State of UP vs satish 406 IPC Judgement

पुलिस थाना सिहानीगेट जिला गाजियाबाद द्वारा मुगअ०्सं० ९२२/२००६ में प्रेषित आरोप पत्र अन्तर्गत धारा-४०६,५०४,५०६ भा०द०सं० व धारा-३/४/५ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के आधार पर अभियुक्तगण सतीश पार्चा, आशीष व श्रीमती सावित्री का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया गया।

संक्षेप में मामले के तथ्य इस प्रकार है कि वादी मुकदमा सी.पी.सिंह द्वारा एक लिखित तहरीर दिनांकित ३०.१०.२००६ थाना सिहानीगेट में इस आशय की दी गई कि वह एक शांति प्रिय व नियमबद्ध नागरिक है। विचौलिया सतपाल ग्राम हरसाऊ का रहने वाला है जो माह अगस्त-२००६ में उसके घर पर उसकी बेटी पूनम का विवाह सतीश के पुत्र आशीष के साथ करने का प्रस्ताव लेकर आया व लडके का फोटो दिखाया जिस पर वादी मुकदमा शादी के लिए राजी हो गया। उसके बाद विपक्षी सतीश का वादी मुकदमा के घर पर लगातार आना जाना हो गया जिसके साथ तीन-चार लोग होते थे तथा उसके द्वारा हर व्यक्ति को ५०१/- रूपये देने का दबाब डाला जाता था जो वादी मुकदमा को मजबूरी में देने पड़ते थे। रोका दिनांक १७.०९.२००६ को वादी मुकदमा की बेटी के जन्मदिन पर उसके घर पर हुआ जिसमें अभियुक्तणण की ओर से १५ लोग आये। आशीष को ११,०००/-रूपये, सतीश व सावित्री व उसकी तीनों बेटियो को ११००- ११००/-रूपये तथा अन्य मेहमानों को ५०१-५०१/-रूपये दिये तथा शादी की तिथि ०२.०२.२००६ नियत की गई और हिण्ड मोटल्स गाजियाबाद बुक कराया जिसमें २८,५००/-रूपये खर्च किये गये। रोकने के बाद उपरोक्त मुल्जिमान ने फोर्ड आईकान कार की मांग की जो उसने मंजूर कर ली। थोड़े दिन बाद लडका की मां व बाप आये और मारूति बलेनो कार की मांग की व सावित्री ने अपने लिए हीरों का सेट मांगा और सतीश ने बैशाली में एक फ्लैट की मांग कीं तथा अन्य रिश्तेदारों के लिए भी उपहारों की मांग की जिस पर शिकायतकर्ता को दौरा पड़ गया और वह बेहोश हो गया जिसे एन.एम.सी. नोएडा में भर्ती कराया गया, जहां पर उसका इलाज हुआ। उसका इलाज उक्त रक्त चाप व टेंशन की वजह से हुआ जो उसे उपरोक्त लोगों की नाजायज मांग की वजह से हुआ क्‍यों कि मुल्जिमान ने कड़े शब्दों में मांग पूरी न होने पर शादी तोड़ने की धमकी दी थी। दिनांक २९.१०.२००६ को मुल्जिमान दुबारा वादी मुकदमा के घर आये और अपनी मांगे दोहराई। वादी मुकदमा द्वारा मांगों से मना करते हुए दहेज का इंतजाम न कर सकने की बात कहते हुए रिश्ता खतम करने की बात कही। इतना सुनते ही मुल्जिमान आग बबूला हो गये और गाली गलौच करते हुए जान से मारने की धमकी दी और रोका व अन्य खर्चों के पैसे वापस करने से मना कर दिया और चले गये। प्रार्थना की गई की उपरोक्त के विरूद्ध रिपोर्ट लिख कर कानूनी कार्यवाही की जाये।

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वादी मुकदमा के उपरोक्त तहरीर के आधार पर थाना हाजा में मु०अ०सं० ९२२/२००६ अंतर्गत धारा-४०६,५०४,५०६भा०दं०सं०३/४/५ दहेज प्रतिषेध अधिनियम अभियुक्तगण सतीश पार्चा, आशीष व श्रीमती सावित्री के विरूद्ध पंजीकृत हो कर प्रकरण में विवेचना की गयी।

विवेचक द्वारा घटना का निरीक्षण कर नक्शा नजरी बनाया, गवाहान के बयान अन्तर्गत धारा १६१ दण्ड प्रक्रिया संहिता अंकित किये गये तथा सम्पूर्ण विवेचना उपरान्त विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए अभियुक्तणण सतीश पार्चा, आशीष व श्रीमती सावित्री, के विरूद्ध अन्तर्गत धारा ४०६,५०४,५०६भा०दं०सं०३/४/५ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत आरोप पत्र विचारण हेतु न्यायालय में प्रेषित किया गया।

