IPC Section 69 in Hindi
आज मैं आपके लिए IPC Section 69 in Hindi की जानकारी लेकर आया हूँ, पिछली पोस्ट में हमने आपको आईपीसी (IPC) की काफी सारी धाराओं के बारे में बताया है। अगर आप उनको पढ़ना चाहते हो, तो आप पिछले पोस्ट पढ़ सकते है। अगर आपने वो पोस्ट पढ़ ली है तो, आशा करता हूँ की आपको वो सभी धाराएं समझ में आई होंगी । अब बात करते है, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 69 क्या होती है?
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 69 क्या होती है?
IPC (भारतीय दंड संहिता की धारा ) की धारा 69 के अनुसार:-जुर्माने के आनुपातिक भाग के दे दिए जाने की दशा में कारावास का पर्यवसान :- “यदि जुर्माना देने में व्यतिक्रम होने की दशा के लिए नियत की गई कारावास की अवधि का अवसान होने से पूर्व जुर्माने का ऐसा अनुपात चुका दिया या उद्गॄहीत कर लिया जाए कि देने में व्यतिक्रम होने पर कारावास की जो अवधि भोगी जा चुकी हो, वह जुर्माने के तब तक न चुकाए गए भाग के आनुपातिक से कम न हो तो कारावास पर्यवसित हो जाएगा।”
As per section 69 of IPC (Indian Penal Code) :-Termination of imprisonment on payment of proportional part of fine :- “If, before the expiration of the term of imprisonment fixed in default of payment, such a proportion of the fine be paid or levied that the term of imprisonment suffered in default of payment is not less than proportional to the part of the fine still unpaid, the imprisonment shall terminate.”
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धारा 69 क्या है?
ऊपर जो IPC Section 69 की डेफिनेशन दी गयी है, वो कानूनी भाषा में दी गयी है, शायद इसको समझने में परेशानी आ रही होगी। इसलिए इसको मैं थोड़ा सिंपल भाषा का प्रयोग करके समझाने की कोशिश करता हूँ। IPC Section 69 को सरल शब्दों में समझाता हूँ।
IPC Section 69 in Hindi को समझाने के लिए, मै एक उदाहरण देता हूँ। इससे आपको ज़्यादा अच्छे से समझ में आएगा।
मान के चलिए, किसी अपराधी को तीन साल तक की सज़ा हुई। उसको तीन साल तक के लिए जेल भेजा गया है, और तीन साल की सज़ा के साथ उसको एक हज़ार रुपए का जुर्माना भी किया गया है। अगर उसने एक हज़ार रुपए का जुर्माना जमा नहीं करवाया तो उसके लिए कोर्ट के द्वारा अतिरिक्त सज़ा फिक्स की गई है, कि अगर इस व्यक्ति ने तीन साल की सज़ा के साथ एक हज़ार रुपए का जुर्माना जमा नहीं करवाया तो इसको एक हज़ार जमा ना करवाने के लिए चार महीने ओर जेल में और रहना पड़ेगा। मान के चलिए उसने तीन साल की सज़ा काट ली, और एक हज़ार रुपए का जुर्माना उसने जमा नहीं करवाया। अब उसकी चार महीने की एक्स्ट्रा सज़ा स्टार्ट हो चुकी है, और उसने चार महीने की एक्स्ट्रा सज़ा के दस दिन जेल में काट लिए। यानी उसने तीन साल दस दिन की सज़ा काट ली। फिर उसने अपना एक हज़ार रुपए का जुर्माना जमा करवा दिया। उसकी जो बाकी की बची हुई सज़ा है, वह उसी टाइम खत्म हो जाएगी। क्योंकि main अपराध के लिए जो तीन साल की सज़ा थी, वो पहले ही काट चुका है। अब जो सज़ा काट रहा था, वह एक हज़ार जुर्माना ना जमा करवाने की स्थिति में काट रहा था। जैसे ही वह अपना पूरा जुर्माना जमा करवा देता है, उसको उसी टाइम रिहा कर दिया जाएगा।
अब इसमें दूसरा पॉइंट भी आता है, मान के चलिए वह व्यक्ति एक हज़ार रुपए का जुर्माना पूरा जमा नहीं करवा पाता है। वह सिर्फ पांच सौ रुपए जमा करवा देता है। जो चार महीने की सज़ा थी, जुर्माना न जमा करवाने के कारण, उसके सिर्फ उसने दस दिन ही अभी जेल में काटे हैं, और उसने पांच सौ रुपए जमा करवा दिए, इसमें अभी भी पांच सौ रुपए बाकी हैं। ऐसे में उसको चार महीने की जगह अब उसको दो महीने जेल में रहना होगा। दो महीने की सज़ा उसकी माफ़ कर दी जाएगी। क्योंकि उसने जुर्माना के आधे रुपये जमा कर दिए है।
उम्मीद करता हूं। आपको भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) के Section 69 समझ में आ गयी होगी। मैंने इसको सिंपल शब्दों में समझाने की कोशिश की है, अगर फिर भी कोई Confusion रह गई है, तो आप कमेंट बॉक्स में क्वेश्चन कर सकते है। मुझे आंसर देने में अच्छा लगेगा।
निष्कर्ष:
मैंने IPC Section 69 in Hindi को सिंपल तरीके से समझाने की कोशिश की है। मेरी ये ही कोशिश है, की जो पुलिस की तैयारी या लॉ के स्टूडेंट है, उनको IPC की जानकारी होनी बहुत जरुरी है। ओर आम आदमी को भी कानून की जानकारी होना बहुत जरुरी है।
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मेरा नाम आशुतोष चौहान हैं, मैं कोर्ट-जजमेंट ब्लॉग वेबसाईट का Founder & Author हूँ। मैं पोस्ट ग्रेजुएट हूँ। मैं एक Professional blogger भी हूँ। मुझे लॉ से संबंदित आर्टिकल लिखना पसंद है।