फैमिली कोर्ट समन (Family Court Summons in Hindi) के बारे में जानने से पहले आपको फैमिली कोर्ट के बारे में जानना जरुरी है। मैं इस आर्टिकल में काफी कुछ बताने की कोशिश करूँगा, आशा करता हु की आप ये आर्टिकल पूरा पढ़ने की कोशिश करोगे क्योंकि अधूरा ज्ञान बहुत ही घातक होता है, तो शुरू करते है।
फैमिली कोर्ट क्या है ? (What is Family Court?)
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक फैमली कोर्ट होता है। फैमिली कोर्ट परिवारों में होने वाली कानूनी समस्याओं का निपटारा करता है। इसलिए इसको हम पारिवारिक न्यायालय भी कहते है। फैमिली फैमिली कोर्ट में लगभग 90 % केस पति पत्नी के बीच होते है जिसमे पत्नी फरियदी होती है, ओर पति गुनाहगार होता है। फैमिली कोर्ट (Family Court Summons in Hindi) में मेंटेनेंस (भरण-पोषण), तलाक या बच्चे की कस्टडी जैसे पारिवारिक मामलों की सुनवाई होती है। अब समझते है की इसके प्रोसेस क्या क्या है ओर ये कैसे काम करता है।
मैं आपको पति पत्नी के बीच मेंटेनेंस (भरण-पोषण) का एक्साम्पल लेकर बताता हूँ जैसे किसी पति पत्नी के बीच झगड़ा हुआ ओर पत्नी को मार पीट कर घर से बाहार निकाल दिया या पति अपनी पत्नी को तंग रखता है उसको शारीरिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है ऐसे में पत्नी भरण-पोषण के लिए फैमिली कोर्ट का सहारा लेती है।
Family Court Summons in Hindi (फैमिली कोर्ट समन हिंदी में)
सबसे पहले पत्नी एक एप्लीकेशन वकील की सहयता से कोर्ट में सबमिट करती है उसमे किस प्रकार से पति द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है वो सब कुछ लिखती है। फिर फैमिली कोर्ट पति को समन जारी करती है, ओर समन पर तारीख लिखी होती है, की इस तारीख पर आपको कोर्ट में उपस्थित होना है। ये समन पोस्ट द्वारा जारी किया जाता है। ओर जिसके द्वारा इस समन को भेजा जाता है वो अपनी रिपोर्ट फैमिली कोर्ट में लगाता है, की घर पर कोई नहीं था या पति ने समन को लेने से मना कर दिया या पति ने समन को ले लिया जैसी भी सिचुएशन होती है वो अपनी रिपोर्ट में लिखता है। इस समन को पति ले भी सकता है ओर नहीं भी अगर पति समन लेने के बाद भी फैमिली कोर्ट में उपस्थित नहीं होता है, तो पति के खिलाफ कोई पुलिस द्वारा करवाई नहीं होती है क्योंकि ये एक फैमिली मेटर है।
पति अगर जानभूझ कर भी उपस्थित नहीं होता है तो फैमिली कोर्ट एकपक्षीय फैसला दे देती है। किन्तु समन लेना या न लेना पति पर निर्भर करता है। लेकिन इसमें पति को उपस्थित होना चाहिए इसमें डरने वाली कोई बात ही नहीं है ये एक पारिवारिक मामला है क्योंकि पति फैमिली कोर्ट में जब तक उपस्थित नहीं होगा तो वो अपनी बात कैसे फैमिली कोर्ट (Family Court Summons in Hindi) के सामने रखेगा।
FAQs-
प्रश्न:- समन कब जारी किया जाता है?
उत्तर:- समन एक कानूनी नोटिस है जिसमे वादी की एप्लीकेशन पर प्रतिवादी को व्यकितगत रूप से पेश होने के लिए कहती है। जो सिविल ,पारिवारिक ओर आपराधिक मामलों में जारी किया जाता है।
प्रश्न:- समन और वारंट में क्या अंतर होता है?
उत्तर:- समन का मतलब अदालत में पेश होने के लिए प्रतिवादी को सूचित करना होता है। जबकि वारंट का मतलब प्रतिवादी को कोर्ट में लाना होता है जोकि पुलिस प्रतिवादी को पकड़ कर अदालत के समक्ष पेश करती है।
प्रश्न:- बिना वारंट के गिरफ्तारी हो सकती है ?
उत्तर:- हां, जो संज्ञेय अपराध होते है, उनमे पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है।
प्रश्न:- समन की तामील कैसे होती है?
उत्तर:- यदि प्रतिवादी समन को लेने से बार बार इंकार कर देता है, तो कोर्ट यह समझ लेता है कि उसे समन तामील कर दिया गया है।
प्रश्न:- कोर्ट के समन के बाद क्या होता है?
उत्तर:- यदि प्रतिवादी समन ले लेता है तो समन में दी हुई तारीख पर प्रतिवादी अपना जबाब दाखिल करता है।