State of UP vs Braj Singh 498a Judgement

प्रस्तुत प्रकरण में पुलिस थाना सिहानीगेट जिला गाजियाबाद द्वारा मु०अ०सं० ९३/२००७ में प्रेषित आरोप पत्र अन्तर्गत धारा- ४९८ए,  ३२३, ५०४ भा०द०सं० व धारा- ३/४ दहेज प्रतिषेध अधिनियम के आधार पर अभियुक्तगण ब्रज सिंह केन, श्रीमती सीता देवी प्रवीन कुमार व ललित कुमार का विचारण इस न्यायालय द्वारा किया गया।

संक्षेप में मामले के तथ्य इस प्रकार है कि वादिया मुकदमा श्रीमती हिरनेश बाला द्वारा एक प्रार्थना-पत्र राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष इस आशय का प्रस्तुत किया गया कि प्रार्थिया का विवाह विपक्षी ललित कुमार के साथ दिनांक दिनांक ०२.०२.२००६ को हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार हुआ था जिसमें वादिया मुकदमा के पिता ने करीब दस लाख रूपये खर्च किये थे। लेकिन उसका पति ललित कुमार, ससुर ब्रजसिंह केन, सास श्रीमती सीता देवी व देवर प्रवीन कुमार कम दहेज का ताना मारते थे और अतिरिक्त दहेज में फ्लैट की मांग करते हुए उसके साथ मारपीट करते थे। वादिया मुकदमा के माता पिता व मामा ने कई बार समझाया परन्तु विपक्षीगण अपनी मांग पर अड़े रहे। उसका उत्पीड़न रोकने के लिए प्रथम रक्षाबंधन पर उसके पिता ने पचास हजार रूपये दिये परन्तु उसके बाद भी विपक्षीगण ने वादिया मुकदमा के साथ मारपीट की और जबरदस्ती कुछ कागजात लिखवा लिए जिसमें सुसाईड नोट भी शामिल है और हस्ताक्षर करवा लिए। जब वादिया मुकदमा के माता पिता को पता चला तो उन्होंने उसकी ससुराल वालों से मिन्नतें की और पचास हजार रूपये भैया दूज पर दे दिये लेकिन उसके बाद भी वादिया मुकदमा का शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न जारी रहा। अभियुक्तगण कम दहेज का ताना मारते थे और वादिया मुकदमा के माता पिता को गन्दी-गन्दी गालियां देते थे और उसे थप्पड़ो, लातघूंसो और चप्पलों से मारते थे और उसे दिन में एक समय खाना देते थे। उसका अनेक तरीकों से उत्पीड़न किया और उसे गर्भावस्‍था के दौरान दिनांक २९.११.२००६ को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया। दिनांक ०८.१२.२००६ को समाज के कुछ सम्भ्रान्त व्यक्तियों के समक्ष बैठक हुई जिसमें वादिया मुकदमा के ससुराल वालों ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए भविष्य में दहेज न मांगने व परेशान न करने का वचन दिया। दिनांक २५.१२.२००६ के वादिया मुकदमा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका समस्त खर्चा वादिया मुकदमा के माता पिता ने किया। दिनांक १४.०१.२००७ को प्रातः आठ बजे वादिया मुकदमा के ससुराल वालों ने उकसे साथ मारपीट की, गालीगलौच की और पुनः दहेज में फ्लैट की मांग करते हुए वादिया मुकदमा व उसके पुत्र को पहने हुए कपड़ों में घर से बाहर निकाल दिया। वादिया मुकदमा के पिता इस सम्बन्ध में रिपोर्ट लिखाने थाना सिहानीगेट गये परन्तु रिपोर्ट नहीं लिखी। तत्पश्चात जिला मजिस्ट्रेट व एस.एस.पी. को पत्र प्रेषित किये गये परन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई। प्रार्थना की गई की मामले की जांच कर उसे उसकी जान माल की सुरक्षा की जाये तथा दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाये।

वादिया मुकदमा के उक्त प्रार्थना-पत्र पर पारित आदेश के अनुक्रम में थाना हाजा में मु०अ०सं० ९३/२००७ अंतर्गत धारा-४९८ए, ३०७, ५०४ भा०द०सं० व धारा- ३/४ दहेज प्रतिषेध अधिनियम अभियुक्तणण ललित कुमार, ब्रजसिंह केन, श्रीमती सीता देवी, व प्रवीन कुमार के विरूद्ध पंजीकृत हो कर प्रकरण में विवेचना की गयी।

विवेचक ने दौरान विवेचना घटना का निरीक्षण कर नक्शा नजरी बयान व गवाहान के बयान अन्तर्गत धारा १६१ दण्ड प्रक्रिया संहिता अंकित किये गये तथा सम्पूर्ण विवेचना उपरान्त विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य पाते हुए अभियुक्तगण ब्रज सिंह केन, श्रीमती सीता देवी, प्रवीन कुमार व ललित कुमार के विरूद्ध अन्तर्गत धारा- ४९८ए, ३२३, ५०४ भा०द०सं० व धारा- ३/४ दहेज प्रतिषेध अधिनियम आरोप पत्र विचारण हेतु न्यायालय में प्रेषित किया गया।

अभियुक्तगण को विचारण हेतु आहुत किया गया। अभियुक्तगण को धारा २०७ दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत अभियोजन प्रपत्रो की प्रतियां प्रदान की जाकर अभियुक्तगण उपरोक्त के विरूद्ध आरोप अन्तर्गत धारा-४९८ए, ३२३, ५०४ भा०द०सं० व धारा- ३/४ दहेज प्रतिषेध अधिनियम विरचित किये गये। अभियुक्तगण ने आरोप से इंकार किया व परीक्षण चाहा।

अभियोजन पक्ष की ओर से अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में प्रार्थना-पत्र तहरीर, नकल चिक प्रथम सूचना रिपोर्ट, नकल जी.डी. एवं आरोप-पत्र आदि प्रस्तुत किये गये। अभियोजन पक्ष की ओर से मौखिक साक्ष्य के रूप में पी.डब्लू-१ हिरनेश बाला, पी.डब्लू.- २ लीलाधर, पी.डब्लू–३ सुनील कुमार वर्मा को परीक्षित कराया गया। वादिया मुकदमा की ओर से अभियोजन अधिकारी द्वारा समर्थित सूची दिनांकित २६.११.२०१८ से सत्यापित प्रतिलिपि बयान ललित कुमार वाद संख्या-३८२/२००७ अंतर्गत धारा-१२५ दं०प्र०सं०, सत्यापित प्रतिलिपि निर्णय सिविल अपील नंबर १६१/२०१० श्रीमती हिरनेश बनाम ललित कुमार, सत्यापित प्रतिलिपि प्रार्थना-पत्र अंतर्गत धारा-१५६(३) दं०प्र०सं० संख्या-१/२००७, थाना सिहानीगेट में पक्षकारों के मध्य हुए फैसलानामा की सत्यापित प्रतिलिपि, सत्यापित प्रतिलिपि आदेश-पत्र विविध वाद संख्या-१/२००७, माननीय उच्च न्यायालय में प्रस्तुत द्वितीय अपील संख्या-७३८/२०११ की सत्यापित प्रतिलिपि दाखिल
की गई हैं।

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About Advocate Ashutosh Chauhan

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