याचिनी की ओर से यह प्रार्थना पत्र धारा 125 दं.प्र.सं. के अन्तर्गत विपक्षी से भरण-पोषण भत्ता प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
प्रार्थिनी का कथन संक्षेप में इस प्रकार है कि प्रार्थिनी की शादी दिनांक 24-11-2015 को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार विपक्षी के साथ सम्पन्न हुई थी । विवाह में प्रार्थिनी के पिता ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार 7, 11,000/- रूपये नकद व घर ग्रहस्थी का सामान मय जेवरात दान दहेज के रूप में देकर किया था। शादी के उपरान्त प्रार्थिनी विदा होकर ससुराल गयी और अपने समस्त पत्नीगत कर्तव्यों का निर्वाहन किया परन्तु कुछ समय बाद ही प्रार्थिनी के ससुरालीजन विपक्षी व उसके माता पिता तथा ननद अन्य परिजन कम दहेज का ताना देकर अतिरिक्त दहेज में एक कार आई – 10 की मॉग करने लगे तथा अतिरिक्त दहेज के लिए दवाब बनाने हेतु भूखा प्यासा रखकर उत्पीडन करना शुरू कर दिया, प्रार्थिनी के द्वारा मना करने पर विपक्षी व उसके परिजनों नें मिटटी का तेल डालकर जलाने का भी प्रयास किया परन्तु प्रार्थिनी भाग्यवश बच गयी। विपक्षी व उसके परिजन अतिरिक्त दहेज की माँग पूरी न होते देखकर अगस्त 2016 में दो माह की गर्भावस्था में मारपीट के दौरान पेट पर लात व घूसे मारे जिससे गर्भपात हो गया और प्रार्थिनी के अत्यधिक ब्लीडिंग हो जाने पर मायके छोड गये। विपक्षी ने मार्च 2017 में चचिया ससुर के देहान्त पर प्रार्थिनी को तेहरवी तक रखा और तेहरवी के बाद पुनः प्रार्थिनी को मायके छोड दिया ।
उसके बाद प्रार्थिनी के मायके वालों ने विपक्षी व उसके परिजना से सम्पर्क किया कि प्रार्थिनी की विदा कराकर ले जाये परन्तु विपक्षी व उसके परिजन बिना अतिरिक्त दहेज के साथ रखने से साफ इन्कार कर दिया । उसके बाद प्रार्थिनी के भाई ने जनसुनवायी उत्तर प्रदेश शासन पर अपनी शिकायत दर्ज करवायी। उक्त शिकायत की जांच जब रेलवे गेट पुलिस चौकी की पुलिस आयी और पुलिस चौकी इंचार्ज ने प्रार्थिनी की विदा करा दी और जॉच समाप्त होते ही दिनांक 11-01-2019 को विपक्षी व उसके परिजनों ने समस्त स्त्रीधन छीनकर मात्र पहने हुए कपडों में घर से निकाल दिया तब से प्रार्थिनी अपने पिता के घर मायके में रह रहीं है । प्रार्थिनी घर गृहस्थी के अलावा अन्य ऐसा कोई व्यवसायिक कार्य नहीं जानती है जिससे वह अपना भरण पोषण कर सकें। प्रार्थिनी विपक्षी की वैवाहिक पत्नी है तथा विपक्षी प्रार्थिनी को कानूनी भरण पोषण देने को बाध्य है।
विपक्षी पढा लिखा व्यक्ति है तथा उसके पास अच्छी किस्म की 45 बीघा उपजाऊ जमीन है तथा शहर में छोटे मोटे व्यापार भी करता है तथा बच्चों को टयूशन भी पढाता है। सभी श्रोतो से उसकी आमदनी 45,000/- रूपये प्रतिमाह होगी। प्रार्थिनी को विपक्षी से भरण पोषण हेतु 10,000/- रूपये प्रतिमाह दिलाया जाना अत्यन्त आवश्यक है। अतः आवेदिका ने विपक्षी से भरण पोषण हेतु दस हजार रूपये प्रतिमाह दिलाये जाने की याचना की गयी । प्रार्थिनी के वाद पत्र के कथन शपथ पत्र कागज संख्या – 4 व से समर्थित है।
विपक्षी को नोटिस भेजे गये, विपक्षी न्यायालय उपस्थित आया। विपक्षी ने अपना प्रतिवाद पत्र/जवाव दावा कागज संख्या – 10 अ प्रस्तुत किया गया । विपक्षी ने अपनी आपत्ति में वादिया के साथ विवाह का होना स्वीकार किया है । उत्तरदाता ने वादिया के दावा की जिमन संख्या – 2, 3, 4, 5 एंव 6, 7, 8, 9, 10 को स्वीकार नहीं किया है तथा अतिरिक्त विशेष कथन में कहा है कि उत्तरदाता की शादी प्रार्थिनी के साथ आदर्श विवाह के रूप में बिना दान दहेज के हुयी थी । प्रार्थिनी, उत्तर दाता की पत्नी है परन्तु वह आधुनिक विचारों की महिला है तथा ससुराल आते ही तरह तरह से उत्तरदाता व उसके परिजनों को परेशान करने लगी तथा परिवार से अलग रहने का दवाब बनाने लगी, मना करने पर झूठे दहेज एक्ट का मुकदमा में फसाने की धमकी देने लगी । उत्तरदाता विवाह के समय बेरोजगार था तथा उसके रिश्ते नहीं आ रहे थे, वाद पत्र में दिया गया दान दहेज असत्य है। उत्तरदाता के पिता ने प्रार्थिनी को बी.टी.सी. कराई तथा उसका पूरा खर्चा वहन किया तथा उसकी सुख सुविधा का खयाल रखा परन्तु प्रार्थिनी बात बात पर मायके फोन करती तथा प्रार्थिनी के परिजन अराजक तत्वों से धमकी दिलवाते थे।