकार के आधीन है, तो राज्य सरकार का अगर वो कोर्ट केंद्र सरकार के आधीन है, तो केंद्र सरकार )। लेकिन ज़्यादातर क्या होता है, जो गवर्नमेंट होती है, वो फांसी की सज़ा को कम करती है, तो उसको उम्रकैद में तब्दील करती है। हालांकि ऐसा नहीं है, कि राज्य सरकार या केंद्र सरकार आंखें बंद करके ही फांसी की सज़ा को कम कर देती है। परिस्थितियों को देखा जाता है। अगर गवर्नमेंट को लगता है, कि वाकई में इस इंसान की जो Death Penalty है। उसको कम करना चाहिए। तब राज्य सरकार या केंद्र सरकार यह फ़ैसला ले सकती हैं। IPC का Section 54 में यही बताया गया है।
उम्मीद करता हूं। आपको भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के Section 54 समझ में आ गयी होगी। मैंने इसको सिंपल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, अगर फिर भी कोई Confusion रह गई है, तो आप कमेंट बॉक्स में क्वेश्चन कर सकते है। मुझे आंसर देने में अच्छा लगेगा।
निष्कर्ष:
मैंने IPC Section 54 in Hindi को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।
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आशुतोष चौहान उत्तरप्रदेश के छोटे से गांव से है, ये पोस्ट ग्रेजुएट है, ये इस साईट के एडमिन है। इनको वेबसाइट ऑप्टिमाइज़ और कभी कभी हिंदी में आर्टिकल लिखना पसंद है।