अभियुक्तगण के उपस्थित आने पर उनको को धारा २०७ दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत अभियोजन प्रपत्रो की प्रतियां प्रदान की जाकर अभियुक्तगण सतीश पार्चा, आशीष व श्रीमती सावित्री, के विरूद्ध आरोप अन्तर्गत धारा ४०६,५०४,५०६ भा०द०सं० व धारा- ३/४/५ दहेज प्रतिषेध अधिनियम में विरचित किया गया। अभियुक्तगण ने आरोप से इंकार किया व परीक्षण चाहा।

अभियोजन पक्ष की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में प्रार्थना-पत्र तहरीर, नकल चिक प्रथम सूचना रिपोर्ट, नकल जी.डी., नक्शानजरी एवं आरोप-पत्र प्रस्तुत किये गये। अभियोजन पक्ष की ओर से मौखिक साक्ष्य के रूप में पी.डब्लू-१ सी.पी. सिंह व पी.डब्लू.- २ पूनम को परीक्षित कराया गया। उसके बाद बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अभियोजन प्रपत्रों की औपचारिकता को स्वीकार कर लिया गया तत्पश्चात अभियोजन पक्ष द्वारा शेष साक्षीगण को परीक्षित न कराये जाने का कथन किया। इस प्रकार अभियोजन साक्ष्य पूर्ण हुआ।

अभियोजन साक्ष्य पूर्ण होने के उपरान्त अभियुक्तगण के बयान मुल्जिम अन्तर्गत धारा ३१३ दण्ड प्रक्रिया संहिता अंकित किये गये। जिसमें अभियुक्तमण ने अभियोजन कथानक को गलत बताते हुए झूंठा मुकदमा चलने का कथन किया तथा सफाई साक्ष्य देने से इंकार किया।

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मैने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तगण की बहस को सुना तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का सम्यक अवलोकन किया।

प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से अपना मामला सिद्ध करने हेतु तथ्य के दो साक्षी वादी मुकदमा व कथित पीड़िता को परीक्षित कराया गया है। पी.डब्लू.-१ सी.पी.सिंह जो प्रकरण का वादी मुकदमा है, ने अपनी मुख्य परीक्षा में अभियोजन कथानक का समर्थन किया है परन्तु प्रति परीक्षा में कथन किया है कि उसकी पुत्री पूनम की शादी की बात सतपाल के माध्यम से हुई थी, जो उसका परिचित था। सतीश पार्चा को वह पहले से नहीं जानता था, उसके आशीष पार्चा को फोटो व बायोडेटा देखा था जो बिचौलिया सतपाल ने दिखाया था। उसने अपनी शिकायत व मुख्य परीक्षा में बायोडाटा का कोई जिक्र नहीं किया है। उसने फोटो देख कर मान लिया था। फोटो २००६ में दिखाया था तारीख याद नहीं है। वह आशीष को देखने नहीं गया था। आशीष से उसकी पहली मुलाकात १७.०९.२००६ को उसकी बेटी के जन्म दिन पर हुई थी। दिनांक १७.०९.२००६ को लड़का आशीष, सतीश पार्चा, सावित्री, तीन बहने व १५ अन्य लोग थे। १५ लोगों से उसका परिचय हुआ उनमें से किसी का नाम उसे ध्यान नहीं है। उसने जन्म दिन पर कार्ड नहीं छपवाये थे और जन्म दिन था इसलिए कोई पंडित नहीं बुलाया था। दिनांक १७.०९.२००६ को ये लोग शांम ६ बजे आये थे। उसने जो फोटोग्राफ दाखिल किये है उनके नेगेटिव उसके पास हैं। इन फोटो में बर्थ डे के अलावा कोई और रश्म दिखाई नहीं दे रही है। यह कहना सही है कि उसके जो फोटोग्राफ दाखिल किये है, उसमें उसकी बेटी को गिफ्ट देते हुए फोटो हैं लेकिने उसे या उसके परिवार के किसी को कुछ देते हुए फोटो नहीं हैं। बिचौलिया सतपाल का बयान पुलिस को नहीं कराया। शादी की तारीख पण्डित से निकलवायी थी। उसे पण्डित के घर का पता नहीं मालूम। यह कहना सही है कि नगर निगम की रसीद में यह उल्लिखित नही है कि सामुदायिक केन्द्र किस उद्देश्य से बुक कराया है। नगर निगम रसीद की फोटो कापी दाखिल है। मूल में कोई मुहर व हस्ताक्षर नहीं हैं। मेरे पास जो भी फोटोग्राफ हैं, रोके का कोई फोटोग्राफ नहीं है। यह फोटो रवि स्टूडियो ने खीचे थे। रवि स्टूडियो का कोई बिल नहीं है। उसके पास सतीश पार्चा का मोबाईल नंबर था, अब नंबर याद नहीं है।  …

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पूरा जजमेंट पढ़ने के लिए निचे PDF को पढ़े।

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